Tuesday, March 19, 2024
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उत्तर दिशा के घर का वास्तु, uttar disha ke ghar ka vastu,

उत्तर दिशा के घर का वास्तु, uttar disha ke ghar ka vastu,

वास्तु शास्त्र में उत्तर दिशा के घर, uttar disha ke ghar / भूखण्ड बहुत ही उत्तम माने जाते है। ऐसे भवन जिनके उत्तर दिशा में मार्ग हो वह उत्तर मुखी भवन, uttar mukhi bhawan कहे जाते है ।

उत्तर दिशा के घर का वास्तु, uttar disha ke ghar ka vastu, अगर वास्तु सम्मत हो तो उसके बहुत ही अच्छे परिणाम प्राप्त होते है।

उत्तर दिशा, का उस भवन में रहने वाली स्त्रियों और उस भवन में रहने वालो की आर्थिक स्थिति पर सीधा प्रभाव पड़ता है । उत्तर दिशा के घर, uttar disha ke ghar उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों, व्यवस्थापकों और सरकारी मुलाजिमों के लिए बेहतर होते हैं।

यहाँ पर हम उत्तर दिशा के घर का वास्तु, uttar disha ke ghar ka vastu, के आसान और अचूक उपाय बता रहे है जिनका पालन करने से निश्चय ही उस भवन के लोगो को श्रेष्ठ फलो की प्राप्ति होगी।

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जानिए, उत्तर दिशा के घर का वास्तु, uttar disha ke ghar ka vastu, उत्तरमुखी भवन का वास्तु, uttar mukhi bhawan ka vastu,

उत्तर दिशा के घर का वास्तु, uttar disha ke ghar ka vastu,

* उत्तर दिशा के भवन में सामने के अर्थात उत्तर दिशा में बनाये गए कमरो का फर्श दक्षिण और पश्चिम दिशा के कमरों के फर्श से सदैव नीचा ही होना चाहिए ।

* उत्तर दिशा के भवन में मुख्य द्वार उत्तर पूर्व अर्थात ईशान कोण में बनाना सर्वोत्तम होता है। उत्तर दिशा में मुख्य द्वार भी अति उत्तम है लेकिन उत्तर पश्चिम अर्थात वायव कोण में द्वार नहीं बनाना चाहिए ।

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* भवन में सर्वप्रथम दक्षिण दिशा में निर्माण कराना चाहिए और उत्तर दिशा में सबसे बाद । उत्तर दिशा की चारदीवारी का निर्माण तो बिलकुल अंत में ही होना चाहिए ।

* इस तरह के भवन में उत्तर दिशा की तरफ रिक्त स्थान और भवन में उत्तर की तरफ ही ढाल बहुत ही लाभप्रद होता है।

* उत्तर एवं पूर्व दिशा में रिक्त स्थान तो हो लेकिन वहाँ पर चारदीवारी भी अवश्य होनी चाहिए अर्थात यह दिशा सड़क की तरफ बिलकुल मिली हुई नहीं होनी चाहिए । साथ ही यह भी ध्यान रहे कि इस तरफ की चारदीवारी का निर्माण भवन निर्माण के सबसे अंत में ही कराना चाहिए ।

* उत्तर मुखी भवन में अगर भवन के आगे रिक्त स्थान ना हो और भवन का निर्माण चारदीवारी से मिला कर किया गया हो अथवा दक्षिण दिशा में रिक्त स्थान हो तो उस भवन में सदैव धन की कमी बनी रहती है, गृह स्वामी पर अनावश्यक खर्चे और कर्जो का दबाव रहता है ।

* उत्तर मुखी भवन में दक्षिण दिशा में सबसे पहले कार्य आरम्भ कराना चाहिए और दक्षिण का निर्माण उत्तर से सदैव ऊँचा एवं हल्का रहना चाहिए । अन्यथा धन हानि के साथ साथ घर की स्त्रियों का स्वास्थ्य भी प्रभावित रहता है ।

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* इस दिशा के भवन के दक्षिण के कमरो में भारी सामान और छत के दक्षिण में टी वी का ऐंटिना, पानी की टंकी आदि ऊँचे और भारी सामान ही रखने चाहिए ।

सुनील परदल
वास्तु विशेषज्ञ

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Published By : Memory Museum
Updated On : 2021-06-04 06:00:55 PM

Pandit Ji
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