Friday, December 20, 2024
HomeHindiमुहूर्तभद्रा क्या है

भद्रा क्या है

hand-logo हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार किसी भी शुभ कार्य में भद्रा योग का अवश्य ध्यान रखा जाता है। क्योंकि भद्रा काल में किसी भी शुभ कार्य का आरम्भ या अंत अशुभ माना जाता है। इसलिए भद्रा काल में कोई भी आस्थावान, बुद्धिमान व्यक्ति शुभ कार्य बिलकुल भी नहीं करता है।

kalash हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनि देव की बहन है। भगवान शनि देव की तरह ही इसका स्वभाव भी उग्र कहा गया है। अत: उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही परम पिता भगवान ब्रह्मा ने उन्हें पंचाग के एक प्रमुख अंग विष्टी करण में स्थान दिया है। कहते है कि जब भद्रा किसी पर्व काल में स्पर्श करती है तो जब तक वह रहती है उसे श्रद्धावास माना जाता है।

kalash भद्रा का समय 7 से 13 घंटे 20 मिनट तक माना गया है, लेकिन बीच में नक्षत्र व तिथि के अनुक्रम तथा पंचक के पूर्वार्द्ध नक्षत्र के मान व गणना के कारण इसके समय में घट-बढ़ होती रहती है। भद्रायुक्त पर्व काल का वह समय छोड़ देना चाहिए, जिसमें भद्रा के मुख तथा मध्य का काल आता हो।

kalash हिन्दु पंचांग के पांच प्रमुख अंग माने जाते हैं। यह है – तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इनमें करण एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है । यह तिथि का आधा भाग होता है। करण की संख्या 11 होती है। यह चर और अचर दो भागों में बांटे गए हैं। इन 11 करणों में सातवें करण ‘विष्टि’ का नाम ही भद्रा है। भद्रा सदैव गतिशील रहती है। हिन्दु पंचाग शुद्धि में भद्रा का खास महत्व माना जाता है।

kalash वैसे तो भद्रा का शाब्दिक अर्थ कल्याण करने वाली है लेकिन इस अर्थ के बिलकुल विपरीत भद्रा या विष्टी करण में लगभग सभी शुभ कार्य निषेध माने जाते हैं। हमारे ज्योतिष विज्ञान के अनुसार भद्रा अलग-अलग सभी राशियों के अनुसार तीनों लोकों में घूमती है।

kalash लेकिन जब यह मृत्युलोक में होती है, तब सभी शुभ कार्यों में बाधक, उनका नाश करने वाली कही गई है।

kalash ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जब चन्द्रमा, कर्क, सिंह, कुंभ व मीन इन चार राशि में विचरण करता है और भद्रा विष्टी करण का योग बनता है, तब भद्रा पृथ्वीलोक में रहती है। और इस समय सभी कार्य शुभ कार्य निषेध होते है। भद्राकाल में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश और रक्षा बंधन आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।

kalash लेकिन भद्राकाल में स्नान करना, यज्ञ करना, स्त्री प्रसंग, अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग करना, शल्य क्रिया करना , कोर्ट में मुकदमा दायर करना, अग्नि जलाना , किसी वस्तु को काटना, भैंस, घोड़ा, ऊंट संबंधी कार्य करने के योग्य माने जाते हैं।

kalash भद्रा के बारह नाम : – धान्या, दधि मुखी, भद्रा, महामारी, खरानना, कालरात्रि, महारूद्रा, विष्टिकरण, कुलपुत्रिका, भैरवी, महाकाली, असुरक्षयकारी हैं।

kalash भद्रा दोष निवारण के उपाय :शास्त्रों के अनुसार जिस दिन भद्रा हो और यदि उस दिन कोई शुभ कार्य करना ही पड़े तो उस दिन उपवास अवश्य ही करना चाहिए।
एक बात अवश्य ही ध्यान दे कि यदि भद्रा के समय कोई अति आवश्यक कार्य करना ही हो तो भद्रा की प्रारंभ की 5 घटी जो भद्रा का मुख होती है, उसे अवश्य ही त्यागना चाहिए।

kalash भद्रा 5 घटी मुख में, 2 घटी कंठ में, 11 घटी ह्रदय में और 4 घटी पुच्छ में स्थित रहती है। यदि भद्रा के समय कोई अति आवश्यक कार्य करना हो तो भद्रा की प्रारंभ की 5 घटी जो भद्रा का मुख होती है, अवश्य त्याग देना चाहिए।

hand-logo जब भद्रा मुख में होती है तो कार्य का नाश होता है।
hand-logo जब भद्रा कंठ में होती है तो धन-समृद्धि का नाश होता है।
hand-logo जब भद्रा हृदय में होती है तो प्राण का नाश होता है।
hand-logo जब भद्रा पुच्छ में होती है, तो सभी कार्यों में विजय प्राप्त होती है ।

hand-logo कृष्णपक्ष की तृतीया,दशमी के उत्तरार्ध में एवं सप्तमी,चतुर्दशी,के पूर्वार्ध में भद्रा रहती है ।
शुक्लपक्ष की चतुर्थी, एकादशी के उत्तरार्ध में एवं शुक्लपक्ष की अष्टमी और पूर्णिमा के पूर्वार्ध में भद्रा रहती है ।

दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो , आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..धन्यवाद ।

Pandit Ji
Pandit Jihttps://www.memorymuseum.net
MemoryMuseum is one of the oldest and trusted sources to get devotional information in India. You can also find various tools to stay connected with Indian culture and traditions like Ram Shalaka, Panchang, Swapnphal, and Ayurveda.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Translate »