माह में पंचक
धनिष्ठा का उतरार्ध, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उतरा भाद्रपद व रेवती इन पांच नक्षत्रों को पंचक कहते है। पंचक का अर्थ ही पांच का समूह है. दूसरे शब्दों में कुम्भ व मीन में जब चन्द्रमा रहते है। उस समय की अवधि को पंचक कहते है ।
पंचक ( panchak ) में पाँच कार्यो को वर्जित कहा गया है:—
पंचक ( panchak ) के दौरान शव का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए, इससे कुटुंब में पाँच लोगो की मृत्यु हो सकती है।
उपाय:- पंचक में शव का दाह संस्कार करते समय पांच अलग अलग पुतले बना कर उन्हें भी शव के साथ जलाएं।
पंचक ( panchak ) में दक्षिण दिशा में यात्रा ना करें, क्योंकि दक्षिण यम की दिशा है और पंचक के दौरान दक्षिण दिशा की यात्रा करना अशुभ समझा जाता है।
उपाय:- पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा करने से पहले हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान जी से यात्रा की सफलता के लिए प्रार्थना करते हुए उनको पाँच फल चढ़ाकर यात्रा करने जाएँ ।
पंचक के दौरान धनिका नक्षत्र में ईंधन इकठ्ठा ना करे , अर्थात इस समय में गैस सिलेंडर, पैट्रोल, केरोसिन आयल आदि ना खरीदें , क्योंकि इससे अग्नि का भय होता है ।
उपाय:- पंचक में अगर ईंधन खरीदना जरुरी हो तो आटे से बना तेल का पंचमुखी दीपक शिवालय में जलाने के बाद ही ईंधन खरीदें ।
पंचक के दौरान भूल कर भी चारपाई ना बनवाएं, इस समय पर पलंग , फर्नीचर आदि की खरीद भी नहीं करें ।
उपाय:- पंचक में अगर लकड़ी का फर्नीचर खरीदना आवश्यक हो तो गायत्री हवन करवाकर उसके बाद ही लकड़ी का सामान खरीदें ।
पंचक में विशेषकर रेवती नक्षत्र में घर की छत ना डलवाएं , पंचक में घर की छत डलवाने से धन का नाश और परिवार में कलह-क्लेश होता है।
उपाय:- पंचक में अगर छत डलवाना आवश्यक हो तो मजदूरों को मिठाई खिलाने के बाद , उन्हें प्रसन्न करके छत डलवाने का कार्य करे ।
ऋषि गर्ग ने कहा है कि शुभ या अशुभ जो भी कार्य पंचकों में किया जाता है। वह पांच गुणा करना पडता है ।
मुहूर्त ग्रन्थों के अनुसार विवाह, मुण्डन, गृहारम्भ, गृ्ह प्रवेश, वधू- प्रवेश, उपनयन आदि में इस समय का विचार नहीं किया जाता है। इसके अलावा रक्षा -बन्धन, भैय्या दूज आदि पर्वों में भी पंचक नक्षत्रों का निषेध के बारे में नहीं सोचा जाता है।
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