Shiv Pariwar, शिव परिवार,
- भगवान श्री गणेश भगवान शिव (Bhagwan Shiv) के छोटे पुत्र हैं। श्री गणेश जी देवताओं में सर्वप्रथम पूजे जाते है। किसी भी शुभ कार्य से पहले इनका पूजन अवश्य ही किया जाता है तभी पूजा का फल मिलता है।
- इनके पूजन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इनका मुख हाथी का है इसलिए इन्हें गजमुख के नाम से भी जाना जाता है। ग्रंथों में इन्हें बुद्धि के देवता और विघ्नहर्ता अर्थात समस्त विघ्नों को दूर करने वाला कहा गया है।
- भगवान शिव (Bhagwan Shiv) की एक पुत्री भी है । पद्मपुराण के अनुसार उनका नाम ‘अशोक सुंदरी’ Ashok sundari है, वह देवकन्या है इनका विवाह राजा नहुष से हुआ था। शास्त्रों के अनुसार माता पार्वती के अकेलेपन को दूर करने हेतु कल्पवृक्ष नामक पेड़ के द्वारा ही अशोक सुंदरी की रचना हुई थी।
- हिन्दु धर्म शास्त्रो में भगवान शिव (Bhagwaan Shiv) की दो बहुओं के बारे में बताया गया है वह है भगवान श्रीगणेश की पत्नी सिद्धि और बुद्धि। शिवपुराण के अनुसार, ये प्रजापति विश्वरूप की पुत्रियां हैं।
- धर्म ग्रंथो में कई स्थानों पर इनका नाम रिद्धि और सिद्धि लिखा गया है। शास्त्रो के अनुसार सिद्धि समस्त कार्यों में, मनोरथों में मनवाँछित सफलता देती है। वहीँ रिद्धि अर्थात बुद्धि मनुष्य को ज्ञान, विवेक प्रदान करती हैं।
- ग्रंथो में भगवान शिव (Bhagwaan Shiv) के दो पौत्र, भगवान गणेश के पुत्र क्षेम और लाभ को बताया गया है । ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, क्षेम देव हमारे द्वारा अर्जित पुण्य, धन-संपत्ति, हमारे ज्ञान और मान सम्मान को सुरक्षित रखते हैं। अर्थात क्षेम देव हमारे परिश्रम से अर्जित की गई हर वस्तु को सुरक्षित रखते हैं, उसे बढ़ाते हैं, कम नहीं होने देते है,
वही दूसरी ओर लाभ देव उसमे निरंतर वृद्धि करते है हमें शुभ लाभ देते है। लाभ देव हमारी सुख – समृद्धि, हमारे ज्ञान, हमारे यश को लगातार बढ़ाते है ।
- मान्यता है कि इस पूरे शिव परिवार की नित्य आराधना करने से भगवान भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते है और अपने भक्तो के सभी मनोरथ पूर्ण करते है ।