सावन भर सभी शिव भक्तों को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र और शमी पत्र अवश्य ही चढ़ाने चाहिए । इस संबंध में एक पौराणिक कथा है एक बार 88 हजार ऋषियों ने परम पिता ब्रह्मा से भगवान महादेव को प्रसन्न करने की विधि पूछी तब प्रसन्न होकर ब्रह्मा ही ने बताया कि भगवान शिव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर प्रसन्न होते हैं। इसी तरह एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र से और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक शमी पत्र से प्रसन्न होते है।
भगवान शिव को कभी भी हल्दी नहीं चढाई जाती है और उन्हें शंख से जल भी नहीं चढ़ाना चाहिए। हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार ये दोनों काम शिव पूजा में वर्जित बताये गए हैं।वैसे धार्मिक कार्यों में हल्दी का बहुत महत्व है। लेकिन हल्दी, शिवजी के अतिरिक्त अन्य सभी देवी-देवताओं को चढाई जाती है। चूँकि हल्दी सौंदर्य प्रसाधन में उपयोग की जाती है और शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, इसी कारण से भगवान भोलेनाथ को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें सफेद वस्त्र अर्पित करने चाहिए ।
- सावन माह में दूध, घी, दही और गाय के दान से भगवान शंकर शीघ्र ही प्रसन्न होते है । इसलिए अपने जीवन में सर्वत्र सफलता के लिए इन चीज़ो का दान अनिवार्य रूप से करना चाहिए ।
- भगवान शिव सफेद रंग के फूलों से विशेषकर सफ़ेद कमल से जल्दी प्रसन्न होते हैं। भगवान शंकर को धतूरे के पुष्प, हरसिंगार, व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के पुष्प चढ़ाने का विधान है। भगवान शंकर को धतूरे का फूल सबसे अधिक प्रिय है। इसके अलावा इनको बेलपत्र और शमी पत्र चढ़ाना बहुत ही शुभ माना जाता है।
- लेकिन भगवान शिव जी को सेमल, कदम्ब, अनार, शिरीष, माधवी, केवड़ा, मालती, जूही और कपास के पुष्प नहीं चढ़ाये जाते है ।