Tuesday, March 19, 2024
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मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव अष्टमी, Kaal Bhairav ashtmi, पर्व आता है। मान्यता है कि इसी दिन मध्याह्न के समय भैरव नाथ की भगवान शंकर के अंश से भैरव रूप में उत्पत्ति हुई थी।
प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मासिक भैरव अष्टमी मनाई जाती है।

भैरव का अर्थ है – भय ( भयानक ) + रव ( रक्षा करनेवाला ) = भैरव अर्थात् भय से रक्षा करने वाला। भैरव नाथ भगवान शिव के ही रूप हैं। भैरवों की संख्या 52 है जो 8 भागों में विभक्त हैं।

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वैसे हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मासिक भैरव अष्टमी होती है, इस दिन भैरव नाथ की उपासना से समस्त संकट, भय दूर होते है, जीवन में निर्भयता आती है, लेकिन मार्ग शीर्ष माह की कालभैरव अष्टमी का विशेष ही महत्व है।

शास्त्रों के अनुसार भगवान भैरव से स्वयं काल भी भयभीत रहता है इसलिए उन्हें ‘कालभैरव’ के नाम से जाना जाता हैं। भैरव अष्टमी हमें काल का स्मरण कराती है।

भैरव नाथ को प्रसन्न करने के मंत्र :-
Bhairav Nath Ko Prasann Kare ke Mantra :-

‘ॐ कालभैरवाय नम:।’

ॐ भयहरणं च भैरव:।’

‘ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।’

‘ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:।’

‘ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्‍।’

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कालभैरव के आशीर्वाद से व्यक्ति को जीवन में धन-यश और सफलता प्राप्त होती है उसके रुके हुए कार्य निश्चित ही बनने लगते हैं, उसे रोग, शस्त्रु नहीं सताते है। भैरव नाथ के भक्तो पर कोई भी टोना टोटका असर नहीं करता है।

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यहाँ पर हम आपको भैरव जयंती, कालाष्टमी, रविवार को भैरव नाथ को प्रसन्न करने के उपाय बता रहे है जिनको करके जातक के सभी कष्ट दूर होते है , उसे इस जीवन में सभी सुखो की निश्चय ही प्राप्ति होती है ।

भैरव अष्टमी के उपाय, bhairav ashtami ke upay,

भैरव अष्टमी के दिन प्रात: जल्दी उठकर, स्नानादि करके भैरव मंदिर में जाकर वहां पर भैरवजी का दूध से अभिषेक करें, और उन्हें अपने ऊपर कृपा बनाये रखने के लिए प्रार्थना करें। ऐसा करने से भैरव नाथ शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं।

भैरव अष्टमी, के दिन भैरव मंदिर में जाकर भैरव जी की मूर्ति के आगे तेल का दीपक प्रज्वलित करें। इसके बाद उन्हें गुलाब जामुन, इमरती, उड़द के बड़े या नमकीन भोग लगाएं। इस उपाय को करने से भैरव नाथ अपने भक्तो के सभी संकटो का तत्काल ही निवारण कर देते है।

भैरव अष्टमी के दिन भैरव नाथ को नारियल, जलेबी, इमरती आदि का भोग लगाएं बाद में उस जलेबी इमरती को वही पर भक्तो या गरीबो में बाँट दें, इससे जीवन में मिठास आती है अर्थात धन-लाभ और कार्यो में आसानी से सफलता मिलने लगती है

भैरव अष्टमी के दिन सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा 11 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े में पोटली बनाकर भैरवनाथ के मंदिर में चढ़ाएं। इससे समस्त रोग, कष्ट, शस्त्रु दूर होते है।

मान्यता है कि भैरव बाबा को शराब बहुत प्रिय है एवं भैरव जयंती के दिन भैरव बाबा को शराब चढ़ाकर अपने मन की सभी मुरादें पूरी की जा सकती हैं।

कालभैरव अष्टमी के दिन भैरव नाथ के मंदिर में गौ मूत्र के रंग की ( पीले रंग की ) शराब की बोतल चढ़ाकर उसे किसी सफाई कर्मचारी को भेंट रूप में दें दे । इससे जीवन की सभी समस्याओं का निराकरण होता है, सोचे हुए सभी कार्य बनने लगते है।

काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए काल भैरव अष्टमी के दिन उन्हें 5 नींबू अर्पित करें, इससे भय, मानसिक तनाव और रोग दूर रहते है, बल और साहस प्राप्त होता है। इसके बाद  लगातार 5 रविवार तक ऐसा करें।

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भैरव नाथ का आशीर्वाद पाने के लिए भैरव अष्टमी, रविवार बुधवार या गुरुवार के दिन एक रोटी लेकर इस रोटी पर कड़वा तेल डालकर अपनी तर्जनी या मध्यमा अंगुली से तेल से लाइन खींचें। फिर यह रोटी किसी भी दो रंग वाले कुत्ते अथवा काले को खाने को दें।

अगर कुत्ता यह रोटी खा लें तो समझिए आप पर भैरव नाथ प्रसन्न है। और अगर कुत्ता रोटी ना खाएं केवल रोटी को सूंघ कर आगे बढ़ जाए तो इस उपाय को लगातार करते रहे।

लेकिन यह उपाय भैरव जयंती के अलावा हफ्ते के इन्हीं तीन दिनों में (रविवार बुधवार या गुरुवार) करें। क्योंकि यही तीन दिन कालभैरव के माने गए हैं। इस उपाय को नियमित रूप से करने से कोई भी कष्ट घर परिवार के निकट भी नहीं आता है।

कालभैरव अष्टमी के दिन किसी भी शिव मंदिर में जाएं और भगवान शिव का दूध से अभिषेक करके उन्हें अक्षत और काले तिल अर्पित करें। फिर वही मंदिर में बैठकर “ॐ नम: शिवाय” मंत्र की कम से कम 5 माला का जाप करें इससे भगवान भोलेनाथ के साथ साथ उनके अवतार भैरव नाथ की पूर्ण कृपा मिलती है।

भैरव जयंती के दिन, भैरव मं‍दिर में गुगल, गुलाब, चंदन की खुशबूदार अगरबत्ती अर्पित करके कुछ वही पर जला दें। इस उपाय को करने से भैरव नाथ की कृपा से जीवन में हर्ष-उल्लास, सुख-समृद्धि का वातावरण बना रहता है।

भैरव नाथ जी को गुड़, उड़द का बड़ा, रोली, सिन्दूर, लाल चन्दन , लाल फूल, धान का लावा, गन्ने का रस, तिल का तेल, लोबान, लाल वस्त्र, सरसों का तेल आदि वस्तुएं बहुत प्रिय हैं। भैरव अष्टमी के दिन ज्यादा से ज्यादा इन वस्तुओं को भैरव जी पर अर्पित करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है।

स्वान अर्थात काला कुत्ता भैरव जी की सवारी है अत: इसदिन भैरव अष्टमी के दिन इसे प्रसन्न अवश्य ही करें। भैरव अष्टमी के दिन काले कुत्ते को कच्चा दूध पिलाएं, तथा जलेबी या इमरती भी अवश्य खिलाएं। यह अत्यंत चमत्कारी उपाय है इससे भैरव नाथ अति शीघ्र ही प्रसन्न होते है।

गोमती तटे भैरव मन्दिर के पुजारी
पंडित अमित मिश्रा जी

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