Wednesday, March 27, 2024
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लकवे के अचूक उपाय

लकवे के अचूक उपाय, lakve ke achuk upay,

जब हमारी मांसपेशियाँ कार्य करने में पूर्णतः असमर्थ हों जाती है उस स्थिति को पक्षाघात Pakshaghat, लकवा lakva या फालिज कहते हैं। लकवे Lakve होने पर प्रभावी क्षेत्र के भाग को उठाना, घुमाना, फिराना या चलना-फिरना लगभग असम्भव हो जाता है।
लकवा अति भागदौड़, क्षमता से बहुत ज्यादा परिश्रम या बहुत अधिक व्यायाम, अति गरिष्ठ भोजन बहुत अधिक मात्रा में लेने से हो सकता है,

हमारे शरीर के सभी अंगो को कार्य करने के लिए रक्त की आवश्यकता पड़ती है लेकिन जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे खून का दौरान रुक जाता है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास खून एकत्र हो जाता है ऐसी अवस्था में शरीर के किसी भी हिस्से में लकवा हो सकता है।
अथवा किसी हिस्सों में रक्तवाहिका में खून का थक्का बनने के कारण खून की पूर्ति बंद हो जाय तो उस अंग में लकवा हो जाता है ।

यदि तुरंत इलाज मिल जाय और रक्तवाहिका में रुधिर का प्रवाह पुन: शुरू हो जाय अर्थात खून का थक्का ठीक हो जाय तो रोगी की स्थिति में शीघ्र सुधार हो सकता है, वह जल्दी ही बिलकुल ठीक भी हो सकता है, लेकिन यदि रुधिर का प्रवाह शुरू ना हो सके तो स्थायी पक्षाघात हो जाता है।
इससे उबरंने में बहुत वक्त लगता है या स्थिति ला इलाज भी बन जाती है ।

पक्षाघात के उपाय, Pakshaghat ke upay,

  • लकवे Lakva की स्थिति ज्यादातर प्रौढ़ अवस्था में ही आती है , लेकिन इसकी स्थिति बहुत पहले से बनने लगती है।
  • जवानी की बहुत सी गलतियाँ जैसे बहुत ज्यादा भोग-विलास करना, मादक द्रव्यों का सेवन करना, मासपेशियों की किसी चोट में लापरवाही करना या बहुत आलस करना आदि कई कारणों से शरीर का स्नायविक प्रक्रिया कमजोर पड़ती जाती है इसीलिए उम्र बढ़ने के साथ साथ इस रोग की आशंका भी अधिक हो जाती है।
  • हम आपको यहाँ पर कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ और उपाय बता रहे है जिसको अपनाकर लकवे में निश्चित रूप से बहुत ही ज्यादा आराम मिल सकता है ।
  • लकवे Lakva के रोगी को किसी भी प्रकार की नशीली चीजों से कतई परहेज करना चाहिए। उन्हें भोजन में तेल, घी, मांस, मछली आदि का उपयोग भी नहीं करना चाहिए ।
  • जैसे ही लकवे का अटैक पड़े तुरंत उसी समय तिल का तेल 50 से 100 ग्राम की मात्रा में थोड़ा-सा गर्म करके पी जायें व साथ में लहसुन भी चबा चबा कर खायें। अटैक आते ही लकवे से प्रभावित अंग एवं सिर पर सेंक भी करना शुरू कर दें व आठ दिन बाद मालिश करें।
    लकवे में ज्यादा से ज्यादा उपवास करना चाहिए । उपवास में पानी में शहद मिलाकर लेते रहे ।
  • लकवे Lakva में एक बहुत ही सटीक उपचार माना जाता है । उसके अनुसार इस उपचार में पहले दिन लहसुन की पूरी कली पानी के साथ निगल जाएँ । फिर नित्य 1-1 कली बढ़ाते हुए 21वें दिन पूरी 21 कलियाँ निगलें। तत्पश्चात नित्य 1-1 कली घटाते हुए निगले ।
    इस प्रयोग को करने से लकवे में शीघ्र ही आराम मिलता है ।
  • नित्य सौंठ और उड़द को उबालकर इसका पानी पिए । इसके नियमित सेवन से लकवे में बहुत सुधार होता है। यह बहुत ही परीक्षित प्रयोग है।
  • लकवे Lakva के रोगी को प्रतिदिन दूध में भिगोकर छुहारा खाने से लकवे के रोग में बहुत लाभ प्राप्त होता है। लेकिन एक बार में 4 से अधिक छुहारे नहीं खाने चाहिए।
  • लकवा Lakva रोग होने पर कलौंजी के तेल को हल्का गर्म करके जहां पर लकवा को उस अंग पर मालिश करें और एक बड़ी चम्मच तेल का दिन में तीन बार लें। 30 दिन में ही बहुत आराम मिल जायेगा ।
  • 60 ग्राम काली मिर्च लेकर इसे 250 ग्राम तेल मे मिलाकर कुछ देर तक पकायें। फिर इस तेल का लकवे से प्रभावित अंग पर पतला-पतला लेप करने से लकवा दूर होता है।
    इस तेल को उसी समय बनाकर गुनगुना लगाया जाता है। इसका एक माह तक नियमित रूप से उपयोग करने पर आशातीत सफलता मिलती है ।
  • शरीर के जिस अंग पर लकवा हो , उस पर खजूर का गूदा मलने से भी लकवा रोग में बहुत आराम मिलता है ।
  • लकवा के रोग में 50 ग्राम शहद का 2 महीने तक नियमित रूप से सेवन करें, इससे लकवाग्रस्त अंगों में बहुत लाभ मिलता है ।
  • नित्य सुबह और शाम लहसुन की 5 कली को पीसकर उसे दो चम्मच शहद में मिलाकर चाटें, एक महीने में ही लाभ नज़र आने लगेगा ।
  • इसके अतिरिक्त लहसुन की 5 कली दूध में उबालकर उसका सेवन करें । इससे ब्लडप्रेशर भी ठीक रहेगा लकवे ग्रस्त अंग में जान भी आ जाएगी ।
  • काली उड़द की दाल को खाने के तेल के साथ गर्म करके उस तेल से लकवे से ग्रस्त अंग पर मालिश करने से बहुत ही फायदा होता है।
  • 10 ग्राम काली उड़द की दाल, 5 ग्राम बारीक पिसी अदरक, को 50 ग्राम सरसों के तेल में पांच मिनट तक गर्म करके इसमें दो ग्राम पिसा हुआ कपूर का चूरा डाल दें। फिर इस तेल से गुनगुना या हल्का गर्म रहने पर ही जोड़ों की मालिश करने से उसमे दर्द में राहत मिलती है। इस तेल से लकवे और गठिया की समस्या में गजब का लाभ मिलता है ।
  • देसी गाय के 2 बूंद शुद्द घी को सुबह शाम नाक में डालने से माइग्रेन की समस्या जड़ से समाप्त हो जाती है, दिमाग तेज होता है, बाल झड़ने बंद होते है, कोमा के रोगी की चेतना भी लौटने लगती है और लकवा के रोग में भी बहुत ज्यादा आराम मिलता है ।
  • लकवे Lakve के रोगियों को करेला ज्यादा से ज्यादा खाना चाहिए। लकवे की समस्या में करेला जबरदस्त फायदा पहुंचाता है। लकवे के मरीज को कच्चा करेला भी खाना चाहिए।
  • प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व उठकर, ताँबे के बर्तन में रात का रखा हुआ एक लीटर / 4 बड़े गिलास पानी किसी गर्म आसन अथवा विद्युत की कुचालक वस्तु पर बैठकर उसे पी ले।
    पानी भरकर ताँबे के बर्तन को हमेशा विद्युत की कुचालक वस्तु प्लास्टिक, लकड़ी या कम्बल) आदि के ऊपर ही रखें और उस पानी में चाँदी का एक सिक्का भी डाल दें ।
  • ध्यान रहे कि खड़े होकर पानी बिलकुल भी नहीं पीना है नहीं तो इससे आगे चलकर घुटनो और पिण्डलियों में दर्द की शिकायत होती है। इस पानी पीने के 45 मिनट तक कुछ भी खायें-पीयें नहीं।
  • इससे कब्ज, मधुमेह, ब्लडप्रेशर, लकवा ,लीवर के रोग, स्त्रियों का अनियमित मासिक स्राव, बवासीर , कील-मुहाँसे एवं फोड़े-फुंसी, एनीमिया, मोटापा, टी.बी., कैंसर ,पेशाब की बीमारियाँ , सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, आँखों की बीमारियाँ,मानसिक दुर्बलता, पेट के रोगो में बहुत ही लाभ मिलता है । हर मनुष्य को इस आसान से उपाय को अवश्य ही करना चाहिए ।
  • यदि उसमें चौथाई चम्मच काली मिर्च का पाउडर, थोड़ी सोंठ और थोड़ी सी अजवायन मिला दी जाय तो यह बहुत ही उत्तम साबित होता है । पेट के रोग और गठिया तो दूर दूर ही रहते है ।
    लेकिन गुर्दों की तकलीफ वाले इसे न पियें ऐसे व्यक्ति अपने चिकित्सक की सलाह लेकर ही पानी पियें ।

लकवे के ज्योतिषीय उपाय

  • लकवा का रोग होने पर एक काले कपड़े में पीपल की सूखी जड़ को बांधकर उसे लकवा से पीडि़त व्यक्ति के सिर के नीचे रखें तो कुछ ही दिनों में इससे लाभ मिलना शुरू हो जाता है ।
  • लकवा होने पर रोगी को लोहे की अंगूठी में नीलम और तांबे की अंगूठी में लहसुनिया जड़वाकर उसे क्रमश: मध्यमा और कनिष्ठा अंगुली में पहना दें। इससे भी लकवा में बहुत लाभ मिलता है ।
  • प्रत्येक शनिवार के दिन एक नुकीली कील से लकवा के रोगी के प्रभावित अंग को आठ बार उसारकर मन ही मन में शनिदेव का स्मरण करते हुए उसे पीपल के वृक्ष की मिट्टी में गाड़ दें। साथ ही यह निवेदन करें कि हे शनि देव जिस दिन लकवा का रोग दूर हो जाएगा, हम उस दिन किलों को निकाल लेंगे।
    ऐसा लगातार 21 शनिवार तक करें और जब लकवा का रोग ठीक हो जाए तब शनिदेव व पीपल को आभार प्रकट करते हुए वह सभी कीलें निकालकर उन्हें नदी में प्रवाहित कर दें।


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