Hanuman jayanti, हनुमान जयंती पर ऐसे चमकाएं अपनी किस्मत
Hanuman Jayanti 2020
Hanuman Jyanti, हनुमान जयंती हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है जो चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन पवन पुत्र हनुमानजी का जन्म माना जाता है। माना जाता है की सुबह 4 बजे उन्होंने वानरराज केसरी और देवी अंजना के यहां माँ अंजना के कोख से जन्म लिया था । वे भगवान् शिव के 11 वें अवतार थे।
वर्ष 2020 में हनुमान जयन्ती, Hanuman Jyanti, 7अप्रैल को मंगलवार के दिन को मनाई जाएगी। हनुमान जी की रामभक्ति समूचे विश्च में विख्यात है।
शास्त्रानुसार समुद्रमंथन के पश्चात भगवान शिव जी ने भगवान विष्णु का मोहिनी रूप देखने की इच्छा प्रकट की, जो उन्होनें समुद्र मंथन में देवताओँ और असुरोँ को दिखाया था। भगवान शिव विष्णु जी का उनका वह आकर्षक रूप देखकर काम के वश में उन्होंने अपना वीर्यपात कर दिया। उसी समय वायुदेव ने भगवान शिव जी के बीज को वानर राजा केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया। और इस तरह अंजना के गर्भ से वानर रूप चैत्र माह की पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म हुआ, इसीलिए इस दिन को Hanuman Jyanti, हनुमान जयंती, के रूप में मनाया जाता है।
एक मान्यता के अनुसार इंद्र के राज्य में विराजमान वायुदेव ने ही माता अंजनी के गर्भ में हनुमानजी को भेजा था, इस कारण उन्हें वायुपुत्र एवं पवनपुत्र भी कहा जाता है।
कर्इ हिन्दू पंचांगों में हनुमानजी का जन्म आश्विन माह की चतुर्दशी की आधी रात में होना बताया गया है, जबकि कर्इ जगह कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को। लेकिन दोनों में हनुमानजी के प्रति श्रद्घा आैर विश्वास एक समान होता है।
ब्रह्मांडपुराण में हनुमान जी के पिता वानर राज केसरी और हनुमान जी के भाइयों के बारे में बताया गया है। इसमें हनुमान जी के पिता केसरी जी के कुल 6 पुत्र बताए गए हैं और सभी में बजरंगबली को सबसे बड़ा बताया गया है।
हनुमान जी के पांच भाइयों के नाम इस तरह हैं – मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान। इस ग्रंथ में इन सभी की संतानों का उल्लेख भी में किया गया है।
कई शास्त्रों में महाभारत काल में पांडु पुत्र बलशाली भीम को भी हनुमान जी का ही भाई बताया गया है। चूँकि हनुमानजी पवन पुत्र है। और कुंती ने भी पवनदेव के माध्यम से ही भीम को जन्म दिया था। इसीलिए भीम हनुमान जी भाई माने जाते है।
ब्रह्मांडपुराण में हनुमान जी के पुत्र का वर्णन भी है जिसका नाम मकरध्वज बताया गया है।
बजरंग बलि को हनुमान नाम अपनी ठोड़ी के आकार के कारण मिला । संस्कृत में हनुमान का मतलब होता है बिगड़ी हुई ठोड़ी। इसी लिए पवनपुत्र हनुमान भी कहलायें जाते है।
राम भक्त हनुमान दुर्गा माँ के सेवक भी माने गए हैं। हनुमानजी माँ दुर्गा के आगे-आगे चलते हैं और भैरवजी उनके पीछे-पीछे। इसीलिए माँ दुर्गा के देश में जितने भी मंदिर है वहां उनके आसपास हनुमानजी और भैरवजी का मंदिर जरूर होते हैं।
वैसे तो हनुमान जी ने सूर्यदेव और नारदजी के अलावा बहुत से लोगो से शिक्षा ली थी लेकिन हनुमानजी मातंग ऋषि के शिष्य माने जाते थे। शास्त्रों के अनुसार मातंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हुआ था। ऐसी मान्यता है श्रीलंका के जंगलों में मंतग ऋषि के वंशज आदिववासी से हनुमान जी प्रत्येक 41 साल बाद मिलने आते है।

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