श्रीराम शलाका प्रश्नावली (Shri Ram Shalaka Prashnavali)
हर व्यक्ति चाहता है की उसका जीवन एक परी कथा की तरह हो, उसे जीवन में हर सुख सुविधा मिले, सभी कार्य उसके अनुरूप हों। लेकिन यह जीवन कोई परी कथा नहीं वरन इस जीवन में हमें नित्य नयी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है ।
हम कार्य तो बहुत से करते है,सपने हमारे असीमित है लेकिन बहुत से कार्य बहुत से सपने पूरे नहीं हो पाते है, कई बार दूसरे लोग जिस कार्य में सफल हो रहे होते है हम असफल हो जाते है या तमाम परिश्रम तमाम योजनाओं के बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते है ……तब हम असमंजस में पड़ जाते है की हम क्या करे ……हमें अमुक कार्य करना चाहिए अथवा नहीं हमें सफलता मिलगी अथवा हमारी मेहनत व्यर्थ चली जाएगी,ऐसी असमंज की स्तिथि से पार पाने के लिए पवित्र श्रीराम शलाका(Shri Ram Shalaka Prashnavali) से हमें सच्चा मार्ग दर्शन प्राप्त हो सकता है ।
हमारे धार्मिक साहित्य में इस अदभुत पवित्र श्री राम शलाका ( Ram Shalaka ) की बहुत मान्यता है और इसका उपयोग भी बहुत ही सरल है।
सर्वप्रथम प्रभु श्री राम का सच्चे हर्दय से ध्यान करते हुए अपने मन में अपना प्रश्न सोचें जिस पर आप प्रभु की कृपा चाह रहे है, फिर उस कार्य की सफलता की प्रार्थना करते हुए नीचे दिए गए “किसी भी शब्द पर अपनी आंख बंद करके क्लिक कर दें .
श्रीराम शलाका ( Shri Ram Shalaka Prashnavali ) जिस शब्द पर आपने क्लिक किया है उससे हर नौ खानों में दिए गए शब्दों को जोड़कर एक चौपाई बनती है जो आपका समाधान है अब आप अपनी आँखे खोल दें आपकी आँखों के सामने आपके प्रश्न का उत्तर होगा।”
श्रीराम शलाका प्रश्नावली (Shri Ram Shalaka Prashnavali)
चौपाई : | सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजहि मन कामना तुम्हारी॥ |
अर्थ: | यह चौपाई बालकाण्ड मे सीता जी को गौरी जी का आशिर्वाद है। प्रश्न उत्तम है कार्य सिद्ध होगा। |
चौपाई : | प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा॥ |
अर्थ: | यह चौपाई सुन्दरकाण्ड मे हनुमान जी के लंका मे प्रवेश करने के समय की है। अर्थ यह है कि भगवान के नाम का स्मरण करते हुये कार्य शुरू करें सफलता मिलेगी। |
चौपाई : | उघरहिं अंत न होइ निबाहू। कालनेमि जिमि रावन राहू॥ |
अर्थ: | यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ की है। कार्य की सफलता मे संदेह है। |
चौपाई : | बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं। फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं॥ |
अर्थ: | यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ की है। अर्थ यह है कि बुरे लोगों का संग छोड़ दें कार्य की सफलता मे संदेह है। |
चौपाई : | होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करितर्क बढ़ावै साखा॥ |
अर्थ: | यह चौपाई बालकाण्ड शिव पार्वती संवाद मे है। कार्य पूरा होने मे संदेह है। प्रभु पर छोड़ दें। |
चौपाई : | मुद मंगलमय संत समाजू। जो जग जंगम तीरथ राजू॥ |
अर्थ: | यह चौपाई बालकाण्ड मे संत समाजरुपी तीर्थ वर्णन मे आती है। अर्थ यह है कि कार्य सिद्ध होगा। |
चौपाई : | गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥ |
अर्थ: | यह चौपाई सुन्दरकाण्ड मे हनुमान जी के लंका मे प्रवेश करने के समय की है। प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है कार्य सिद्ध होगा। |
चौपाई : | बरुन कुबेर सुरेस समीरा। रन सन्मुखधरि काहु न धीरा॥ |
अर्थ: | यह चौपाई रावण वध पर मंदोदरी के विलाप के संदर्भ मे है। कार्य पूरा होने मे संदेह है। |
चौपाई : | सुफल मनोरथ हो हुँ तुम्हारे। रामु लखनु सुनि भए सुखारे॥ |
अर्थ: | यह चौपाई विश्वामित्र का आशिर्वाद है। प्रश्न उत्तम है कार्य सिद्ध होगा। |
नोट:– * इस प्रश्नावली को कोई भी किसी भी धर्म का व्यक्ति अपने इष्टदेव को याद करके प्रयोग कर सकता है।
* गंदे हाथों से, बिना नहाये हुए, जूते चप्पल पहन कर, बहुत जल्दी में इस प्रश्नावली का कतई प्रयोग न करें।
* एक ही प्रश्न को को बार बार न पूछें।
* एक दिन में एक व्यक्ति अलग अलग ३-४ से ज्यादा प्रश्नों का अर्थ ना निकालें।
यदि आपका प्रश्न उत्तम है आपको सफलता प्राप्त होने का आशीर्वाद मिला है तो आप किसी भी धर्म स्थान / राम /हनुमान मंदिर में जाकर अपनी श्रद्धा अनुसार प्रसाद चड़ाकर उसे ज्यादा भाग वहीँ पर बाँट दें और बचा हुआ थोड़ा सा हिस्सा घर में आकर सबसे पहले अपने माता – पिता ,बड़े बुजुर्गो,बच्चो,भाई बहन और स्त्री को दें उसके बाद ही आप स्वयं प्रसाद ग्रहण करें और कार्य सिद्ध हो जाने के बाद पुन: सपरिवार धर्म स्थान पर जाकर अपनी श्रद्धा, सामर्थ्य अनुसार प्रसाद चड़ाकर उसे वितरित करना बिलकुल भी न भूलें ।
यदि आपको उत्तर प्राप्त हुआ है की कार्य की सफलता में संदेह है और आप तब भी उसे करना चाहते है, आपको लगता है की वह कार्य आपके लिए बहुत ही जरुरी है और आपके लिए उसे त्यागना काफी मुश्किल है तो आप किसी भी धर्म स्थान /राम/हनुमान मंदिर में जाकर एक जटा वाला नारियल के ऊपर कलावा बांधकर कुछ दक्षिणा के साथ चड़ा दें, और मन ही मन अपनी मनोकामना दोहराते हुए कार्य के फल को ईश्वर के ऊपर छोड़ दें।
यदि आप हिन्दु धर्म को मानने वाले है तो लगातार ७ शनिवार को हनुमान जी पर सिंदूर में चमेली का तेल मिलकर उनके पैरों से शुरू करते हुए ऊपर सारे शरीर पर लगायें और उसके बाद अगर संभव हो तो चाँदी का वर्क भी लगायें और यदि आपको कार्य में सफलता मिल जाती है तो हनुमान जी पर पूरा चोला अर्पित करें और भंडारा या गरीबों में भोजन अवश्य ही वितरित करें ।
यह पवित्र श्रीराम शलाका (Ram Shalaka) हिन्दुओं के पवित्र ग्रन्थ रामचरितमानस से ली गयी है तथा बहुत लम्बे समय से इसकी मान्यता चली आ रही है।यह साईट इसकी अकाट्यता के लिए कोई भी दावा नहीं करती है।
Published By : Memory Museum
Updated On : 2018-02-27 06:15:55 PM