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अमावस्या पर पाएं पितरों की पूर्ण कृपा, amawasya par pitro ke purn kripa,
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हिन्दु धर्म शास्त्रो के अनुसार मनुष्य पर मुख्य रूप से तीन प्रकार के ऋण होते हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण एवं पितृ ऋण। इनमें पितृ ऋण को सबसे प्रमुख माना गया है। पितृ ऋण में पिता के अतिरिक्त माता तथा परिवार के वह सभी दिवंगत सदस्य जो पितरों में शामिल हो गए है वह सभी पितृ ऋण में आते है ।
पितृ ऋण से मुक्ति के लिए , पितरों की तृप्ति के लिए, उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रत्येक अमावस्या ( Amavasya ) पर कुछ उपाय अवश्य ही करने चाहिए ।
जानिए, अमावस्या पर पितरों की पूर्ण कृपा, Amawasya Par Pitro ke Purn Kripa, ।
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पितरों को अमावस, ( amavas ) का देवता माना गया है । शास्त्रों के अनुसार हर अमावस्या के दिन पितृ अपने घर अपने वंशजो के पास आते है और उनसे अपने निमित धर्म – कर्म, दान – पुण्य की आशा करते है। यदि हम उनके निमित अपने कर्तव्यों का पालन करते है तो वह प्रसन्न होते है और हमें उनका आशीर्वाद मिलता है ।
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यदि आपके पितृ देवता प्रसन्न होंगे तभी आपको अन्य देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त हो सकती है। पितरों की कृपा के बिना कठिन परिश्रम के बाद भी जीवन में अस्थिरता रहती है, मेहनत के उचित फल प्राप्त नहीं होती है ।
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हर अमावस ( amavas ) के दिन एक ब्राह्मण को अपने घर पर बुलाकर प्रेम पूर्वक भोजन अवश्य ही कराएं।
इससे आपके पितर सदैव प्रसन्न रहेंगे, आपके कार्यों में अड़चने नहीं आएँगी।
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घर में धन की कोई भी कमी नहीं रहेंगी और आपका घर – परिवार को टोने-टोटको के अशुभ प्रभाव से भी बचा रहेगा।
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हर अमावस्या ( amavasya ) पर पितरों का तर्पण अवश्य ही करना चाहिए । तर्पण करते समय एक पीतल के बर्तन में जल में गंगाजल , कच्चा दूध, तिल, जौ, तुलसी के पत्ते, दूब, शहद और सफेद फूल आदि डाल कर पितरों का तर्पण करना चाहिए।
तर्पण, में तिल और कुशा सहित जल हाथ में लेकर दक्षिण दिशा की तरफ मुँह करके तीन बार तपरान्तयामि, तपरान्तयामि, तपरान्तयामि कहकर पितृ तीर्थ यानी अंगूठे की ओर जलांजलि देते हुए जल को धरती में किसी बर्तन में छोड़ने से पितरों को तृप्ति मिलती है।
ध्यान रहे तर्पण का जल तर्पण के बाद किसी वृक्ष की जड़ में चड़ा देना चाहिए वह जल इधर उधर बहाना नहीं चाहिए।
Published By : Memory Museum
Updated On : 2019-12-12 05:10:55 PM
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