Wednesday, April 16, 2025
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बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 16 अप्रैल 2025 का पंचांग,


बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 16 अप्रैल 2025 का पंचांग,

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पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए बुधवार का पंचांग, Budhvar Ka Panchang, आज का पंचांग, aaj ka panchang,


बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)


16 अप्रैल 2025 का पंचांग, ( Panchang ), 16 April 2025 ka Panchang,

गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।

शरद पूर्णिमा के दिन इस उपाय से जीवन भर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की मिलेगी असीम कृपा,


बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इस उपाय से शरीर रहेगा निरोगी, शक्ति रहेगी भरपूर, बुढ़ापा पास भी नहीं आएगा, जानिए रोगनाशक दिव्य आहार,

* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

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*विक्रम संवत् 2081,
*शक संवत – 1945
*कलि संवत 5124
*अयन – उत्तारायण
*ऋतु – बसंत ऋतु
*मास – बैसाख माह
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ,

बुधवार को बुध की होरा :-

प्रात: 6.02 AM से 7.06 AM तक

दोपहर 01.25 PM से 2.28 PM तक

रात्रि 20.36 PM से 9.33 PM तक

बुधवार को बुध की होरा में हाथ की सबसे छोटी उंगली और बुध पर्वत को हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक बुध देव के मन्त्र का जाप करें ।

ज्योतिष, पढ़ाई, लिखाई, सीखने, वाकपटुता, अपना प्रभाव डालने और व्यापार में सफलता के लिए बुध की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

बुधवार के दिन बुध की होरा में बुध देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

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बुध देव के मन्त्र

“ॐ बुं बुधाय नमः” अथवा

“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।।”

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  • तिथि (Tithi) – तृतीया 13.16 PM तक तत्पश्चात चतुर्थी,
  • तिथि के स्वामी – तृतीया तिथि की स्वामी माँ गौरी और कुबेर देव जी तथा चतुर्थी तिथि के स्वामी विघ्हर्ता गणेश जी है I

तृतीया: किसी भी पक्ष की तीसरी तारीख को तृतीया तिथि या तीज कहते है।  तृतीया तिथि को जया तिथि भी कहा गया है।

अपने नाम के अनुसार ही यह तिथि सभी शुभ कार्यों में जय दिलाने अर्थात सफलता दिलाने वाली कही गई है। लेकिन बुधवार को तृतीया तिथि होने से मृत्युदा कहलाती है, इसलिए बुधवार की तृतीया को कोई भी नया कार्य शुरु करना शुभ नहीं माना जाता  है।

तृतीया तिथि में माँ गौरी जी की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है। तृतीया के दिन माँ गौरी का ध्यान करते हुए उन्हें दूध की मिठाई, फूल और चावल अर्पित करें एवं श्रद्धानुसार घी का दीपक जलाकर ’’ऊँ गौर्ये नमः’’ की एक माला का अवश्य ही जाप करें । 

कुबेर जी भी तृतीया तिथि के स्वामी माने गये हैं। शास्त्रों के अनुसार कुबेर जी देवताओं के कोषाध्यक्ष है अतः इस दिन इनकी भी पूजा करने से जातक को विपुल धन-धान्य, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

कुबेर देव Kuber dev धन सम्पदा की दिशा उत्तर के लोकपाल हैं। ये भूगर्भ के भी स्वामी कहे गए हैं।

जैसे देवताओं के गुरु बृहस्पति और राजा इन्द्र कहे गए है उसी प्रकार सम्पूर्ण ब्राह्मांडों के धनाधिपति कुबेर देव कहे गए है।

कुबेर देव के पिता विश्रवा तथा माता का नाम इडविडा हैं।

कुबेर देव की पत्नी का नाम देवी श्रद्धा तथा दोनों पुत्रों के नाम ‘नल कुबेर’ व ‘नील ग्रीव’ है।

कुबेर देव रावण के सौतेले भाई है और या भगवान शिव जी के प्रिय सेवक , परम मित्र भी माने जाती है। घर में कुबेर देवता की फोटो को उत्तर दिशा की ओर लगाना चाहिए  और इस दिशा को बिलकुल साफ रखना चाहिए । 

शास्त्रों के अनुसार जो भी जातक किसी भी पक्ष की तृतीया को घी का दीपक जलाकर नियम से नीचे दिए गए कुबेर मंत्र का जप दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करता है उसे कुबेर देव की कृपा अवश्य ही प्राप्त होती है, उसे अपने कार्यक्षेत्र , व्यापार में आशातीत सफलता मिलती है। 

कुबेर मंत्र: “ऊँ श्रीं, ऊँ ह्रीं श्रीं, ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:”। यदि इस मंत्र का जप किसी शिव मंदिर में अथवा बिल्वपत्र वृक्ष की जड़ों के समीप बैठकर करा जाये तो या बहुत अधिक उत्तम होता है, उस जातक को भगवान भोलेनाथ और कुबेर जी दोनों की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है ।

तृतीया को परवल का सेवन नहीं करना चाहिए, तृतीया को परवल का सेवन करने से शत्रुओं में वृद्धि होती है ।

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आज संकट चतुर्थी या संकष्टी चतुर्थी  है । प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकट चतुर्थी कहते है।

इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना, संकट चतुर्थी का व्रत सभी प्रकार के संकटो से रक्षा होती है।

अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी तो पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत का दिन, उस दिन के चन्द्रोदय के आधार पर निर्धारित किया जाता है। जिस चतुर्थी तिथि के दिन चन्द्र उदय होता है, संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी उसी दिन रखा जाता है।

संकष्टी चतुर्थी के दिन शाम को चंद्रोदय के बाद गणेश जी और चंद्र देव जी की पूजा की जाती है   ।  यदि उस दिन  बादल के कारण  चन्द्रमा नहीं दिखाई देता है तो, पंचांग के अनुसार चंद्रोदय के समय में पूजा कर लेना चाहिए ।

आज गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके, लड्डुओं या गुड़ का भोग लगाकर “ॐ गण गणपतये नम:” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।

चतुर्थी को गणेश जी की आराधना से किसी भी कार्य में विघ्न नहीं आते है ।

चतुर्थी को गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है

चतुर्थी तिथि को रिक्ता तिथि कहते है इस दिन शुभ कार्यो का प्रारम्भ शुभ नहीं समझा जाता है ।

किसी भी पक्ष की चतुर्थी तिथि में मूली और बैंगन का सेवन करना मना है। चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है, और चतुर्थी को बैगन खाने से रोग बढ़ते है  ।

नक्षत्र (Nakshatra) – अनुराधा नक्षत्र पूर्ण रात्रि तक,

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-         अनुराधा नक्षत्र के देवता मित्र, भैरव जी तथा स्वामी शनि देव जी है  ।

अनुराधा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 17 वां है। आकाश मंडल में अनुराधा 4 तारों का समूह मंडल है।  

यह एक कमल का फूल जैसा लगता है जो हर परिस्तिथि में खिलने की क्षमता का प्रतीक है। यह सुरक्षा और शक्ति का भी प्रतीक है।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : मौलश्री तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। अनुराधा नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है।  इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर शनि और मंगल दोनों ही ग्रहों का प्रभाव हमेशा रहता है।

इस नक्षत्र में जन्मे जातक आकर्षक, बुद्धिमान, बहादुर, परिश्रमी, नेतृत्व करने वाले, भरोसेमंद, ऊर्जावान तथा धार्मिक होते है।

लेकिन शनि – मंगल के शुभ ना होने पर जातक के जीवन में बहुत अस्थिरता रहती है, वह स्वार्थी, कठोर, क्रूर स्वभाव, असंतुष्ट, और बहुत चिंता करने वाला हो सकता है ।

अनुराधा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8,  भाग्यशाली रंग लाल, सुनहरा और भूरा,  भाग्यशाली दिन  शनिवार, सोमवार और गुरुवार माना जाता है ।

अनुराधा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को ॐ अनुराधाभ्यो नमः। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें, सूर्य देव के नामों का स्मरण करें ।

इस नक्षत्र के जातको को भगवान शिव और विष्णु  जी की पूजा करने से भी शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

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  • योग (Yog) – व्यतिपात 12.19 AM गुरुवार 17 अप्रैल तक
  • योग के स्वामी, स्वभाव :- व्यतिपात योग के स्वामी रूद्र देव जी एवं स्वभाव अशुभ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – विष्टि 13.16 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-      विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।

    इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
  • गुलिक काल : – बुधवार का गुलिक काल 10:30 AM से 12 PM बजे तक ।
  • राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार का राहुकाल दिन 12:00 PM से 1:30 PM तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 5.55 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18.48 PM
  • विशेष – तृतीया तिथि को परवल का सेवन नहीं करना चाहिए, तृतीया तिथि को परवल का सेवन करने से शत्रुओं में वृद्धि होती है ।
  • चतुर्थी को मूली का सेवन नहीं करना चाहिए, चतुर्थी को मूली का सेवन करने से धन का नाश होता है   ।
  • मुहूर्त :-
  • पर्व त्यौहार- संकष्टी चतुर्थी

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )


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3 COMMENTS

  1. क्या पंचांग जानने की सुविधा अग्रिम (पहली शाम को) संभव हो सकती है जिस से अगले दिन की दिनचर्या आपके सुझाव अनुसार शुरू करने के लिए आवश्यक सामग्री पहले से जुटाई का सके।
    वैसे भी ज्यादातर लोगों को नौकरी पेशे के लिए सुबह सवेरे ही घर से निकलना होता है, अतः यदि उन्हें अग्रिम जानकारी होगी तो वे कुछ क्रिया कलाप करके प्रस्थान करेंगे। यदि उन्हें पंचांग मिलेगा ही दोपहर में तो शायद ही कुछ संभव होगा।

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