एकादशी ब्रत कथा, ekadashi vrat katha,
हिन्दू धर्म शास्त्रों में एकादशी, ekadashi तिथि का बहुत महत्त्व है । शास्त्रों में एकादशी के ब्रत, ekadashi ke vrat, को सभी ब्रतो में सर्वोत्तम माना गया है, मान्यता है कि एकादशी का ब्रत रखने, एकादशी ब्रत कथा, ekadashi vrat katha, से मनुष्य के पापो का नाश होता है निश्चय ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है ।
मार्गशीर्ष (अगहन) माह को बड़ा ही पावन माह माना गया है। इस महीने में शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी कहलाती है । मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से नीच योनि में गए पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार यह एकादशी 14 दिसंबर को पड़ रही है। भक्ति-भाव एवं श्रद्धा से किए गए इस व्रत के पुण्य के कारण मनुष्य सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर अंत में स्वर्ग लोक को प्राप्त होता है।
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मोक्षदा एकादशी व्रत कथा, Mokshda Ekadashi vrat katha,
मोक्षदा एकादशी, नाम के अनुरूप मोक्ष प्रदायनी है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु का विधि पूर्वक व्रत और पूजन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्यक्ति को सभी जन्मों में किए पापों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने कुरूक्षेत्र में गीता का ज्ञान अर्जुन को दिया था। इस दिन गीता जंयती भी मनाई जाती है। इसका आयोजन मार्गशीर्ष या अगहन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन होता है।
इस साल मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती 14 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस दिन पूजन में मोक्षदा एकादशी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है,
आइए जानते हैं इस कथा के बारे में।
प्राचीन काल में गोकुल में वैखानस नाम के राजा राज्य करते थे। एक रात उन्होंने सपने में देखा कि उनके पिता मृत्यु के बाद नरक की यातनाएं झेल रहे हैं। उन्हें अपने पिता की ऐसी दशा देख कर बड़ा दुख हुआ।
सबेरे ही उन्होंने अपने राज पुरोहित को बुलाया और पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा। राज पुरोहित ने कहा कि इस समस्या का निवारण पर्वत नाम के महात्मा ही कर सकते हैं। क्योकिं वो त्रिकालदर्शी हैं। राजा तत्काल पर्वत महात्मा के आश्रम गए और उनसे अपने पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा। महात्मा पर्वत ने बताया कि उनके पिता ने अपने पूर्व जन्म में एक पाप किया था, जिसका पाप के कारण वो नर्क की यातनाएं भोग रहे हैं।
राजा ने महात्मा से इस पाप से मुक्ति के बारें में पूछा । महात्मा बोले, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। आप मोक्षदा एकादशी का विधि पूर्वक व्रत और पूजन करें।
इस एकादशी के पुण्य प्रभाव से ही आपके पिता को मुक्ति मिलेगी। राजा ने महात्मा के वचनों के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत और पूजन किया। इस व्रत और पूजन के पुण्य के प्रभाव से राजा के पिता को मुक्ति मिली। उनकी मुक्त आत्मा ने राजा को आशीर्वाद दिया।
एकादशी के उपाय
Ekadashi Ke Upay
- एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु के मंदिर में एक नारियल व थोड़े बादाम चढ़ाएं। इस उपाय से जीवन में आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है कार्यों में समस्त बाधाएं भी दूर हो जाती है ।
- एकादशी के दिन प्रांत: भगवान विष्णु की पूजा करते समय कुछ पैसे विष्णु भगवान की मूर्ति या तस्वीर के सामने रख दें। फिर पूजन करने के बाद यह पैसे अपने पर्स में रख लें।
अब हर एकादशी को पूजन के समय यह सिक्के भी पर्स से निकाल कर पूजा में रखा करें और पूजन के बाद फिर से अपनी जेब में रख लें । इस उपाय को करने से कभी भी पैसों की तंगी नहीं रहती है।
- पीपल में भगवान विष्णु का ही वास माना गया है। यदि आप कर्ज से परेशान है तो एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष पर मीठा जल चढ़ाएं और शाम के समय दीपक लगाएं। इस उपाय से शीघ्र ही कर्ज मुक्ति के योग प्रबल होते है , कार्यों में सफलता मिलती है , धन टिकता है ।
- एकादशी के दिन सांय के समय तुलसी के पौधे के सामने गाय के घी का दीपक जलाकर और ऊँ वासुदेवाय नम: मंत्र बोलते हुुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें । इस उपाय से घर के सदस्यों के मध्य प्रेम, सुख-शांति बनी रहती है उस परिवार पर किसी भी प्रकार का कोई संकट नहीं आता है।
- एकादशी के दिन रात्रि में भगवान विष्णु के सामने नौ बत्तियों का दीपक जलाएं और एक दीपक ऐसा जलाएं जो रात भर जलता रहे।
- इससे माँ लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती है। उस जातक को जीवन में सभी सुख और ऐश्वर्य प्राप्त होते है।
Published By : Memory Museum
Updated On : 2024-10-10 9:55:00 AM
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