Tuesday, March 19, 2024
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सूर्य को अर्ध्य | Surya ko Ardhya

भगवान सूर्य देव को अर्ध्य देने के लाभ

इस संसार में भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देव कहा जाता है क्योंकि हर व्यक्ति इनके साक्षात दर्शन कर सकता है। रविवार भगवान सूर्य का दिन माना जाता है और सप्तमी तिथि के देवता भी भगवान सूर्य है। अगर सप्तमी तिथि रविवार के दिन पड़े तो उसका अति विशेष महत्व होता है इस दिन सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व है। रविवारीय सप्तमी भानु सप्तमी या सूर्य सप्तमी कहलाती है।

रविवार तथा सप्तमी तिथि को भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। भगवान सूर्य कि कृपा पाने के लिए तांबे के पात्र में लाल चन्दन,लाल पुष्प, अक्षत डालकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए उन्हें जल अर्पण करना चाहिए।

श्री सूर्यनारायण को तीन बार अर्घ्य देकर प्रणाम करना चाहिए। इस अर्घ्य से भगवान ‍सूर्य प्रसन्न होकर अपने भक्तों की हर संकटो से रक्षा करते हुए उन्हें आरोग्य, आयु, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, यश, कान्ति, विद्या, वैभव और सौभाग्य को प्रदान करते हैं । भगवान सूर्य देव कि कृपा प्राप्त करने के लिए जातक को प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व ही शैया त्याग कर शुद्ध, पवित्र जल से स्नान के पश्चात उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देना चाहिए।

भगवान सूर्य सबसे तेजस्वी और कांतिमय माने गए हैं। अतएवं सूर्य आराधना से ही व्यक्ति को सुंदरता और तेज कि प्राप्ति भी होती है । ह्रदय रोगियों को भगवान सूर्य की उपासना करने से विशेष लाभ होता है। उन्हें आदित्य ह्रदय स्तोत्र का नित्य पाठ करना चाहिए। इससे सूर्य भगवान प्रसन्न होकर अपने भक्तों को निरोगी और दीर्घ आयु का वरदान देते है।

सूर्य भगवान की कृपा पाने के लिए जातक को प्रत्येक रविवार अथवा माह के किसी भी शुक्ल पक्ष के रविवार को गुड़ और चावल को नदी अथवा बहते पानी में प्रवाहित करना चाहिए । तांबे के सिक्के को भी नदी में प्रवाहित करने से भी सूर्य भगवान की कृपा बनी रहती है। रविवार के दिन स्वयं भी मीठा भोजन करें एवं घर के अन्य सदस्यों को भी इसके लिए प्रेरित करें। हाँ भगवान सूर्यदेव को उस दिन गुड़ का भोग लगाना कतई न भूलें ।

ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को राजपक्ष अर्थात सरकारी क्षेत्र एवं अधिकारियों का कारक ग्रह बताया गया है।व्यक्ति कि कुंडली में सूर्य बलवान होने से उसे सरकारी क्षेत्र में सफलता एवं अधिकारियों से सहयोग मिलता है। कैरियर एवं सामाजिक प्रतिष्ठा में उन्नति के लिए भी सूर्य की अनुकूलता अनिवार्य मानी गयी है।

यह ध्यान रहे कि सूर्य भगवान की आराधना का सर्वोत्तम समय सुबह सूर्योदय का ही होता है। आदित्य हृदय का नियमित पाठ करने एवं रविवार को तेल, नमक नहीं खाने तथा एक समय ही भोजन करने से भी सूर्य भगवान कि हमेशा कृपा बनी रहती है।

यदि किसी व्यक्ति के पास आपका पैसा फँसा हो तो आप नित्य उगते हुए सूर्य को ताम्बे के पात्र में गुड, अक्षत, लाल चन्दन लाल फूल और लाल मिर्च के 11 दाने डालकर अर्ध्य दें और सूर्यदेव से मन ही मन अपने फंसे हुए धन को प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें, इस उपाय से तेज और यश की प्राप्ति होती है, आत्मविश्वास बढ़ता है और फँसा हुआ धन में अड़चने समाप्त होने लगती है।

मनोवांछित फल पाने के लिए निम्न मंत्र का उच्चारण करें।

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

भगवान सूर्य के किसी भी आसान और सिद्ध मंत्र का जाप श्रद्धापूर्वक अवश्य ही करें।

ॐ घृणि सूर्याय नम:।।

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:।।

ॐ ह्रीं घृणि सूर्य आदित्य श्रीं ओम्।

ॐ आदित्याय विद्महे मार्तण्डाय धीमहि तन्न सूर्य: प्रचोदयात्।

ऊं घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।

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