Tuesday, December 3, 2024
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हिन्दू धर्म शास्त्रो में मकर संक्रांति Makar Sankranti का बहुत महत्व माना गया है शास्त्रो के अनुसार देवताओं के छह माह के इस प्रथम दिवस में किए गए उपाय बहुत पुण्य दायक होते है, makar sankranti ke upay, मकर संक्रांति के उपाय, करने से भाग्य प्रबल होता है ,आरोग्य , सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है पितरो का आशीर्वाद मिलता है एवं समस्त पापो का नाश होता है ।

चूँकि भगवान सूर्य 15 जनवरी को मकर राशि में सुबह 8.42 बजे प्रवेश करेंगे। इसलिए मकर संक्रांति सोमवार 15 जनवरी को प्रात: काल उदया तिथि में मनाई जाएगी।

15 जनवरी को पूरे दिन ही मकर संक्रांति के पर्व का मान रहेगा। प्रात: से मध्याह्न तक का समय स्नान व दान के लिए विशेष पुण्य फलदायक रहेगा।

इस दिन सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य भगवान दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते है। सूर्य देव का उत्तरायण होना बेहद शुभ माना जाता है, इसी लिए मकर संक्रांति का विशेष महत्व माना गया है।

मनवांछित सिद्धि के लिए मकर संक्रांति के उपाय, makar sankranti ke upay, करने से भाग्य के बंद दरवाजे भी निश्चय ही खुल जाते है ।

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शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति को सभी जातकों को चाहे वह स्त्री हो अथवा पुरुष सूर्योदय से पूर्व अवश्य ही अपनी शय्या का त्याग कर के स्नान अवश्य ही करना चाहिए ।

देवी पुराण में लिखा है कि जो व्यक्ति मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन स्नान नहीं करता है। वह रोगी और निर्धन बना रहता है।

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विशेषकर मकर संक्रांति Makar Sankranti पर तिल-स्नान को अत्यंत पुण्यदायक बतलाया गया है। शास्त्रो के अनुसार इस दिन तिल – स्नान करने वाला मनुष्य सात जन्म तक आरोग्य को प्राप्त करता है, जातक रूपवान होता है उसे किसी भी रोग का भय नहीं होता है ।

आरोग्य की कामना करने वालें मनुष्य को चाहिए कि इस तिल का उबटन बना कर उसे पूरे शरीर पर लगाए फिर स्नान करे इससे पूरे वर्ष स्वास्थय लाभ मिलता है।

इस दिन तीर्थों, मन्दिर, देवालय में देव दर्शन, एवं पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है।

मकर सक्रांति Makar Sankranti के दिन स्नान के बाद भगवान सूर्यदेव की अवश्य ही पूजा करनी चाहिए। ज्योतिष के अनुसार यदि इस दिन प्रभु सूर्यदेव को प्रसन्न करने पर विशेष फल मिलता है और भगवान सूर्यदेव को प्रसन्न करने के उपाय करने से व्यक्ति के किस्मत के दरवाजे निसंदेह ही खुल जाते हैं।

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इस दिन प्रातः उगते हुए सूर्य को तांबे के लोटे के जल में कुंकुम, अक्षत, तिल तथा लाल रंग के फूल डालकर अध्र्य दें। अध्र्य देते समय “ऊँ घृणि सूर्याय नम: “मंत्र का जप जरुर करते रहें। इस प्रकार सूर्य को अध्र्य देने से मन की सभी इच्छाएँ अवश्य ही पूर्ण हो जाती है ।

मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन दान करने का विशेष महत्व है।

हमारे शास्त्रों के अनुसार इस दिन किए गए दान का सहस्त्रों गुना पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन कंबल, गर्म वस्त्र, घी, दाल-चावल की कच्ची खिचड़ी और तिल आदि का दान विशेष रूप से फलदायी माना गया है।

विष्णु धर्मसूत्र के अनुसार मकर संक्रांति के दिन तिल का अधिक से अधिक प्रयोग करें । पितरो की शांति हेतु तिल युक्त जल से उनका तर्पण करें, आरोग्य, सुख एवं समृद्धि के लिये तिल का प्रयोग, तिल के जल से स्नान, तिल का दान, तिल का भोजन करें । इस दिन स्नान से पूर्व तिल के तेल से मालिश करने, तिल का उबटन लगाने से समस्त पाप नष्ट होते है।

इस दिन गरीबों को यथा सम्भव भोजन करवाने से उस घर में कभी भी अन्न धन की कमी नहीं रहती है।

शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन गुड़ एवं कच्चे चावल बहते हुए जल में प्रवाहित करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड़ और पके हुए चावल में गुड़ और दूध मिलाकर खाने से भी भगवान सूर्यदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन साफ लाल कपड़े में गेहूं व गुड़ बांधकर किसी जरूरतमंद अथवा ब्राह्मण को दान देने से भी व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चूँकि तांबा सूर्य की धातु है अत: मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन तांबे का सिक्का या तांबे का चौकोर टुकड़ा बहते जल में प्रवाहित करने से कुंडली में स्थित सूर्य के दोष कम होते है।

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मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन पितरों के लिए तर्पण करने का विधान है। इस दिन भगवान सूर्य को जल देने के पश्चात अपने पितरों को भी उनका स्मरण करते हुए तिलयुक्त जल देने से पितर प्रसन्न होते है एवं जातक पर उसके पितरों का सदैव शुभाशीष बना रहता है।

इसी दिन राजा भागीरथी ने अपने पूर्वजों का तर्पण कर उनकी आत्माओं को तृप्त किया था । इस दिन पितरों के निमित किये गए तर्पण से पितर बहुत प्रसन्न होते है। उनके आशीर्वाद से जीवन में कोई भी संकट नहीं रहता है, हर तरह के सुखों की प्राप्ति होती है ।

मकर संक्रांति के दिन पितरों को तिल युक्त जल देना,अग्नि में तिल से हवन करना, तिल खाना, तिल खिलाना एवं तिल का दान करने से अनन्त पुण्य की प्राप्ति होती है।

मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पूर्व दिशा में मुख करके कुश के आसन पर बैठें। फिर अपने सामने चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाएं और उसके ऊपर सूर्यदेव का चित्र, प्रतिमा या सूर्य यंत्र स्थापित करें। इसके बाद सूर्यदेव का पंचोपचार पूजन करें और भगवान सूर्य देव Surya Dev को गुड़ का भोग लगाएँ।

पूजन में लाल फूल का उपयोग अवश्य करें। इसके बाद लाल चंदन की माला से नीचे लिखे किसी भी मंत्र का कम से कम 5 माला जप अवश्य करें।

मंत्र – ऊँ भास्कराय नम: ।।

ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।

भगवान सूर्य कि सदैव कृपा प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जप प्रत्येक रविवार को अवश्य ही किया जाना चाहिए। ऐसा करने से यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य दोष है तो उसका प्रभाव भी कम होता है और शुभ फलों कि अवश्य ही प्राप्ति होती है।

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ज्योतिषियों के अनुसार प्रायश्चित करने के लिए भी यह दिन अति उत्तम है।

मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन भगवान शंकर के सामने हाथों में काले तिल और गंगाजल लेकर संकल्प करें और अपनी गलतियों की क्षमा याचना करें। निश्चित रूप से भगवान गलतियों को क्षमा करेंगे और मनवांछित फल की प्राप्ति होगी।

मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन गौ माता को तिल मिली हुई खिचड़ी खिलाने से शनि ग्रह और सभी ग्रहों के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।

गौ माता को इस दिन खिचड़ी के साथ जो भी वस्तु खिलाई जाती है। उस ग्रह से संबंधित पीड़ा अवश्य ही कम होती है। इसलिए हर जातक को दान के साथ गाय को खिचड़ी अवश्य ही खिलानी चाहिए ।

मान्यता है कि मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन शुद्ध घी और कंबल का दान से मोक्ष की प्राप्ति होती है, पितरो का भी उद्दार होता है।

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ध्यान रहे क्योंकि हिन्दू धर्म संस्कृति में मकर संक्राति Makar Sankranti का विशेष महत्व है अत: हर व्यक्ति को अपने जीवन में सभी अस्थिरताओं को दूर करने और जीवन में शुभ फलों कि प्राप्ति के लिए इस दिन अपने सामर्थ्य अनुसार जप,तप, दान पुण्य अवश्य ही करना चाहिए, इस शुभ अवसर को किसी को भी कतई गवाँना नहीं चाहिए ।

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कुंडली एवं हस्त रेखा विशेषज्ञ
पंडित ज्ञानेंद्र त्रिपाठी
Pandit Ji
Pandit Jihttps://www.memorymuseum.net
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