‘ब्रह्ममुहूर्त’ में जागने से फायदे | Brahm Muhurt Me jagne se fayde
हिन्दु धर्मानुसार जीवन में सुखद और बेहतर नतीजों की प्राप्ति के लिए प्रतिदिन एक खास वक्त में जागना बहुत ही शुभ माना गया है। यह विशेष समय ब्रह्ममुहूर्त ( Brahm Muhurt ) कहलाता है ।
दरअसल, ब्रह्ममुहूर्त ( Brahm Muhurt ) का धार्मिक , अध्यात्मिक , मानसिक वा शारीरिक सभी नजरिए से बहुत महत्व माना गया है। हिन्दु ऋषि मुनियों, योग गुरुओं के अनुसार अगर कोई भी इंसान जीवन के हर क्षेत्र में मनवाँछित परिणाम चाहता है तो वह नित्य ब्रह्म मुहूर्त में जागना शुरू करें उसे निश्चित ही बेहतर नतीजे प्राप्त होंगे ।
आम भाषा में ब्रह्म मुहूर्त ( Brahm Muhurt ) का समय सुबह सूर्योदय से पहले चार– पांच बजे के बीच का माना जाता है। किंतु हमारे धर्म शास्त्रों में के अनुसार रात के आखिरी प्रहर का तीसरा हिस्सा या चार घड़ी तड़के तक ही ब्रह्ममुहूर्त ( Brahm Muhurt ) होता है।
मान्यता है कि ब्रह्म मुहूर्त ( Brahm Muhurt ) में जागकर अपने इष्ट देव की ध्यान , पूजा, अध्ययन और किसी भी शुभ कर्मों को करना बहुत ही शुभ होता है। कहते है की इस समय ईश्वर ज्ञान, विवेक, सुख, शांति , सद्बुद्धि, निरोग और सुंदर शरीर, प्रदान करते हैं। इस समय भगवान की पूजा अर्चना के बाद दही, घी, आईना, अपने माता पिता, पत्नी, बच्चो और फूलमाला के दर्शन भी बहुत पुण्य प्रदान करते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त ( Brahm Muhurt ) में वेद मन्त्रों के उच्चारण से वातावरण बहुत शुद्ध हो जाता है और मन को असीम शांति एवं पुण्य की प्राप्ति होती है । वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान श्री हनुमान माता सीता को ढूंढते हुए ब्रह्ममुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुंचे थे, जहां पर उन्होंने वेदों के मंत्र उच्चारण की आवाज सुनी थी और उनका मन प्रफुल्लित हो गया था ।
अच्छी सेहत, मानसिक एवं शारीरिक दृढ़ता पाने के लिए भी ब्रह्ममुहूर्त सबसे उपर्युक्त समय है, क्योंकि इस समय वातावरण में प्राणवायु , आक्सीजन की मात्रा अधिक होती है। इससे व्यक्ति का पूरा शरीर शुद्धता और ऊर्जा से भर जाता है उसका दिमाग भी शांत और स्थिर रहता है, व्यक्ति को ना केवल निरोगी शरीर ही प्राप्त होता है वरन उसकी आयु में भी वृद्धि होती है|
इस तरह युवा पीढ़ी शौक-मौज या आलस्य के कारण देर तक सोने के बजाय इस खास वक्त का फायदा उठाकर बेहतर सेहत, सुख, शांति और नतीजों को पा सकती है।
हिन्दू धर्मशास्त्रों में सुबह के सुकूनभरे वक्त में जीवन को साधने के लिए ही स्नान का बड़ा महत्व बताया गया है। यहां तक कि रोग या किसी लाचारी में भी कई विकल्पों के साथ स्नान करना तन ही नहीं, मन के कलह रूपी ताप को भी कम करने वाला बताया गया है।
पौराणिक मान्यता है कि श्रीहरि विष्णु के आदेश से सूर्योदय से अगले 6 दंड यानी लगभग ढाई घंटे की शुभ घड़ी तक जल में सारे देवता व तीर्थ वास करते हैं, इसलिए सुबह तीर्थ स्नान से सभी पापों का नाश व उनसे रक्षा भी होती है। खासकर संक्रांति या जैसे सूर्य भक्ति या विष्णु भक्ति के शुभ दिनों में तो सुबह नहाए बिना धार्मिक कार्य दोषपूर्ण ही माने गए हैं।
सरल शब्दों में मतलब है कि सुबह स्नान करने से अनेको गुण प्राप्त होते हैं। इनमें पहला है- रूप अर्थात सौंदर्य ।
इसके अतिरिक्त शारीरिक बल , ज्ञान, ऊर्जा, मानसिक दृढ़ता, शुद्धता, पवित्रता, बुद्दि, निर्णय क्षमता,यश कीर्ति और बेहतर स्वास्थ्य की भी प्राप्ति होती है ।
क्योंकि शुभ घड़ी, अच्छे वातावरण में नित्य स्नान से तन निरोगी होने के साथ-साथ मन-मस्तिष्क भी ऊर्जावान रहता है। इसलिए इससे न केवल इंसान की उम्र बढ़ती है, वरन शुभ विचारों के उदय होने से भाग्य देवता भी मेहरबान होते है और व्यक्ति को जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है ।
कहा जाता है कि यह समय देवताओं का समय होता है, इस समय देवता सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में अपनी कृपा बरसाते है। नित्य ब्रह्म मुहूर्त में जागने वाले व्यक्ति को अपनी पूजा, अपनी प्रार्थना अपनी योजनाओं का फल अति शीघ्र प्राप्त होता है, उसका अन्त:करण शुद्ध और निर्मल रहता है उस पर ईश्वर की सदैव कृपा बनी रहती है । अत: स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मस्तिष्क, पवित्र विचारों, सुख समृद्धि, यश कीर्ति और ईश कृपा प्राप्ति के लिए प्रत्येक मनुष्य को ब्रह्म मुहूर्त में अवश्य ही जागना चाहिए ।
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