अक्षय तृतीया पर क्या दान करें

हिन्दू धर्म में दान को बहुत बड़ा महत्व दिया गया है। शास्त्रों में जन्म जन्मांतर तक धन-समृद्धि, उच्च कुल, समस्त सांसारिक सुखो और पापो के नाश हेतु अपनी आय का एक अंश दान के रूप में खर्च करना अनिवार्य माना है। लगभग सभी धर्मो में दान को आवश्यक धर्म-कर्तव्य घोषित किया था।
गरीब से लेकर अमीर, सभी को अपनी-अपनी दशा के अनुसार कुछ-न कुछ अवश्य ही दान करते रहना चाहिए।
लेकिन यह जानना भी अवश्य है कि दान क्यों करना चाहिए, दान किसे देना चाहिये, कब करना चाहिए और कैसे करना चाहिये।

दान की महिमा तभी होती है जब वह निस्वार्थ भाव से दिया जाता है, अगर कुछ पाने की लालसा में, स्वार्थ वश दान किया जाए तो वह व्यापार बन जाता है, वस्तुत: वह दान व्यर्थ होता है, उसका तनिक भी पुण्य नहीं मिलता है।

दान के विषय में कहा था-”तुम्हारा दायाँ हाथ जो देता है उसे बाँया हाथ भी न जान पाये।” इसीलिए गुप्त दान को सर्वोपरि माना गया है।

स्मरण रहे दान के बदले यदि आपको तुरन्त ही कोई लाभ मिल गया, चाहे वह नाम, यश, कीर्ति या सामाजिक महत्व ही क्यों न हो तो आपके दान का भी मूल्य गिर गया।

“दान के मानी फेंकना नहीं वरन् बोना है।” दान इस मनुष्य जन्म में की गयी वो खेती ( फसल ) है जिसको बोने के बाद जन्म जन्मांतर तक काटा जाता है। दान देने से ईश्वर की कृपा मिलती है, पूर्वजों को स्वर्ग मिलता है, परिवार से रोग, शोक दूर रहते है, परिवार के सभी सदस्य संस्कारी होते है, आने वाली पीढ़ियां भी वंश का नाम रौशन करती है। निस्वार्थ भाव से, परोपकार की भावना से एक हाथ से दिया गया दान हज़ारों हाथों से लौटता है। इसका पुण्य सदैव मनुष्य के साथ ढाल बन कर रहता है।

दान अगर शुभ समय, शुभ मुहूर्त और वो भी अक्षय तृतीया जैसी पुण्य प्रदान करने वाली तिथि में किया जाय तो अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है अर्थात वह पुण्य कभी भी समाप्त नहीं होता है।

दान करने से जाने-अनजाने हुए पापों का बोझ हल्का होता है और पुण्य की पूंजी बढ़ती है। अक्षय तृतीया Akshaya Tritiya के विषय में कहा गया है कि इस दिन किया गया दान खर्च नहीं होता है, यानी आप जितना दान करते हैं उससे कई गुणा आपके अलौकिक कोष में जमा हो जाता है।

मृत्यु के बाद जब अन्य लोक में जाना पड़ता है तब उस कोष से दिया गया दान विभिन्न रूपों में प्राप्त होता है। पुनर्जन्म लेकर जब धरती पर आते हैं तब भी उस कोष में जमा धन के कारण धरती पर भौतिक सुख एवं वैभव प्राप्त होता है।

भविष्य पुराण में कहा गया है- ‘यत् किंचिद् दीयते दानं स्वल्पं वा यदि वा बहु। तत् सर्वमक्षयं यस्मात् तेनेयमक्षया स्मृता।।’
अर्थात इस तिथि में थोड़ा या बहुत, जितना और जो कुछ भी दान दिया जाता है, उसका फल अक्षय हो जाता है।

ऋषि-मुनियों का निर्देश है कि अक्षय तृतीया Akshaya Tritiya के दिन हर व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान अवश्य करना चाहिए।

कहा जाता है इस खास दिन पर गरीब और भूखे को खाना जरूर खिलाना चाहिए और उन्हें उनकी जरूरत के हिसाब से दान भी करना चाहिए।

अक्षय तृतीया के दिन दान करना आपको मृत्यु के भय से काफी दूर रखता है।

कहते हैं इस दिन गरीब बच्चों को दूध, दही, मक्खन, छेना, पनीर आदि का दान करते हैं तो मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

अक्षय तृतीया Akshaya Tritiya के दिन विशेषकर जौ, तिल और का चावल का दान महत्वपूर्ण माना जाता है।

गंगा स्नान के बाद सत्तू खाने तथा जौ और सत्तू दान करने से आप अपने बुरे कर्मों के पाप से मुक्त होते हैं।

प्रातः पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, साग, इमली, फल तथा वस्त्र का दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देनी चाहिए।

अक्षय तृतीया के दिन खरबूजा और मटकी का दान करने का भी महत्व है।

अक्षय तृतीया के दिन पारिवारिक सुख के लिए व्यक्तियों को सत्तू, दही, चावल, खीर आदि का अवश्य ही दान करना चाहिए ।

इस दिन अपने व्यापार / नौकरी में सफलता और धनलाभ के लिए जातकों को प्रात: सूर्य देवता को तांबे के बर्तन में शहद, हल्दी / लाल चन्दन, लाल फूल और गंगा जल डाल कर अर्घ देना चाहिए । इस दिन सुबह पूजा के बाद अपनी तिजोरी में 11 कौड़ियां स्थापित करनी चाहिए तत पश्चात तिल, लोहा, नारियल, नमक, पीला वस्त्र , छाता, जूता – चप्पल,खरबूजा / तरबूज एवं नकद दक्षिणा का दान करना चाहिए ।
इस दिन यथासंभव आदित्यहृदय स्त्रोत, विष्णु सहस्त्रनाम, ललिता सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य ही करना चाहिए । अक्षय तृतीया Akshaya Tritiya के दिन भगवान विष्णु के नरसिंह रुप का अवश्य ही ध्यान करें।