गठिया जोड़ो के दर्द का आयुवेदिक इलाज
Gathiya jodo ke dard ka ayurvedic ilaj
उम्र बढ़ने के साथ साथ जब जोड़ो में यूरिक एसिड जमा हो जाता है तो वह गठिया की बीमारी का रूप ले लेता है। गठिया में मरीज़ को जोड़ो में दर्द, अकड़न और सूजन का सामना करना पड़ता है। विशेषकर सर्दियों में बहुत ज्यादा तकलीफ होने लगती है , जोड़ो में सूजन आ जाती है, चुभन सी होने लगती है ।
गठिया के रोग ( gathiya ke rog ) , जोड़ो में दर्द ( jodo me dard ) और शरीर की सूजन में दालचीनी राम बाण का काम करती है।
दालचीनी दक्षिण भारत का एक पेड़ है जिसकी छाल का प्रयोग मसालो और औषधियों के रूप में किया जाता है । दालचीनी उष्ण-तीक्ष्ण एवं रक्त में पित्त की मात्रा बढ़ानेवाली है। इसके अधिक सेवन से शरीर में गरमी उत्पन्न होती है। दालचीनी उष्ण-तीक्ष्ण होने के कारण विशेष रूप से कफ एवं वात दोनों का ही नाश करती है । अतः यह त्रिदोषशामक है।
गठिया, ( gathiya ) जोड़ो का दर्द ( jod ka dard ) दूर करने के लिए एक बडा चम्मच शहद और एक आधा चम्मच दालचीनी का पावडर सुबह और शाम एक गिलास मामूली गर्म जल से नियमित रूप से लें लें। एक शोध में कहा है कि चिकित्सकों ने गठिया के रोगियों को नाश्ते से पूर्व एक बडा चम्मच शहद और आधा छोटा चम्मच दालचीनी के पावडर का मिश्रण गरम पानी के साथ दिया।
इस प्रयोग से गठिया के रोगियों में चमत्कारी परिणाम देखे गए । केवल एक हफ़्ते में ही 30 प्रतिशत रोगी गठिया के दर्द से मुक्त हो गये। एक महीने के प्रयोग से जो रोगी गठिया की वजह से चलने फ़िरने में असमर्थ हो गये थे वे भी चलने फ़िरने लायक हो गये।
चूँकि दालचीनी की प्रकृति गर्म होती है अतः इसे सर्दियों में ज्यादा उपयोग करें एवं गर्मियों में इसकी मात्रा आधी कर दें ।
ध्यान दे कि दालचीनी और शहद को हलके गर्म पानी के साथ ही लें और इसके सेवन के बाद एक घण्टे तक कुछ भी ना खाएं ।
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