काल सर्प दोष क्या है, kaal sarp dosh kya hai
कालसर्प योग kaal sarp yog एक ऐसा योग है जो जातक के पूर्व जन्म के किसी अपराध के दंड या शाप के फलस्वरूप उसकी जन्मकुंडली में विधमान होता है। यह जानना बहुत जरुरी है की क्या है कालसर्प योग क्या है, kaal sarp yog kya hai ? जब कुंडली में सातों ग्रह राहु व केतु के बीच हों तो यह घातक कालसर्प योग, अर्थात काल सर्प दोष बनता है।
इसमें व्यक्ति आर्थिक व शारीरिक रूप से परेशान तो होता ही है, उसे संतान संबंधी कष्ट भीं होता है। उसको हमेशा आर्थिक संकट घेरे रहते है। उसे तरह तरह के रोग भी सताते रहते हैं। बनते कामों में बेवजह रुकावटें आती रहती है।ऐसे व्यक्ति को जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखने को मिलते है ।
कालसर्प योग वाले बहुत से ऐसे व्यक्ति भी हो चुके हैं, जो अनेक कठिनाइयों को झेलते हुए भी ऊंचे पदों पर पहुंचे। जिनमें भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्व॰ पं॰ जवाहर लाल नेहरू, स्व॰ मोरारजी भाई देसाई व स्व॰ चंद्रशेखर सिंह भी कालसर्प से ग्रसित थे। किंतु वे फिर भी भारत के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित कर चुके हैं। अत: किसी भी स्थिति में व्यक्ति को मायूस नहीं होना चाहिए और उसे अपने कर्तव्यों का पालन पूरे मनोयोग योग से करना चाहिए ।
kaal sarp yog, काल सर्प योग,
मुख्य रूप से 12 कालसर्प योग माने गए है ।
1 अनंत कालसर्प योग
2 कुलिक कालसर्प योग
3 वासुकि कालसर्प योग
4 शंखपाल कालसर्प योग
5 पदम कालसर्प योग
6 महापदम कालसर्प योग
7 तक्षक कालसर्प योग
8 कारकोटक कालसर्प योग
9 शंखचूड़ कालसर्प योग
10 घातक कालसर्प योग
11 विषधर कालसर्प योग
12 शेषनाग कालसर्प योग
यदि कालसर्प योग Kaal Sarp Yog का प्रभाव किसी जातक के लिए अनिष्टकारी हो तो उसे जीवन में सफलता हेतु इसके उपाय अवश्य ही करने चाहिए।
काल सर्प योग के उपाय Kaal Sarp Yog ke upay के लिए सावन मास की बहुत महत्ता मानी गयी है । विशेषकर काल सर्पयोग के उपाय का अचूक समय सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी नाग पूजा का दिन अर्थात नाग पंचमी मानी गयी है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि के देवता शेषनाग हैं। इसलिए यह दिन बहुत शुभ फल देने वाला माना जाता है। नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष शांति के लिए नाग और शिव की विशेष पूजा और उपासना से जीवन में आ रही बाधाएं निश्चित ही दूर होती है ।
काल सर्प योग के उपाय नदी के किनारे या शंकरजी के मंदिर में किये जाने चाहिये। कालसर्प योग शांति के लिए उज्जैन में महाकाल और नासिक में त्रयंबकेश्वर सबसे सिद्ध स्थान माना गया है । काल सर्प योग से पीड़ित जातक को यथसंभव इन स्थानों पर जाकर दर्शन, पूजा अर्चना अवश्य ही करनी चाहिए ।