भगवान शंकर बहुत ही जल्दी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाले देवता माने गए है इसलिए इन्हें देवो में देव महादेव कहा गया है । सावन माह में भगवान भोले नाथ (Bhagwaan Bhole Nath) की पूजा अर्चना का विशेष ही महत्व है। कहते है सावन में भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने से जातक को सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती है उसकी समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती है ।
जो व्यक्ति सावन में प्रतिदिन भगवान शंकर की पूजा नहीं कर सकते है, तो उन्हे सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत तो अवश्य ही रखना चाहिए। मान्यता है कि सावन माह में सोमवार के सभी व्रत रखकर डमरू वाले बाबा की पूर्ण श्रद्धा से पूजन करने से सभी मनोकामनायें पूर्ण हो जाती है ।
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रात: प्रदोष काल यानी दिन-रात के मिलन की घड़ी में भगवान शिव की आराधना (Bhagwan Shiv Ki Aradhana) बहुत ही शुभ मानी गई है। सावन में शिव पूजन से पहले हम सभी मनुष्यों को काले तिल जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए। भगवन शिव की पूजा के साथ ही माता पार्वती, गणेशजी, कार्तिकेय और नंदी की पुजा भी अवश्य करें।
- भगवान शिव जी की अराधना (Bhagwan Shiv Ki Aradhana) प्रात: काल पूर्व दिशा की ओर मुंह करके करनी चाहिए।
- शाम के समय में शिव जी की अराधना पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके करनी चाहिए।
- लेकिन अगर आप रात्रि में प्रभु भोलेनाथ की उपासना करते हैं तो आपका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
- पूजा करते समय कोई भी शिव मन्त्र का जाप अवश्य ही करते रहे । भगवान शिव की उपासना के बाद उनकी कपूर से आराधना अवश्य ही करनी चाहिए ।
- सावन में भगवान नीलकंठ का रुद्राभिषेक बहुत ही पुण्य दायक माना गया है । जो जातक सावन में भगवान भोलेनाथ का पूर्ण विधि विधान से बन्धु बांधवों के साथ रुद्राभिषेक करते है उनके ऊपर भगवान शिव और माता पार्वती की असीम कृपा बनी रहती है । जातक के परिवार के सभी सदस्य प्रेम पूर्वक, निरोगी रहते हुए दीर्घ आयु को प्राप्त होते है । उन्हें सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है ।
- जो लोग काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) से पीड़ित है उन्हें सावन में काल सर्प दोष की पूजा अथवा रुद्राभिषेक कराना चाहिए। उन्हें नाग पंचमी (Nag Panchmi) के दिन चांदी या ताम्बे का नाग-नागिन बनवाकर उसकी पूजा करनी चाहिए, और अपने पितरों को याद करते हुए नाग देवता का बहते पानी में श्रद्धापूर्वक विसर्जन करना चाहिए।
- सावन में प्रतिदिन प्रात: \ पंचामृत (गंगाजल, दूध, शहद, दही और घी) से भगवान शिव का अभिषेक करने से जातक की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती है ।
- सावन में प्रतिदिन भगवान शिव के मंदिर में जाकर शिवलिंग का दूध एवं काले तिल से अभिषेक करें। इससे भगवान शिव की कृपा से रोग दूर होते है। भगवान शिवपुराण में भी लिखा है कि भगवान भोलेनाथ को तिल चढ़ाने से रोगों का नाश होता है।
- सावन में प्रतिदिन शक्कर मिले हुए मीठे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें । यह करने से भगवान शिव की कृपा से दिमाग तेज होता है, ज्ञान प्राप्त होता है ।
- सावन में प्रतिदिन सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करें इससे धन धान्य की वृद्धि होती है, जीवन में सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है ।
- सावन में प्रतिदिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है । लेकिन ध्यान रहे कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, अमावस्या, संक्रांति और सोमवार को बिल्वपत्र नहीं तोड़ा जाता है अत: इन तिथियों से एक दिन पहले ही तोड़ा हुआ बिल्वपत्र चढ़ाएं।
- सावन में प्रतिदिन शिवलिंग पर बेल पत्र और शमी पत्र चडाने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते है , जातक की सभी आकस्मिक आपदाओं से रक्षा होती है ।
- सावन में प्रतिदिन शिवलिंग पर साबुत अक्षत (चावल ) चडाने से स्थाई धन लाभ होता है ।
- सावन में प्रतिदिन भगवान भोलेशंकर को जौ अर्पित करने से घर में सुख समृद्धि का स्थाई वास होता है ।
- सावन में प्रतिदिन शिवलिंग पर केसर मिला हुआ दूध चढ़ाने से विवाह में आने वाली समस्त अड़चने दूर होती है, मनचाहा जीवन साथी प्राप्त होता है विवाह के योग शीघ्र बनते ह
- सावन में प्रतिदिन शिवलिंग पर शहद चडाने से दाम्पत्य जीवन सुखमय रहता है, परिवार के सभी सदस्यों में पारस्परिक प्रेम बना रहता है ।