Sunday, December 1, 2024
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रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 1 दिसंबर का पंचांग 2024 का पंचांग,

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रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,

1 दिसंबर 2024 का पंचांग, 1 December 2024 ka Panchang,

अवश्य पढ़ें :-  मनचाही नौकरी चाहते हो, नौकरी मिलने में आती हो परेशानियाँ  तो अवश्य करें ये उपाय 

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)



पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।

रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
1 दिसंबर 2024 का पंचांग
, 1 December 2024 ka Panchang,

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इस लक्ष्मी मंदिर में विश्व में सबसे ज्यादा सोना लगा है, जानिए कहाँ और कैसा है माँ लक्ष्मी का यह अद्भुत मंदिर,

भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।

रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।

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आज अमावस्या के दिन इस उपाय से कार्यो से अड़चने होने लगेगी दूर

*विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – मार्गशीर्ष माह
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
* चंद्र बल – मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन,

रविवार को सूर्य देव की होरा :-

प्रात: 6.56 AM से 7.49 AM तक

दोपहर 01.02 PM से 01.54 PM तक

रात्रि 19.39 PM से 8.47 PM तक

रविवार को सूर्य की होरा में अधिक से अधिक अनामिका उंगली / रिंग फिंगर पर थोड़ा सा घी लगाकर मसाज करते हुए सूर्य देव के मंत्रो का जाप करें ।

सुख समृद्धि, मान सम्मान, सरकारी कार्यो, नौकरी, साहसिक कार्यो, राजनीती, कोर्ट – कचहरी आदि कार्यो में सफलता के लिए रविवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

रविवार के दिन सूर्य देव की होरा में सूर्य देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

भाई दूज के दिन अवश्य पढ़िए यह कथा, रोग, अकाल मृत्यु से होगा बचाव, पूरे वर्ष सुख – सौभाग्य की होगी प्राप्ति

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सूर्य देव के मन्त्र :-

ॐ भास्कराय नमः।।

अथवा

ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।

  • तिथि (Tithi) – अमावस्या 11.50 AM तक तत्पश्चात प्रतिपदा
  • तिथि के स्वामी :- अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव जी और प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है ।
  • आज 30 नवम्बर शनिवार को मार्गशीर्ष माह की अमावस्या है। इस बार मार्गशीर्ष माह की अमावस्या दो दिन 30 नवम्बर और 1 दिसंबर दोनों ही दिन है ।
  • अमावस्या तिथि शनिवार 30 नवम्बर को सुबह 10.30 से प्रारम्भ होगी जो अगले दिन रविवार को 11. 50 बजे तक रहेगी । अमावस्या तिथि का मान दोनों ही दिन होगा ।
  • अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव को माना गया है । मार्गशीर्ष माह की अमावस्या पितरो के निमित्त बहुत ही महत्वपूर्ण मानी गई है ।
  • पीपल के पेड़ पर पितरों का वास माना गया है। अमावस्या के दिन सुबह के समय लोहे के बर्तन में, दूध, पानी, काले तिल, शहद एवं जौ मिला कर समस्त सामग्री पीपल की जड़ में अर्पित करके पीपल की 7 परिक्रमा करें, तथा इस दौरान “ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः” मंत्र का जाप भी लगातार करते रहें ।
  • इस उपाय को करने से पितृ प्रसन्न होते है, उनका आशीर्वाद मिलता है ।
  • अमावस्या तिथि को पितरों के तर्पण, दान के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है । इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देकर अपने पितरों की शांति के लिए उनका तर्पण करते हैं ।
  • आज पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए घर पर ब्राह्मण को भोजन कराएं एवं उसे यथा शक्ति दान – दक्षिणा प्रदान करें ।
  • अमावस्या के दिन घर पर खीर अवश्य बनायें फिर उसमें थोड़ी सी खीर दोने पर निकाल कर पित्रों के निमित पीपल पर रख आएं ।
  • हर अमावस्या को गहरे गड्ढे या कुएं में एक चम्मच दूध डालें इससे कार्यों में बाधाओं का निवारण होता है ।
  • इसके अतिरिक्त अमावस्या को आजीवन जौ दूध में धोकर बहाएं, आपका भाग्य सदैव आपका साथ देगा ।
  • अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए। अमावस्या पर देवी-देवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।

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  • नक्षत्र (Nakshatra) – अनुराधा 14.24 PM तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-         अनुराधा नक्षत्र के देवता मित्र, भैरव जी तथा स्वामी शनि देव जी है ।  

अनुराधा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 17 वां है। आकाश मंडल में अनुराधा 4 तारों का समूह मंडल है।  

यह एक कमल का फूल जैसा लगता है जो हर परिस्तिथि में खिलने की क्षमता का प्रतीक है। यह सुरक्षा और शक्ति का भी प्रतीक है।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : मौलश्री तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। अनुराधा नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है।  इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर शनि और मंगल दोनों ही ग्रहों का प्रभाव हमेशा रहता है।

इस नक्षत्र में जन्मे जातक आकर्षक, बुद्धिमान, बहादुर, परिश्रमी, नेतृत्व करने वाले, भरोसेमंद, ऊर्जावान तथा धार्मिक होते है।

लेकिन शनि – मंगल के शुभ ना होने पर जातक के जीवन में बहुत अस्थिरता रहती है, वह स्वार्थी, कठोर, क्रूर स्वभाव, असंतुष्ट, और बहुत चिंता करने वाला हो सकता है ।

अनुराधा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8,  भाग्यशाली रंग लाल, सुनहरा और भूरा,  भाग्यशाली दिन  शनिवार, सोमवार और गुरुवार माना जाता है ।

अनुराधा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को ॐ अनुराधाभ्यो नमः। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें, सूर्य देव के नामों का स्मरण करें ।

इस नक्षत्र के जातको को भगवान शिव और विष्णु  जी की पूजा करने से भी शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।


घर के बैडरूम में अगर है यह दोष तो दाम्पत्य जीवन में आएगी परेशानियाँ, जानिए बैडरूम के वास्तु टिप्स

  • योग (Yog) – सुकर्मा 16.34 PM तक तत्पश्चात धृति
  • योग के स्वामी :-    सुकर्मा योग के स्वामी इंद्र जी और स्वभाव शुभ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – नाग 11.50 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- नाग करण के स्वामी नागदेव और स्वभाव क्रूर है ।
  • द्वितीय करण : – किस्तुघ्न 12.20 AM 2 दिसंबर तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- किस्तुघ्न करण के स्वामी मरुत और स्वभाव क्रूर है ।
  • गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:57
  • सूर्यास्त – सायं 17:24

    आँखों की रौशनी बढ़ाने, आँखों से चश्मा उतारने के लिए अवश्य करें ये उपाय

  • विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

    रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।

    रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।

  • अमावस्या के दिन तुलसी के पत्ते, बिल्व पत्र या किसी भी तरफ के फूल पत्तो को बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए।
  • अमावस्या,  श्राद्ध और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, तुलसी जी, किसी भी तरह के फूल पत्ती को तोड़ना, सहवास करना निषिद्ध है। 
  • पर्व त्यौहार- मार्गशीर्ष माह की अमावस्या
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।

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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

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