स्वाइन फ्लू के लक्षण
Swine Flue ke Lakshan
बदलते मौसम विशेषकर गर्मी के जाते ही डेंगू और स्वाइन फ्लू ( Swine Flue ) जैसी बीमारियाँ बहुत ही तेजी से फैलती है । स्वाइन फ्लू ( Swine Flue ) एक घातक बीमारी है जो बहुत ही तेजी से फैलती है और अगर इसका समय पर इलाज ना कराया जाय तो यह जानलेवा भी सकती है ।
स्वाइन फ्लू ( Swine Flue ) दरअसल सूअरों में होने वाला सांस संबंधी एक अत्यंत संक्रामक रोग है जो कि इंफ्लुएंजा वायरस से होता है । आमतौर पर यह बीमारी सूअरों में ही होती है लेकिन कई बार सूअर के सीधे संपर्क में आने पर यह मनुष्य में भी फैल जाती है। ये बलगम और छींक के सहारे मनुष्य से मनुष्य में फैलती है।
स्वाइन फ्लू ( Swine Flue ) के लक्षण भी सामान्य एन्फ्लूएंजा के लक्षणों की तरह ही होते हैं।
इसमें तेज ठंड लगना,
बुखार होना,
गला खराब हो जाना,
खाँसी आना,
बदन / मांसपेशियों में दर्द होना,
तेज सिरदर्द होना,
कमजोरी महसूस करना आदि लक्षण होते हैं।
स्वाइन फ्लू में सावधानियाँ
Swine Flu Me Savdhaniya
स्वाइन फ्लू ( Swine Flue ) का वायरस बहुत ही तेजी से फैलता है । किसी भी एन्फ्लूएंजा के वायरस का संक्रमण मानवों में श्वास प्रणाली से होता है।
इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के खाँसने और छींकने, दरवाजा के हैंडल, टेलीफोन के रिसीवर या नल के स्पर्श से यह वायरस तेजी से फैलता है । कोई भी अच्छा व्यक्ति इन चीज़ो के संपर्क में आने पर स्वयं की नाक पर हाथ लगाने भर से भी संक्रमित हो सकता हैं।
इस बीमारी से बचने के लिए सामान्य एन्फ्लूएंजा के दौरान रखी जाने वाली सभी सावधानियाँ इस वायरस के संक्रमण के समय में रखनी चाहिए। स्वाइन फ्लू ( Swine Flue ) से बचने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है साफ-सफाई का पूरी तरह से ध्यान रखना।
इस बीमारी से बचने के लिए साफ सफाई का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। खांसते और झींकते समय नाक और मुहँ हो रुमाल की जगह टीशू से कवर रखें, इसके बाद टीशू को नष्ट कर दें ।
इसमें बार-बार अपने हाथों को साबुन या ऐसे सॉल्यूशन से धोना चाहिए जो वायरस का खात्मा कर दें।
चूँकि यह बीमारी साँस लेने से शीघ्र फैलती है अत: नाक और मुँह को हमेशा मॉस्क पहन कर ढक कर रखें ।
स्वाइन फ्लू से बीमार होने पर घर पर ही आराम करें । स्कूल, ऑफिस, मंदिर , शॉपिंग मॉल या किसी सार्वजनिक स्थानों पर बिलकुल भी न जाएं।
बिना हाथों को धोये हुए अपनी आंख, नाक या मुह छूने से बचें।
स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले मरीज से सीधा संपर्क में आने बचें. स्वाइन फ्लू के मरीज़ से हाथ नहीं मिलाएं और अगर घर पर किसी को स्वयं फ्लू हो गया हो तो समय समय पर अच्छी तरह से हाथ धोते ।
घर में जो भी व्यक्ति मरीज की देखभाल करे वह मरीज़ को कम से कम छुए और उसे बार बार अपना हाथ साबुन से धोना चाहिए।
स्वाइन फ्लू में खानपान ( Swine Flu Me Khanpan )
स्वाइन फ्लू से बचने के लिए महीने में एक या दो बार गोली के आकार का कपूर का टुकड़ा लें । इसे पानी के साथ निगल सकते हैं और छोटे बच्चों को यह केले के साथ मलकर दे सकते हैं । लेकिन ध्यान रहे कपूर को महीने में एक या दो बार ही लें।
स्वाइन फ्लू से लड़ने के लिए एंटी ऑक्सिडेंट तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थो का सेवन करना चाहिए । यह ताजा फलों और हरी सब्जियों में प्रचुर मात्रा में होता है, इनके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
फलों में सेब, नाशपाती, अंगूर, संतरा, अनार, अनानास और तरबूज रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं क्योंकि इनमें विटामिन व मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक होती है।
सब्जियों में पत्तागोभी, ब्रोकली, पालक, मटर, टमाटर वा लौकी का सेवन अत्यंत फायदेमंद होता हैं।
कमजोर लोगो को अपने भोजन में मांस, मछली और सोया जैसे पोषक तत्वों को अवश्य ही शामिल करना चाहिए।
आंवला, गाजर, और पालक के जूस का सेवन करने से भी स्वाइन फ्लू के विषाणुओं से लड़ने में मदद मिलती है।
इसके अतिरिक्त तुलसी, लहसुन और हल्दी जैसे खाद्य भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं।
स्वाइन फ्लू से बचाव
Swine Flu Se bachav
बरसात शुरू होते ही दिन में तीन बारदो दो चम्मच नीबूं का रस तथा आँवले के जूस का सेवन अवश्य ही करे ऐसा 10-15 दिन तक लगातार लेने से शरीर का किसी भी संक्रमण से बचाव होता है।
स्वाइन फ्लू ( Swine Flu ) में विटामिन सी से भरपूर फलो का अधिक से अधिक सेवन करें। विटामिन सी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बेहद महत्वपूर्ण साबित होता है। विटामिन सी से भरपूर फल जैसे आंवला, निम्बू, किन्नू , मौसमी या संतरा का सेवन पहले से ही करते रहने से स्वाइन फ्लू से बचाव होता है।
स्वाइन फ्लू ( Swine Flu ) में दालचीनी का प्रयोग बहुत लाभकारी माना जाता है। आधा चम्मच दालचीनी और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार लेने से स्वाइन फ्लू में शीघ्र ही राहत मिलती है।
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स्वाइन फ्लू ( Swine Flu ) में अदरक का रस भी बहुत कारगर सिद्ध होता है। अदरक में पाए जाने वाले तत्व से गले के संक्रमण में लाभ मिलता है, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है ।