बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 25 दिसम्बर 2024 का पंचांग,
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पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए बुधवार का पंचांग, Budhvar Ka Panchang, आज का पंचांग, aaj ka panchang,
बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)
25 दिसम्बर 2024 का पंचांग, ( Panchang ), 25 December 2024 ka Panchang,
गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।
शरद पूर्णिमा के दिन इस उपाय से जीवन भर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की मिलेगी असीम कृपा,
बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।
बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।
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*विक्रम संवत् 2081,
*शक संवत – 1945
*कलि संवत 5124
*अयन – दक्षिणायन
*ऋतु – शरद ऋतु
*मास – पौष माह
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,
बुधवार को बुध की होरा :-
प्रात: 7.11 AM से 8.03 AM तक
दोपहर 01.13 PM से 2.04 PM तक
रात्रि 19.48 PM से 8.56 PM तक
बुधवार को बुध की होरा में हाथ की सबसे छोटी उंगली और बुध पर्वत को हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक बुध देव के मन्त्र का जाप करें ।
ज्योतिष, पढ़ाई, लिखाई, सीखने, वाकपटुता, अपना प्रभाव डालने और व्यापार में सफलता के लिए बुध की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
बुधवार के दिन बुध की होरा में बुध देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
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बुध देव के मन्त्र
“ॐ बुं बुधाय नमः” अथवा
“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।।”
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- तिथि (Tithi) – दशमी तिथि 22.29 PM तक तत्पश्चात एकादशी I
- तिथि के स्वामी – दशमी तिथि के स्वामी यमराज जी और एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेव जी है ।
दशमी तिथि के देवता यमराज जी हैं। यह दक्षिण दिशा के स्वामी है। इनका निवास स्थान यमलोक है। शास्त्रों के अनुसार यमराज जी मृत्यु के देवता कहे गए हैं।
गरुड़ पुराण के अनुसार यमराज के महल को कालित्री महल कहते हैं और उनके सिंहासन को विचार-भू कहते हैं।
पद्म पुराण में उल्लेख मिलता है कि यमलोक पृथ्वी से 86,000 योजन यानी करीब 12 लाख किलोमीटर दूर है।
गरुड़ पुराण में यमलोक में चार द्वार बताए गए हैं। पूर्वी द्वारा से प्रवेश सिर्फ धर्मात्मा और पुण्यात्माओं को मिलता है जबकि दक्षिण द्वार से पापियों का प्रवेश होता है जिसे यमलोक में यातनाएं भुगतनी पड़ती है।
साधु-संतों को उत्तर दरवाजे से और दान पुण्य करने वाले मनुष्यों को पश्चिम द्वार से प्रवेश मिलता है।
यमराज जी भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा के पुत्र है, यमुना अर्थात (यमी) इनकी जुड़वां बहन और मनु इनके भाई कहे गए है।
यमराज की पत्नी का नाम देवी धुमोरना तथा इनके पुत्र का नाम कतिला है।
यमराज जी का वाहन महिष / भैंसे को माना गया हैं। वे समस्त जीवों के शुभ अशुभ कर्मों का निर्णय करते हैं।
इस दिन इनकी पूजा करने, इनसे अपने पापो के लिए क्षमा माँगने से जीवन की समस्त बाधाएं दूर होती हैं, निश्चित ही सभी रोगों से छुटकारा मिलता है, नरक के दर्शन नहीं होते है अकाल मृत्यु के योग भी समाप्त हो जाते है।
मथुरा में स्थित यमराज और उनकी बहन यमुना जी का एक प्राचीन मंदिर है उस मंदिर को यमुना धर्मराज मंदिर कहते है। देश में भाई-बहन का ये एकमात्र मंदिर है।
मान्यता है कि, भाई बहन इस मंदिर में भैया दूज के दिन एक साथ स्नान करते हैं। इससे उन्हें मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
इस तिथि को धर्मिणी भी कहा गया है। समान्यता यह तिथि धर्म और धन प्रदान करने वाली मानी गयी है ।
दशमी तिथि में नया वाहन खरीदना शुभ माना गया है। इस तिथि को सरकार से संबंधी कार्यों का आरम्भ किया जा सकता है।
यमराज जी का समस्त रोगों को बाधाओं को दूर करने वाले मन्त्र :- “ॐ क्रौं ह्रीँ आं वैवस्वताय धर्मराजाय भक्तानुग्रहकृते नम : “॥ की एक माला का जाप अथवा कम से कम 21 बार इस मन्त्र का जाप करें ।
दशमी को परवल नहीं खाना चाहिए।
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नक्षत्र (Nakshatra) – चित्रा 15.22 PM तक स्वाति
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- चित्रा नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा जी एवं चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल देव जी है ।
चित्रा नक्षत्र नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 14 वां है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चित्रा नक्षत्र का शासक ग्रह चंद्र देव जी है।
यह एक मोती या उज्ज्वल गहने की तरह है जो चमकते प्रकाश सा हमारे भीतर की आत्मा का प्रतीक है। 27 नक्षत्रों में चित्रा नक्षत्र सबसे ज्यादा चमकने वाला नक्षत्र भी बताया जाता है ।
चित्रा नक्षत्र कलात्मकता, रचनात्मकता का प्रतीक है, इसीलिए इस नक्षत्र के लोग अपने क्षेत्र में बहुत ही प्रवीण होते है वह साधारण चीज़ को भी और भी अधिक खूबसूरत, विशेष बनाते है, उसके मूल्य को बढ़ा देते हैं।
चित्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले पुरुष बहुत मेहनती होते हैं। इसके बावजूद सफलता प्राप्त करने में इन्हें 32 साल की उम्र तक संघर्ष करना पड़ता है।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : बेल तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। चित्रा नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है।
चित्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 5, 6 और 9, भाग्यशाली रंग, काला, भाग्यशाली दिन रविवार और बुधवार माना जाता है ।
चित्रा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चित्रायै नमः”l। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
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- योग (Yog) – अतिगण्ड 21.47 तक तत्पश्चात सुकर्मा
- योग के स्वामी, स्वभाव :- अतिगण्ड योग के स्वामी चंद्र देव जी लेकिन स्वभाव हानिकारक है ।
- प्रथम करण : – वणिज 9.12 AM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।
- द्वितीय करण : – विष्टि 22.29 PM तक तत्पश्चात बव
- करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
- गुलिक काल : – बुधवार को शुभ गुलिक 10:30 से 12 बजे तक ।
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- दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।
इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:00 से 1:30 तक ।
- सूर्योदय – प्रातः 7.12 AM
- सूर्यास्त – सायं 17.31 PM
- विशेष – दशमी के दिन कलम्बी, परवल का सेवन नहीं करना चाहिए ।
- मुहूर्त :-
- पर्व त्यौहार-
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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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क्या पंचांग जानने की सुविधा अग्रिम (पहली शाम को) संभव हो सकती है जिस से अगले दिन की दिनचर्या आपके सुझाव अनुसार शुरू करने के लिए आवश्यक सामग्री पहले से जुटाई का सके।
वैसे भी ज्यादातर लोगों को नौकरी पेशे के लिए सुबह सवेरे ही घर से निकलना होता है, अतः यदि उन्हें अग्रिम जानकारी होगी तो वे कुछ क्रिया कलाप करके प्रस्थान करेंगे। यदि उन्हें पंचांग मिलेगा ही दोपहर में तो शायद ही कुछ संभव होगा।
जी, अवश्य।
[…] By Pandit Ji April 15, 2020 0 396 Facebook Twitter Pinterest WhatsApp सोमवार का पंचांग बुधवार का पंचांग […]