Friday, March 29, 2024
Homeमकर संक्रांति, makar sankranti,Makar Sankranti Ka Mahatva, मकर संक्रांति का महत्त्व, Makar Sankranti 2024,

Makar Sankranti Ka Mahatva, मकर संक्रांति का महत्त्व, Makar Sankranti 2024,

मकर संक्रांति का महत्त्व, Makar Sankranti Ka Mahatva, मकर संक्रांति 2024,

हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का महत्त्व, Makar Sankranti Ka Mahatva, बहुत अधिक बताया गया है । मकर संक्रांति Makar Sankranti का पर्व सूर्य के उत्तरायण होने की खुशी में बहुत ही उमंग व उत्साह से मनाया जाता है।
इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने का विशेष विधान है।

( दोस्तों इस मकर संक्रांति,Makar Sankranti में कुछ खास उपाय को करके आप अपनी किस्मत अवश्य ही चमका सकते है। )

एक वर्ष में 12 संक्रांतियाँ होती है जिसमें छह संक्रांतियाँ उत्तरायण की और छह दक्षिणायन की कहलाती है।
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति Makar Sankranti से देवताओं का दिन आरंभ होता है जो कि आषाढ़ मास तक रहता है। इसी दिन भगवान सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करते है।

मकर संक्रान्ति Makar Sankranti के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारम्भ होती है। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं।

भगवान सूर्य अपनी गति से प्रत्येक वर्ष मेष से मीन 12 राशियों में 360 अंश की परिक्रमा करते है । वह एक राशि में 30 अंश का भोग करके दूसरी राशि में पहुँच जाते है, अर्थात प्रत्येक राशि में एक माह तक रहते है ।
शास्त्रों के अनुसार सूर्यदेव जा धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते है तो मकर संक्रांति Makar Sankranti मनाई जाती है ।

यह भी जानिए :-  पेट के दर्द करना हो छूमंतर तो तुरंत करें ये उपाय 


हिन्दु पंचाग के अनुसार जब सूर्यदेव सभी 12 राशियों का परिभ्रमण समाप्त कर लेते है तो एक संवत्सर अर्थात एक वर्ष पूर्ण होता है ।

शास्त्रों में काल गणना के अनुसार……..

* अहोरात्र का एक दिन
* सात दिन का एक सप्ताह
* दो सप्ताह का एक पक्ष पक्ष दो होते है
* शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष इन दोनों को मिलाकर एक मास
* दो मास की एक ऋतु
* तीन ऋतुओं का एक अयन और दो आयनो को एक वर्ष होता है ।

* आयन दो माने जाते है उत्तरायण और दक्षिणायन , ग्रंथों में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन के समय को देवताओं की रात्रि कहा गया है ।

* इस प्रकार मकर संक्रांति देवताओं का प्रभात काल माना गया है । इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का अत्यधिक महत्व है । पुरानी मान्यता है संक्रांति पर किया गया दान साधारण दान से हजार गुना पुण्य प्रदान करता है ।।

वर्ष 2024 में मकर संक्रांति को लेकर कुछ भेद है कि मकर संक्रांति 14 जनवरी को है कि 15 जनवरी को।

चूँकि भगवान सूर्य 15 जनवरी सोमवार को मकर राशि में सुबह 8.42 बजे प्रवेश करेंगे। इसलिए मकर संक्रांति सोमवार 15 जनवरी को प्रात: काल उदया तिथि में मनाई जाएगी।

15 जनवरी को पूरे दिन ही मकर संक्रांति के पर्व का मान रहेगा। प्रात: से मध्याह्न तक का समय स्नान व दान, जप, तप, आदि के लिए विशेष पुण्य फलदायक रहेगा।

अवश्य पढ़ें :-  अगर लाख चाहने के बाद भी पढ़ाई में मन ना लगे, एकाग्रता भंग होती हो तो करें ये उपाय

सूर्यदेव के 15 को उत्तरायण की राशि मकर में प्रवेश करने के साथ ही देवताओं के दिन और पितरों की रात्रि का शुभारंभ हो जाएगा।

मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। इस लिहाज से मकर संक्रांति Makar Sankranti पिता और पुत्र के मिलन का भी प्रतीक है।

भारतीय पर्वों में मकर संक्रांति Makar Sankranti एक ऐसा पर्व है जिसको सूर्य की स्थिति के अनुसार मनाया जाता है ऐसे में इस दिन स्नान-दान करने से सहस्त्रो गुना फल मिलेगा।

मकर संक्रांति का महत्त्व, Makar Sankranti Ka Mahatva,

मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जा जायेगा । मकर संक्रांति Makar Sankranti में पुण्यकाल का विशेष महत्व है।

जानिए, अगर ऐसा होगा आपके रेस्टोरेंट, जलपान ग्रह का वास्तु,  तो निश्चित मिलेगी सफलता, जानिए कैसा होना चाहिए रेस्टोरेंट का वास्तु,

इस दिन से शुभ कार्यो का मुहूर्त समय प्रारम्भ हो जाता है। विवाह, मुण्डन, नवीन व्यापारं, ग्रह प्रवेश के लिये लोगो का शुभ मुहूर्त का इन्तजार समाप्त होता है। इस दिन को देवता छ: माह की निद्रा से जागते है।

भगवान सूर्य का मकर राशि में प्रवेश एक नयी शुरुआत का दिन होता है।

भगवान श्रीकृष्ण ने भी मकर संक्रांति का महत्व Makar Sankranti Ka Mahtva बताते हुये गीता में कहा था की जब सूर्य देवता उत्तरायन में होते है, पृथ्वी प्रकाशमय रेहती है तो उस 6 माह के शुभ काल में इस शरीर का परित्याग करने से जीव का पुनर्जन्म नही होता है ।

लेकिन जब सूर्य दक्षिणायन होता है तब पृथ्वी अंधकारमय होती है और इस अंधकार में शरीर का त्याग करे तो उस जीव को पुनर्जन्म लेना पडता है. ( श्लोक २४-२५)

भागवत पुराण के अनुसार इसी लिए भीष्म पितामह ने तीरो से अपने शरीर के बिंधे होने के बावजूद भी सूर्य के दक्षिणायन होने के कारण अपनी देह का त्याग नहीं किया था और सूर्य के उत्तरायन होने पर ही पितामह भीष्म ने अपना देह त्याग किया था।

मकर संक्रांति Makar Sankranti से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। इसलिए इस दिन से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। इस दिन से ही मौसम में गर्माहट भी बढ़नी शरू हो जाती है।

अवश्य पढ़ें :-  मनचाही नौकरी चाहते हो, नौकरी मिलने में आती हो परेशानियाँ  तो अवश्य करें ये उपाय 

चूँकि जैसे जैसे दिन बड़ा होगा सूर्य की रोशनी भी अधिक होगी और राते छोटी होने से अंधकार भी कम होता जाता है, इसीलिए शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति Makar Sankranti पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है।

विष्णु धर्मसूत्र में कहा गया है कि मकर संक्रांति के दिन पितरों की आत्मा की शांति, स्वास्थ्यवर्द्धन तथा सबके कल्याण के लिए तिल के छः प्रयोग अत्यंत पुण्यदायक एवं फल प्रदान करने वाले होते हैं।

तिल का इस तरह से प्रयोग करने से भगवान सूर्य देव की कृपा मिलती है, समस्त पापो का नाश होता है, अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है ।

* मकर संक्रांति के दिन प्रात: स्नान से पहले तिल का उबटन लगाना,

* जल में तिल डालकर उस तिल के जल से स्नान करना,


* इस दिन भगवान सूर्य देव को जल में तिल ड़ालकर अर्घ्य देना, पितरो को जल में तिल अर्पण करना,


* मकर संक्रांति के दिन स्नान, पूजा के बाद तिल का योग्य ब्राह्मण को दान करना,


* इस दिन यज्ञ में घी मिश्रित तिल की आहुति देना, एवं


* मकर संक्रांति के तिल तिल से बना भोजन करना अथवा तिल के पदार्थो का सेवन करना ।


इससे उस जातक और उसके परिवार पर पितरो और देवताओं दोनों का ही आशीर्वाद बना रहता है, पापो का नाश होता है, पुण्य संचय होता है, उसके पितृ स्वर्ग में वास करते है और अंत में वह जातक को भी मोक्ष प्राप्त होता है।

अवश्य पढ़ें :- चेहरे से कील मुहाँसे हटाने हो तो तुरंत करें ये उपाय, कील मुहांसों को जड़ से हटाने के अचूक उपाय,

मकर संक्रांति, Makar Sankranti, मकर संक्रांति का महत्व, Makar Sankranti Ka Mahatva, मकर संक्रांति 2024, Makar Sankranti 2024, मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है, Makar Sankranti kyon manai jati hai,

ज्योतिषाचार्य डॉ० अमित कुमार द्धिवेदी
कुण्डली, हस्त रेखा, वास्तु एवं प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ

दोस्तों यह साईट बिलकुल निशुल्क है। यदि आपको इस साईट से कुछ भी लाभ प्राप्त हुआ हो , आपको इस साईट के कंटेंट पसंद आते हो तो मदद स्वरुप आप इस साईट को प्रति दिन ना केवल खुद ज्यादा से ज्यादा विजिट करे वरन अपने सम्पर्कियों को भी इस साईट के बारे में अवश्य बताएं …..धन्यवाद ।

दोस्तों इस मकर संक्रांति में कुछ खास उपाय को करके आप अपनी किस्मत अवश्य ही चमका सकते है।

Pandit Ji
Pandit Jihttps://www.memorymuseum.net
MemoryMuseum is one of the oldest and trusted sources to get devotional information in India. You can also find various tools to stay connected with Indian culture and traditions like Ram Shalaka, Panchang, Swapnphal, and Ayurveda.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Translate »