हनुमान जी की पूजा | हनुमान जी की पूजा के नियम
हनुमान जी कलयुग के साक्षात् देव कहे गए है। भारत में शायद ही कोई ऐसा स्थान होगा जहाँ पर हनुमान जी का मंदिर ना हो, वस्तुत: जिस भी देवी देवता का मंदिर होता है वहां पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित होती ही है। कलयुग में हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता बताये गया है और शास्त्रों के अनुसार हनुमान भक्तो को शनि देव के प्रकोप से भी छुटकारा मिलता है। इसी कारण हनुमान जी के भक्तो कि संख्या करोड़ो में है ।
शास्त्रों में हनुमान जी की आराधना के कुछ नियम बताये गए है जिसका पालन करके निश्चय ही अपने अराध्य की कृपा प्राप्त की जा सकती है, जानिए हनुमा जी की कैसे करे पूजा, हनुमान जी की पूजा में रखे ध्यान
शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी की पूजा सूतक लगने पर वर्जित मानी जाती है। जब परिवार में किसी की मृत्यु हो जाए तब सूतक माना जाता है । सूतक के 13 दिनों तक हनुमान जी पूजा नहीं करनी चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार जब कभी भी परिवार में संतान का जन्म होता है तो उसके जन्म से 10 दिन तक हनुमान जी के साथ किसी भी अन्य देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए।
शव यात्रा से आने के बाद बिना नहाए हनुमान जी की पूजा नहीं करना चाहिए साथ ही अगर आप दिनभर अपने काम के चलते बाहर है और घर पर आने के बाद बिना शुद्ध हुए हनुमान जी की पूजा करते है तो आपको पूजा का फल आपको नहीं मिलता है।
हनुमान जी पूजा करते समय कभी भी गंदे और अशुद्ध कपड़े पहन कर पूजा नहीं करनी चाहिए।
हनुमान जी की पूजा करते समय काले कपड़े और सफेद कपडे नहीं पहनना चाहिए ।
बजरंग बली की पूजा में लाल और पीले रंग के कपड़ो का इस्तेमाल शुभ होता है।
अगर आप हनुमान जी की पूजा करने से पहले कुछ खाते है तो मुंह को अच्छी तरह से साफ साफ कर लेना चाहिए। झूठे मुंह से कभी भी उनकी पूजा नहीं करनी चाहिए।
हनुमान जी के पूजा करते समय तन और मन दोनों ही शुद्ध होने चाहिए। पूजा के दौरान भूलकर भी मांस और मदिरा का सेवन नही करना चाहिए।
हनुमान जी की पूजा में चरणामृत का प्रयोग नहीं करना चाहिए और ना ही खंडित और टूटी हुई मूर्ति की पूजा करना चाहिए।
बजरंग बली को लाल या पीले रंग के फूल और केसर अर्पित किया जाना चाहिए। इन फूलों में गुड़हल, गुलाब, कमल, गेंदा, आदि का विशेष महत्व रखते हैं।
हनुमानजी को नित्य इन फूलों और केसर के साथ घिसा लाल चंदन का तिलक लगाने से जातक की सभी मनोकामनाएँ शीघ्र ही पूरी होती है ।
हनुमान जी की पूजा में उन्हें इत्र अवश्य ही चढ़ाएं। इससे जातक के जीवन में प्रसन्नता आती है।
यदि किसी भी प्रकार के संकट हो तो उसके निवारण के लिए मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी को फूल वाली 108 लौंग चढ़ाकर उनके सामने कड़वे तेल का चौमुखा दीपक जलाएं।
हनुमान जी को पान बहुत प्रिय है। हनुमान जी की कृपा हेतु समय समय पर उन्हें मीठा पान अर्पित करें।
कुंडली के ग्रहो के अशुभ प्रभावो को दूर करने के लिये प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को हनुमान मंदिर में बूंदी / लड्डुओं / गुड़ चने का प्रशाद अवश्य चढ़ाएं, इसको घर बहुत थोडा लेकर जाएँ, सब वहीँ पर बाँट दें।
संकटमोचन, प्रभु श्रीराम के सबसे प्रिय श्री हनुमानजी की तीन परिक्रमा करने का विधान बताया गया है।इसलिए हनुमान भक्तों को इनकी तीन परिक्रमा ही करनी चाहिए।
ज्योतिषाचार्य अखिलेश्वर पाण्डेय
भृगु संहिता, कुण्डली विशेषज्ञ
वैदिक, तंत्र पूजा एवं अनुष्ठान के ज्ञाता
Published By : Memory Museum
Updated On : 2020-03-30 03:50:55 PM
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