Thursday, April 18, 2024
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सूर्य ग्रहण कब होता है, sury grahan kab hota hai, सूर्य ग्रहण 2024,

सूर्य ग्रहण कब होता है, sury grahan kab hota hai,

सूर्य ग्रहण ( Surya grahan ) के अदभुत खगोलीय घटना है जो प्राय: प्रति वर्ष पूरी दुनिया में होती ही है, हमारे ज्योतिषियों को यह पता होता है कि सूर्य ग्रहण कब होता है, sury grahan kab hota hai । कई बार कोई सूर्यग्रहण ( Suryagrahan ) विश्व के किसी हिस्से में दिखाई देता है कई बार किसी और जगह।

सूर्य ग्रहण Surya grahan सदैव अमावस्या को ही होता है। पृथ्वी अपनी कक्षा में सूरज की परिक्रमा करती है और चन्द्रमा भी अपनी कक्षा में ही पृथ्वी की परिक्रमा करता है।

जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो सूर्य चन्द्रमा के पीछे कुछ समय के लिए छुप जाता है ढक जाता है, चन्द्रमा सूरज का आंशिक या सारा प्रकाश रोक लेता है जिससे धरती पर कुछ समय के लिए हल्का अंधकार फैल जाता है इसे ही सूर्य ग्रहण Surya grahan कहते है।

समान्यता सूर्य ग्रहण तीन तरह के होते है

आंशिक सूर्य ग्रहण,

पूर्ण सूर्य ग्रहण तथा

वलयाकार सूर्य ग्रहण ।

1. जब चन्द्रमा, सूरज के थोड़े से हिस्से को ही ढ़कता है, अर्थात पृथ्वी से सूर्य का कुछ ही भाग दिखाई नहीं देता है तो उसे खण्ड- सूर्य ग्रहण या आंशिक सूर्य ग्रहण कहते है।

2. लेकिन जब कभी चन्द्रमा सूरज को पूरी तरह से ढँक लेता है, तो वह पूर्ण- सूर्य ग्रहण कहलाता हैं। पूर्ण-सूर्य ग्रहण पृथ्वी के बहुत कम हिस्से में ही दिखता है, ज़्यादा से ज़्यादा 250 किलोमीटरक्षेत्रमें। इस क्षेत्र के बाहर केवल आंशिक सूर्य ग्रहण ही दिखाई देता है।

पूर्ण-ग्रहण के समय सूरज के सामने से चन्द्रमा को गुजरने में सिर्फ दो घण्टे लगते हैं तथा चन्द्रमा सूरज को पूरी तरह से, अधिक से अधिक, सात मिनट तक ही ढँक पाता है। इन कुछ मिनटों के लिए आसमान में अंधकार सा हो जाता है।

3. वलयाकार सूर्य ग्रहण में जब पृथ्वी के काफ़ी दूर रहते हुए चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है अर्थात सूर्य को चन्द्रमा इस प्रकार ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है और

पृथ्वी से चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका दिखाई नहीं देता वरन सूर्य का बाहरी भाग प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता हुआ दिखाई देता है। तो कंगन के आकार में बने इस सूर्यग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते है।

हमारे ऋषि मुनियों , ज्योतिषियों ने अति प्राचीन काल से ही ग्रहण की बिलकुल सटीक गणना करना प्रारम्भ कर दी थी।

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सूर्य ग्रहण कब है, Sury Grahan Kab Hai

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष 2024 का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल 2024 को लगेगा।

2024 में चैत्र माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 8 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 21 मिनट से प्रारम्भ होगी और इसका समापन रात्रि 11 बजकर 50 मिनट पर होगा। इसलिए सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को मनाई जाएगी ।

वर्ष 2024 का पहला सूर्य ग्रहण सोमवार 8 अप्रैल दिन को लगेगा ।

8 अप्रैल को लगने वाला यह सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार रात्रि 9.12 बजे से 9 अप्रैल को देर रात्रि 2.22 बजे तक रहेगा । इस सूर्य ग्रहण की अवधि लगभग 05 घंटे 10 मिनट तक रहेगी ।

वर्ष 2024 आठ अप्रैल को पड़ने वाले इस सूर्य ग्रहण को लेकर दुनिया भर के लोग उत्साहित हैं, क्योंकि इस सूर्य ग्रहण के कारण उत्तरी अमेरिका के काफी हिस्सों में पूर्ण सूर्य ग्रहण रहेगा और लगभग चार मिनट नौ सेकंड तक पूरी तरह से अंधेरा हो जायेगा ।

8 अप्रैल को लगने वाला यह सूर्य ग्रहण पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका (अलास्का को छोड़कर), कनाडा, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक, मेक्सिको, इंग्लैंड और आयरलैंड जैसे देशों में ही दिखाई देगा ।

वर्ष 2024 का ये लगने वाला पहला सूर्य ग्रहण, पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा, जिसको खग्रास सूर्य ग्रहण के नाम से भी जाना जायेगा ।

नवरात्री से एक दिन पहले लगने वाला यह सूर्य ग्रहण काफी दुर्लभ है और 54 वर्षो के बाद लग रहा है । चूँकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का भारत में सूतक काल भी मान्य नहीं होगा ।

भारतियों के लिए भी यह सूर्य ग्रहण काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके अगले दिन से ही हिन्दू नव वर्ष और चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ हो रहा है ।

यह सूर्य ग्रहण मीन राशि और रेवती नक्षत्र में लगने जा रहा है ।

ग्रहण काल में जप तप, पूजा पाठ अवश्य ही करना चाहिए । सूर्य ग्रहण के समय में किये गए जाप तप, दान का करोडो गुना फल प्राप्त होता है ।

सूर्य ग्रहण के दौरान खाना खाने की, काटने, छीलने, सिलाई करने, जमीन खोदने का काम करने, सोने की मनाई होती है, शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।

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ग्रहण काल में कुछ सावधानियाँ अवश्य ही रखनी चाहिए, ग्रहण काल में भूल कर भी शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाना चाहिए।

ज्‍योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण विश्व के किसी भी कोने में क्यों ना हो ग्रहण काल में जप तप का अक्षय पुण्य मिलता है ।

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पं मुक्ति नारायण पाण्डेय

( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

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