Friday, December 20, 2024
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डेंगू के उपचार, dengue ke upchar,


डेंगू के उपचार, dengue ke upchar,


आज दुनिया भर में डेंगू dengue एक जानलेवा महामारी बनता जा रहा है। डेंगू वायरल dengu vayral मादा मच्छर के काटने से होता है, जिसे एडीज इजिपटी / Aedes aegypti से भी पुकारा जाता है और जो लगभग पूरे विश्व में पाया जाता है । स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 1 साल में लगभग 8-10 करोड़ लोग डेंगू का शिकार dengu ka shikar, होते है।

डेंगू के मच्छर dengue ke machchar अकसर दिन में ही ज्यादा सक्रीय होते हैं और इन मच्छरों के काटने पर डेंगू की वजह से खून में प्लेट्लेट्स की मात्रा khoon men pletelets ki matra कम होने लगती है।

जिसे थ्रोमबोसाटोपनिया कहा जाता है और यदि ईलाज समय पर ना हो तो व्यक्ति गभींर स्थिति में पहुंच जाता है, मरीज़ की मृत्यु भी हो सकती है। डेंगू बुखार dengue bukhar होने पर डाॅक्टर को तुरंत उपचार के लिए दिखायें।

आयुर्वेद में भी डेंगू का इलाज है जिसे समय रहते करने पर डेंगू पर शीघ्र नियंत्रण होता है, खून में प्लेटलेट्स की मात्रा बढ़ने लगती है ।

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डेंगू के उपचार, dengue ke upchar,

* डेंगू में यदि रोगी बार बार उलटी कर रहा हो तो उसे सेब के रस में थोडा नीम्बू मिला कर दें, इससे उल्टियाँ बंद हो जाएंगी

आरोग्य दायक :- कैंसर एक घातक रोग है , इन उपायों को करने से कैंसर से होगा बचाव।

* डेंगू के इलाज Dengue ke ilaj में पपीते के पत्तों का रस सबसे ज्यादा उपयोगी माना जाता है। पपीते का पेड़ समान्यता घर के आसपास बहुत ही आसानी से मिल जाता है ।

मरीज़ को दिन में 3 – 4 बार पपीते की ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर दें , इससे एक दिन में ही प्लेटलेट की संख्या में सुधार होने लगता है । रोगी को दिन में कई बार पपीता भी खिलाना चाहिए ।

* डेंगू के इलाज Dengue ke ilaj में गिलोय की बेल का सत्व बहुत जी ज्यादा महत्वपूर्ण है। गिलोय एक बहुत ही चमत्कारी औषधि है। इसके पत्ते पान के पत्तों की तरह होते हैं।

किसी भी प्रकार के रोगाणुओं, जीवाणुओं आदि से पैदा होने वाली बीमारियों जैसे डेंगू, स्वाइन फ्लू, मलेरिया आदि; रक्त के प्रदूषित होने से पुराने बुखार एवं यकृत की कमजोरी के लिए गिलोय रामबाण की तरह काम करती है।

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* गिलोय बेल की डंडी को लेकर सबसे पहले उसके छोटे टुकड़े करें, इसमें 8 -10 तुलसी के पत्ते भी डाल दें। फिर उसे 2 गिलास पानी मे उबालें, जब पानी आधा रह जाए तो उसे उबालना बंद कर दें। अब इसको थोड़ा ठंडा करके रोगी को पिलाएं। ऐसा दिन में 3 – 4 बार करें ।
इसके पहली बार के सेवन के 2 घंटे बाद से ही शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स बढ़ने शुरू हो जाते है और बुखार भी नियंत्रित हो जाता है।

* गिलोय के रस से शरीर में रोग से लड़ने की शक्ति बढती है , कमजोरी दूर होती है तथा कई अन्य रोगों का भी नाश होता है। इसकी कड़वाहट को कम करने के लिए इसे किसी अन्य जूस में मिलाकर पियें यदि गिलोय की बेल आपको ना मिले तो किसी भी पतंजली चिकित्सालय में जाकर “गिलोय घनवटी” ले आयें और रोगी को उसकी एक एक गोली दिन में 3 बार दें।

* इसके अतिरिक्त नींबू का रस भी बहुत ही कारगार सिद्ध होता है । नींबू में विटामिन सी बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है । डेंगू के मरीज़ को नींबू का रस बार बार देना चाहिए। इससे पूरे शरीर की अंदर से सफाई हो जाती है । नींबू के रस के सेवन से पेशाब द्वारा शरीर से डेंगू के वायरस निकलने लगते हैं। इससे रोगी को शीघ्र ही आराम मिलता है ।


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* डेंगू में खून में प्लेटलेट्स को बढ़ाने के लिए khoon men pletelets ki matra baane ke liye आंवला बहुत उपयोगी आयुर्वेदिक उपचार है। आंवला में भरपूर मात्रा में मौजूद विटामिन सी शरीर में प्‍लेटलेट्स sharir men pletelets को बढ़ावा देता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ाता है।

नियमित रूप से खाली पेट सुबह के समय 2 – 3 आंवला खाने अथवा दो चम्‍मच आंवले के जूस पीने से डेंगू से बचाव होता है। अगर मधुमेह की शिकायत नहीं है तो आँवले के जूस में शहद मिलाकर भी उसे ले सकते हैं।

* डेंगू में कद्दू का सेवन भी बहुत कारगर माना जाता है। बहुत से लोगो का मानना है कि कद्दू के आधे गिलास जूस में एक से दो चम्मच शहद डालकर दिन में दो बार लेने से भी डेंगू में सुधार होता है, खून में प्लेटलेस्ट की संख्या बढ़ जाती है।

* एक व्यक्ति ने अपने अनुभव से बताया है कि , यदि किसी को डेंगू dengu हुआ हो तो हरी ईलायची के दानो को मुँख में दोनो तरफ रखे, ध्यान रहे , उसे चबाये नही, हरी ईलायची के दानो को खाली मुँख में रखने से ही खून में प्लेटलेट्स बढ़ने लगते हैं ।

* डेंगू से बचाव dengue se bachav के लिए किसी भी होमपयोपैथिक की दुकान से “यूपेटोरियम परफोलिएटम-200” की एक हफ्ते तक खाली पेट सुबह डोज लीजिये, डेंगू से बचे रहेंगे।

* डेंगू बुखार के इलाज के लिए निम्नलिखित आयुर्वेदिक दवा का इस्तेमाल कीजिये ।

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* महासुदर्शन घन वटी एक गोली

* सप्त पर्ण घन वटी एक गोली

* महाज्वरान्कुश रस एक गोली

* आनद भैरव रस एक गोली

इन चार गोलियों को मिलाकर एक खुराक दवा बनती है । इस दवा को सादे / गुनगुने पानी अथवा चाय या दूध से दो दो घन्टे के अन्तराल से अथवा तीन या चार घन्टे के अन्तराल से देना चाहिये। एक या दो दिन में बुखार और इसके सभी दुष्प्रभाव ठीक हो जाते है।

उपरोक्त दी गयी खुराक एक पूर्ण वयस्क वयक्ति के लिये है । छोटे ब्च्चों के लिये आधी या चौथायी खुराक ही दे ।

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इस साइट के सभी आलेख शोधो, आयुर्वेद के उपायों, परीक्षित प्रयोगो, लोगो के अनुभवों के आधार पर तैयार किये गए है। किसी भी बीमारी में आप अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य ही लें। पहले से ली जा रही कोई भी दवा बंद न करें। इन उपायों का प्रयोग अपने विवेक के आधार पर करें,असुविधा होने पर इस साइट की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी ।

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