Wednesday, April 16, 2025
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शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 12 अप्रैल 2025 का पंचांग,

आप सभी को भगवान हनुमान जी के प्राकट्य दिवस की हार्दिक शुभकामनायें, जय श्री हनुमान


Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 12 April 2025 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )

    12 अप्रैल
    2025 का पंचांग, 12 April 2025 ka Panchang,
  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।

* विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1946,
* कलि संवत 5126,
* अयन – उत्त्तरायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास –
चैत्र माह,
* पक्ष –
शुक्ल पक्ष,
*चंद्र बल –
मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर,

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शनिवार को शनि महाराज की होरा :-

प्रात: 6.15 AM से 7.17 AM तक

दोपहर 01.28 PM से 2.29 PM तक

रात्रि 20.33 PM से 9.31 PM तक

शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

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शनि देव के मन्त्र :-

ॐ शं शनैश्चराय नमः।

अथवा

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।।

  • तिथि (Tithi)- पूर्णिमा 5.41 AM, रविवार 13 अप्रैल तक ।
  • तिथि का स्वामी – पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्रदेव जी है ।

आज चैत्र माह की हिन्दु नव वर्ष की प्रथम पूर्णिमा है । पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें।

पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।

पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव जी है, पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से अवश्य ही करनी चाहिए।

पूर्णिमा तिथि के दिन चन्द्र देव जी के मन्त्र

ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:। अथवा

ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।

का जाप करने से कुंडली में चन्द्रमा के शुभ फल मिलने लगते है ।

इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने और चन्द्रमा की चांदनी में अवश्य बैठें ।

पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए ।

पूर्णिमा के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है।

पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए । पूर्णिमा के दिन गरीब या जरुरतमंद को दान करने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

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आज चैत्र माह की पूर्णिमा, भगवान श्री राम जी के परम भक्त, पवनसुत हनुमान जी का प्राकट्य दिवस है ।

माना जाता है की त्रेतायुग के अन्तिम चरण चैत्र माह की पूर्णिमा, मंगलवार के दिन, चित्रा नक्षत्र, मेष लग्न के योग में सुबह 4 बजे श्री हनुमान जी ने वानरराज केसरी और देवी अंजना के यहां माँ अंजना के कोख से वानर रूप में अवतार लिया था लिया था । वे भगवान् शिव के 11 वें अवतार थे ।

एक मान्यता के अनुसार इंद्र के राज्य में विराजमान वायुदेव ने ही माता अंजनी के गर्भ में हनुमानजी को भेजा था, इस कारण उन्हें वायुपुत्र एवं पवनपुत्र भी कहा जाता है।

ब्रह्मांडपुराण में हनुमान जी के पिता वानर राज केसरी और हनुमान जी के भाइयों के बारे में बताया गया है। इसमें हनुमान जी के पिता केसरी जी के कुल 6 पुत्र बताए गए हैं और सभी में बजरंगबली को सबसे बड़ा बताया गया है।

वैसे तो हनुमान जी को ब्रह्मचारी कहा गया है लेकिन शास्त्रों में उनकी पत्नी और उनके पुत्र का भी उल्लेख है ।

हनुमानजी बहुत ही शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं , हनुमान जी को कलयुग के साक्षात देवता कहा गया है अर्थात हनुमान जी कलयुग में भी जीवित देवता है।

शास्त्रों के मुताबिक मंगलवार और शनिवार हनुमान जी का दिन होता है और उस दिन उनकी अराधना का साधक को विशेष लाभ होता है मान्यता है कि हनुमान जयंती / हनुमान जन्मोत्सव यदि मंगलवार अथवा शनिवार के दिन पड़े तो इस दिन हनुमान जी की अराधना या किये गए उपाय उनके भक्तो को अति विशेष फल प्रदान करते है।

आज किसी भी हनुमान मंदिर में जाकर बजरंग बलि जी के दर्शन अवश्य ही करें । मान्यता है कि आज के दिन मंदिर में हनुमान जी के दर्शन, प्रशाद चढ़ाने से पूरे वर्ष का फल मिल जाता है ।

हनुमान जी को सिंदूर बहुत प्रिय है। हनुमान जी की कृपा पाने, किसी भी संकट से छुटकारा पाने के लिए हनुमान जंयती के दिन बजरंगबली को सिंदूर का चोला अवश्य चढ़ाएं ।

कार्यो में श्रेष्ठ सफलता के लिए हनुमान जी को लौंग लगे मीठे पान का भोग लगाएं ।

हनुमान जयंती / हनुमान जन्मोत्सव के दिन नारियल को सिर से 8 बार वारकर हनुमान जी के चरणों में रखें ।

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नक्षत्र (Nakshatra) – हस्त 18.08 PM तक तत्पश्चात चित्रा,

नक्षत्र के स्वामी :-       हस्त नक्षत्र के स्वामी चंद्र देव जी एवं राशि के स्वामी बुध देव जी है ।

आकाश मंडल में हस्त नक्षत्र को 13 वां नक्षत्र माना जाता है। यह आकाश में हाथ के पंजे के आकार में फैला सा नज़र आता है जो शक्ति, एकता, ताकत तथा भाग्य का प्रतीक है, इसमें सकारात्मक ऊर्जा मानी जाती है ।  

यह नक्षत्र विजय, बुद्दिमता और जीवन जीने की ललक को प्रदर्शित करता है। इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : चमेली रीठा तथा स्वाभाव शुभ माना गया है।

हस्त नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर चंद्र और बुध का प्रभाव बना रहता है।

इस नक्षत्र में जन्मा जातक शांत, दयालु, आकर्षक और वफादार होते हैं। यह एक अवसर तलाशने वाले, बुद्धिमान, मिलनसार, शांत और विनम्र स्वभाव के होते हैं ।

यदि चन्द्र और बुध की जन्म कुंडली में स्थिति खराब हो तो जातक दब्बू, डरपोक, शीघ्र क्रोध करने वाला,अनैतिक कार्यो में लिप्त रहने वाला शराब का लती भी हो सकता है ।

इन नक्षत्र के लोगो का 30 से 42 वर्ष की आयु के बीच का समय सबसे भाग्यशाली होता है।

हस्त नक्षत्र में पैदा हुई स्त्री, आकर्षक, मिलनसार बड़ो का सम्मान करने वाली होती हैं।  किसी के भी अधीन रहना इनको पसंद नहीं होता है, समान्यता इनका पारिवारिक दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

हस्त नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 5,  भाग्यशाली रंग, गहरा हरा, भाग्यशाली दिन  सोमवार, शुक्रवार और बुधवार माना जाता है ।

हस्त नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ सावित्रे नम: “। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

ब्रह्मा जी ने देवी दुर्गा को प्रसन्न करने की सर्वोत्तम विधि कन्या पूजन को ही है बताया, इस तरह से करें कन्या पूजन भाग्य हीरे की तरह लगेगा चमकने

अगर 50 की जगह 25, 60 की जगह 30 की उम्र चाहते है, जीवन में डाक्टर के पास ना जाना हो तो अवश्य करे ये उपाय   

  • योग (Yog) – व्याघात 20.41 PM तक तत्पश्चात हर्षण
  • योग के स्वामी, स्वभाव :-   अतिगण्ड योग के स्वामी चंद्र देव जी लेकिन स्वभाव हानिकारक  है ।
  • प्रथम करण : – विष्टि 16.35 AM तक,
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-     विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
  • द्वितीय करण : – बव 05.51 AM रविवार 13 अप्रैल तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • ब्रह्म मुहूर्त : 4.29 AM से 5.14 AM तक
  • विजय मुहूर्त : 14.30 PM से 15.21 PM तक
  • गोधूलि मुहूर्त : 18.44 PM से 19.06 PM तक
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।

    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 05:59 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18:45 PM
  • विशेष – पूर्णिमा और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना, क्रोध करना, हिंसा करना मना है । ऐसा करने से दुर्भाग्य आता है, दुःख, कलह और दरिद्रता के योग बनते है  । 


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  • पर्व त्यौहार- चैत्र माह की पूर्णिमा, बजरंग बलि जी का प्राकट्य दिवस
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

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