पुष्य नक्षत्र, Pushya Nakshatra,पुष्य नक्षत्र 2022,
ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र माने गए हैं। इनमें 8 वे स्थान पर पुष्य नक्षत्र, pushya nakshatra आता है। ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र का महत्व, Pushya nakshatra ka mahtv, बहुत ही ज्यादा बताया गया है । पुष्य नक्षत्र pushya nakshatra बहुत ही शुभ नक्षत्र माना जाता है।
हमारे शास्त्रों के अनुसार चूँकि पुष्य नक्षत्र Pushya nakshatra स्थायी होता है और इसीलिए इस नक्षत्र में खरीदी गई कोई भी वस्तु स्थायी तौर पर सुख समृद्धि देती है ,
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पुष्य नक्षत्र, Pushya Nakshatra,
‘पाणिनी संहिता’ में “पुष्य सिद्धौ नक्षत्रे” के बारे में यह लिखा है-
सिध्यन्ति अस्मिन् सर्वाणि कार्याणि सिध्यः |
पुष्यन्ति अस्मिन् सर्वाणि कार्याणि इति पुष्य ||
* अर्थात पुष्य नक्षत्र pushya nakshatra में शुरू किये गए सभी कार्य पुष्टिदायक, सर्वथा सिद्ध होते ही हैं, निश्चय ही फलीभूत होते हैं |
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* पुष्य नक्षत्र, pushya nakshatra को नक्षत्रो का राजा भी कहते है । माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र की साक्षी से किये गये कार्य सर्वथा सफल होते हैं।
कहा जाता है भगवान राम का जन्म पुष्य-नक्षत्र में हुआ था।
पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनिदेव व अधिष्ठाता बृहस्पति देव हैं। पुष्य शनि में शनि के प्रभाव के कारण खरीदी हुई वस्तु स्थाई रूप बनी रहती है और बृहस्पति देव के कारण वह समृद्धिदायी होती है।
गुरुवार व रविवार को होने वाले पुष्य नक्षत्र विशेष रूप से फलदायक होता है उस दिन पुष्यामृत योग बनता है।
* ऋग्वेद में पुष्य नक्षत्र को मंगल कर्ता, वृद्धि कर्ता और सुख समृद्धि दाता कहा गया है।
* लेकिन यह भी ध्यान दें कि पुष्य नक्षत्र भी अशुभ योगों से ग्रसित तथा अभिशापित होता है।
शुक्रवार को पुष्य नक्षत्र में किया गया कार्य सर्वथा असफल ही नहीं, उत्पातकारी भी होता है। अतः पुष्य नक्षत्र में शुक्रवार के दिन को तो सर्वथा त्याग ही दें।
बुधवार को भी पुष्य नक्षत्र नपुंसक होता है। अतः इसमें किया गया कार्य भी असफलता देता है।
लेकिन पुष्य नक्षत्र शुक्र तथा बुध के अतिरिक्त सामान्यतया श्रेष्ठ होता है। रवि पुष्य योग (Ravi Pushy Yog) तथा गुरु पुष्य योग (Guru Pushy Yog) सर्वार्थ सिद्धिकारक माना गया है।
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* एक बात का और विशेष ध्यान दें कि विवाह में पुष्य नक्षत्र सर्वथा वर्जित तथा अभिशापित है। अतः पुष्य नक्षत्र में विवाह कभी भी नहीं करना चाहिए।
* इस नए वर्ष में भूमि, भवन, वाहन व ज्वेलरी आदि की खरीद फरोख्त व अन्य शुभ, महत्वपूर्ण कार्यो के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
गुरु पुष्य नक्षत्र के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें। गुरु पुष्य नक्षत्र के दिन भगवान श्री विष्णु जी को पीले पुष्प और चने की दाल अर्पित करके विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इस दिन माँ लक्ष्मी को केसर अर्पित करके नित्य माथे पर केसर का तिलक लगाएं।
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ज्योतिष एवं कर्म-काण्ड ज्ञाता
पण्डित कृष्ण लाल शास्त्री जी
Published By : Memory Museum
Updated On : 2022-01-15 10:55:00 PM
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