ऐसे रहें स्वस्थ, Aise rhen swasth,
इन उपायों से घर से रोग रहेंगे दूर, ऐसे रहें स्वस्थ, Aise Rahen Swasth, स्वस्थ निरोगी रहने के उपाय,swasth nirogi rahne ke upay,
Aise rhen swasth, ऐसे रहें स्वस्थ :- साथियों आज भारत की बहुत बड़ी आबादी कई घातक बीमारियां जैसे मधुमेह, कॉलेस्ट्रॉल, बीपी, थाइरायड, दिल सम्बन्धी बिमारियों से पीड़ित है बढ़ती उम्र के 70 से 80 प्रतिशत लोगो इनमें से किसी ना किसी बीमारी से ग्रसित हो ही जाते है लेकिन करीब 40 – 50 साल पहले यह बीमारियां भारत में लगभग नहीं होती थी लेकिन जैसे जैसे टीवी, नेट का चलन बढ़ा अर्थात प्रचार बढ़े कुछ चीजों को हमारी रसोई में डाल दिया गया हमें उसका आदि बना दिया गया और यही से हुई इन बिमारियों की शुरुआत |
अगर कुछ बातो को ध्यान में रखकर सावधानियां रखें, कुछ उपाय उठाये तो घर से बहुत सी घातक जानलेवा बीमारियां रहेंगी दूर और जिनको हो चुकी है उनकी स्थिति बेहतर होने लगेगी | जानिए, स्वस्थ रहने के उपाय, swasth rahne ke upay, ऐसे रहें स्वस्थ | Aise Rahen Swasth
स्वस्थ रहने का उपाय, Swasth rahne ke upay,
👉🏽 प्रेशर कुकर :- हममें से 99% लोगो के घरो में प्रेशर कुकर होता है लेकिन क्या आप जानते है कि कुकर में खाना बहुत तेज आंच में और जल्दी बनता है जिससे खाने के 85 % से अधिक पोषक तत्व नष्ट हो जाते है | समान्यता प्रेशर कुकर एल्युमिन्यम का होता है और यह खाने के सभी पोषक तत्वों का अवशोषित कर लेता है। इसलिए प्रेशर कुकर में खाना बिलकुल भी नहीं बनाये। लगातार इसके इस्तेमाल से त्वचा, हड्डियां और लीवर सम्बन्धित समस्या हो सकती है।
प्रेशर कुकर में स्टार्च युक्त भोजन को पकाकर खाना हानिकारक हो सकता है। आलू, चावल, आदि जैसे स्टार्च वाले पदार्थो को जब प्रेशर कुकर में पकाया जाता है तो उससे एक्रीलामाइड नाम का हानिकारक केमिकल बनता है जिसका नियमित सेवन से नपुंसकता, कैंसर,और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
👉🏽 नान स्टिक बर्तन :- नान स्टिक बर्तनो पर टेफ्लॉन की कोडिंग होती है जो बार बार गरम होने से स्वास्थ्य के लिए बहुत ही नुकसानदायक होता है। नान स्टिक बर्तनो में स्क्रैच से आतंरिक परत में मौजूद टेफ्लॉन खाने के जरिए हमारे शरीर तक पहुंच जाता है, ये स्लो पॉइजन की तरह काम करता है। इसका लम्बे समय तक प्रयोग करने से इससे थायरॉइड डिसऑर्डर, किडनी, लिवर, जानलेवा कैंसर तथा और भी कई बीमारियों होने की सम्भावना हो जाती है । लम्बे समय तक नॉनस्टिक बर्तनों में बना भोजन करने से हार्टअटैक आ सकता है।
शोध में यह भी पता चला है कि नान स्टिक बर्तन में बने भोजन को करने से प्रजनन क्षमता में कमी आ सकती है|
👉🏽 रिफाइंड तेल :- रसोई में रिफाइंड तेल का प्रयोग बिलकुल भी ना करें | दरअसल खाद्य तेलों को रिफाइन करने के लिए कई तरह के रसायनों का उपयोग करते है। इन खाद तेलों को रिफाइंड करने के लिए 500 डिग्री फेरेनहाइट पर कई बार गर्म किया जाता है। जिससे तेल में मौजूद गंदगी और फेट सहित आवश्यक तत्व भी जल जाते हैं।
सामान्य तेल में मौजूद चिकनाई से शरीर को जरूरी फैटी एसिड प्राप्त होता है । लेकिन यह रिफाइंड तेल हमारे शरीर के आंतरिक अंगों से प्राकृतिक चिकनाई छीन लेते हैं। इससे शरीर को आवश्यक फैटी एसिड भी नहीं मिल पाते और लगातार इनमें बने भोजन का सेवन करने से जोड़ों, त्वचा, हृदयघात, पैरालिसिस सम्बन्धी समस्याएं पैदा होने लगती है, त्वचा में ड्राइनैस और झुर्रियां बढ़ जाती हैं। इससे एजिंग की रफ्तार भी तेज हो जाती है।
रिफाइंड तेल की जगह शुद्ध सरसों का तेल, तिल का तेल या मूंगफली का तेल खाना चाहिए । वैसे खाद्य तेल को हर 3 माह में बदल लेना चाहिए |
👉🏽 आयोडीन नमक :- अगर निरोगी रहना है तो अपनी रसोई से आयोडीन नमक का प्रयोग बिलकुल बंद कर दें उसकी जगह सेंधा नमक का प्रयोग करें | नमक का वैसे भी बहुत ही संतुलित मात्रा में प्रयोग करना चाहिए | जो लोग नमक ऊपर से डालते है, अधिक लेते है उनके शरीर को इसकी लत लग जाती है। अधिक नमक के सेवन से बीपी गड़बड़ हो जाता है, मोटापा बढ़ता है, हाइपर टेंशन होता है, नमक का अधिक सेवन से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है, हड्डियाँ कमजोर होती हैं |
नमक का अधिक मात्रा में सेवन करने से नमक हड्डियों के कैल्शियम को नुकसान करता है। यही नहीं जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती जाती है, नमक शरीर के अन्य अंगों में भी क्षरण पैदा करता है। नमक के ज्यादा सेवन से शरीर में सूजन भी बढ़ जाती है ।
सेंधा नमक बहुत सी बीमारियों से बचाने में मददगार होता हैं। यह पाचन के लिए फायदेमंद होता है इसलिए कब्ज की सम्भावना भी बहुत काम हो जाती है। सेंधा नमक से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है जिससे दिल के दौरे की संभावना को भी कम करता है, ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है। सेंधा नमक से हड्डियों से जुडी समस्याएं भी नहीं होती है इसके सेवन से सेरोटोनिन और मेलाटोनिन हार्मोन्स का स्तर शरीर में बनाए रखता है, जो तनाव से लड़ने में आपकी मदद करते हैं।
👉🏽 चीनी :- चीनी को सफ़ेद जहर, चीनी को बीमारियों का भंडार, कहा गया है, चीनी बनाने के लिए गन्ने के रस में 20 से अधिक केमिकल मिलाये जाते है, और ये वो जहर है जो शरीर के अंदर चले तो जाते है लेकिन बाहर नहीं निकल पाते |
चीनी की अधिकता के कारण मेटाबॉलिज्म से संबंधित रोग जैसे कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर, उच्च रक्तचाप हो जाते हैं। चीनी के अधिक सेवन से मोटापा, दांतों का सड़ना, डायबिटीज और इम्यून सिस्टम खराब होने जैसी समस्याएं हो जाती हैं।
समान्यता हम लोग घर पर चीनी का उपयोग दूध और चाय में करते है इसमें घुली शक्कर खून में शर्करा को अतिशीघ्रता से बढाती हैं। इसे बैलेंस करने के लिए अग्नाशय की कोशिकाएँ इन्सुलिन छोड़ती हैं। इन्सुलिन का सतत बढ़ती हुई माँग की पूर्ति करने से ये कोशिकाएँ निढाल हो जाती है, इससे इन्सुलिन का निर्माण कम होकर मधुमेह होता है।
चीनी के लगतार सेवन से स्किन में ड्राइनेस और त्वचा पर झुरियां दिखाई देने लगती है।
चीनी की जगह देशी खांड या मिश्री का प्रयोग करें यह रिफाइन नहीं किये जाते है | आप गुड़ या शहद का भी उपयोग कर सकते है |