दिलवाड़ा जैन मंदिर
Dilwara Jain Mandir
दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान राज्य के सिरोही जिले के माउन्ट आबू नगर में स्थित है। दिलवाड़ा मंदिर वस्तुतः पांच मंदिरों का समूह है। इन मंदिरों का निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच में हुआ था। यह विशाल एवं दिव्य मंदिर जैन धर्म के तीर्थकंरों को समर्पित है। यहाँ के पांच मंदिरों में दो विशाल मंदिर है तथा तीन मंदिर उसके अनुपूरक है।
यहाँ पर विमल वासाही मंदिर प्रथम तीर्थकंर को समर्पित सबसे प्राचीन है, बाइसवें तीर्थकंर नेमीनाथ को समर्पित लुन वासाही मंदिर भी बहुत दर्शनीय है। यहाँ पर भगवान कुंथुनाथ का दिगम्बर जैन मंदिर भी स्थापित है। यहाँ पर एक अदभुत देवरानी जेठानी का मंदिर भी है जिसमें परमपूजनीय भगवान आदिनाथ एवं शान्तिनाथ जी की मूर्तियां स्थापित है। यहाँ के मंदिर परिसर में खरतरसाही, पीतलहर और भगवान महावीर का मंदिर भी स्थित है इनमें भगवान महावीर स्वामी का मंदिर सबसे छोटा बना हुआ है इस मंदिर का निर्माण 1582 ई0 में हुआ था। यहाँ पर एक दिव्य चौमुखा मंदिर भी है जिसे खरातावसाही मंदिर के नाम से भी जाना जाता है इसमें भगवान पाश्रनाथ की अति सुन्दर मूर्ति स्थापित है। कहते है तीन मंिजंला इस सुन्दर मंदिर का निर्माण 15 वीं सदी में हुआ था। यह मंदिर भूरे पत्थर का बना है तथा इसका षिखर सभी मंदिरों से ऊँचा है। दिलवाड़ा के मंदिर संगमरमर के बने है इन मंदिरों में लगभग 48 स्तम्भों में नृत्यागनाओं की अति सुन्दर आकृतियां बनी है। दिलवाड़ा के जैन मंदिरों का शिल्प अत्यन्त उच्च कोटि का है इसकी सुन्दरता, वास्तुकला एवं सजीवता यहां आने वाले श्रद्धाओं का मन मोह लेती है तथा श्रद्धालु इस दिव्य वातावरण एवं अदभुत अनुभूति को भूल नही पाते है शायद इसीलियें यहाँ पर हर धर्म के लोग खिंचे चले आते है।
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