Friday, March 29, 2024
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श्री सूक्त का पाठ, Shri Sukt ka path,

श्री सूक्त का पाठ, Shri Sukt ka path,

हे माँ लक्ष्मी आप अपने भक्तो की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने की कृपा करें , उन्हें धन, यश, सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य और कार्यो में श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो। हे माँ आपकी सदा जी जय हो।

हे माँ लक्ष्मी आप अपने भक्तो की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने की कृपा करें , उन्हें धन, यश, सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य और कार्यो में श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो। हे माँ आपकी सदा जी जय हो।

श्री सूक्त Shri Sukt ऋग्वेद से लिया गया है। शास्त्रो के अनुसार नित्य श्री सूक्त Shri Sukt का पाठ करने वाले जातक को इस संसार में समस्त सुखो की प्राप्ति होती है उसे धन यश की कोई भी कमी नहीं होती है ।

श्री सूक्त का पाठ Shri Sukt ka path करने वाला जातक को जन्म जन्मान्तर तक भी धन का अभाव नहीं होता है । श्री सूक्तम shri suktam की रचना संस्कृत में हुई है लेकिन आज चूँकि संस्कृत भाषा का चलन नहीं रह गया है अतः अशुद्धियों से बचने के लिए इसका हिंदी में पाठ भी कर सकते है । प्रश्न आपकी श्रद्धा आपके भाव का है ।

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श्री सूक्त का पाठ shri sukt ka path नित्य करना चाहिए । नवरात्री, navratri दीपावली एवं प्रत्येक शुक्रवार को तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है ।

जानिए, श्री सूक्त का पाठ, Shri Sukt ka path, श्री सूक्त का मन्त्र, Shri Sukt ka mantr, श्री सूक्त रहस्य, Shri Sukt rahasy,

श्री सूक्तं अर्थ सहित Shri sukt Arth Shith

kalash

ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह॥ (1)

हे जातवेद अग्निदेव आप मुझे सुवर्ण के समान पीतवर्ण वाली तथा किंचित हरितवर्ण वाली तथा हरिणी रूपधारिणी स्वर्ण मिश्रित रजत की माला धारण करने वाली , चाँदी के समान श्वेत पुष्पों की माला धारण करने वाली , चंद्रमा की तरह प्रकाशमान तथा चंद्रमा की तरह संसार को प्रसन्न करने वाली अथवा चंचला के सामान रूपवाली ये हिरण्मय ही जिसका शरीर है ऐसे गुणों से युक्त लक्ष्मी जी को मेरे लिए बुलाइये। ( इस मन्त्र के प्रभाव से स्वर्ण रजत की प्राप्ति होती है। )

kalash

ॐ तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम॥ (2 )

हे जातवेद अग्निदेव आप मेरे लिए उन जगत प्रसिद्ध लक्ष्मी जी laxmi ji को बुलाओ जिनके आवाहन करने पर मै समस्त ऐश्वर्य जैसे स्वर्ण ,गौ, अश्व और पुत्र पौत्रादि को प्राप्त करूँ। ( इस मन्त्र के जप से गौ, अश्व आदि की प्राप्ति होती है। )

kalash

ॐ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनाद्प्रमोदिनिम।
श्रियं देविमुप हव्ये श्रीर्मा देवी जुषताम ॥ (3)

जिस देवी के आगे और मध्य में रथ है अथवा जिसके सम्मुख घोड़े रथ से जुते हुए हैं ,ऐसे रथ में बैठी हुई , हथियो की निनाद सम्पूर्ण संसार को प्रफुल्लित करने वाली देदीप्यमान एवं समस्त जनों को आश्रय देने वाली माँ लक्ष्मी को मैं अपने सम्मुख बुलाता हूँ।
ऐसी सबकी आश्रयदाता माता लक्ष्मी मेरे घर में सदैव निवास करे। ( इस मन्त्र के शुभ प्रभाव से बहुमूल्य रत्नों की प्राप्ति होती है। )

kalash

ॐ कां सोस्मितां हिरण्य्प्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्।
पद्मेस्थितां पदमवर्णां तामिहोप हवये श्रियम्॥ (4 )

जिस देवी का स्वरूप, वाणी और मन का विषय न होने के कारण अवर्णनीय है तथा जिसके अधरों पर सदैव मुस्कान रहती है, जो चारों ओर सुवर्ण से ओत प्रोत है एवं दया से आद्र ह्रदय वाली देदीप्यमान हैं।
स्वयं पूर्णकाम होने के कारण भक्तो के नाना प्रकार के मनोरथों को पूर्ण करने वाली, कमल के ऊपर विराजमान ,कमल के सद्रश गृह मैं निवास करने वाली संसार प्रसिद्ध धन दात्री माँ लक्ष्मी को मैं अपने पास बुलाता हूँ। ( इस मन्त्र के दिव्य प्रभाव से मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि एवं संपत्ति की प्राप्ति होती है।)

kalash

ॐ चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्ती श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्।
तां पद्मिनीमी शरणं प्रपधे अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे॥ (5 )

चंद्रमा के समान प्रकाश वाली प्रकृट कान्तिवाली , अपनी कीर्ति से देदीप्यमान , स्वर्ग लोक में इन्द्र अउ समस्त देवों से पूजित अत्यंत उदार, दानशीला ,कमल के मध्य रहने वाली ,सभी की रक्षा करने वाली एवं अश्रयदात्री ,जगद्विख्यात उन लक्ष्मी को मैं प्राप्त करता हूँ। अतः मैं आपका आश्रय लेता हूँ ।
हे माता आपकी कृपा से मेरी दरिद्रता नष्ट हो। ( इस मन्त्र के जप से दरिद्रता का नाश होता है, धन की कोई भी कमी नहीं होती है । )

kalash

ॐ आदित्यवर्णे तप्सोअधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोsथ बिल्वः।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याष्च बाह्य अलक्ष्मीः॥ (6 )

हे सूर्य के समान कांति वाली देवी आपके तेजोमय प्रकाश से बिना पुष्प के फल देने वाला एक विशेष बिल्ब वृक्ष उत्पन्न हुआ है । उस बिल्व वृक्ष का फल मेरे बाह्य और आभ्यन्तर की दरिद्रता को नष्ट करें। ( इस मन्त्र का पाठ करने से लक्ष्मी जी की विशेष कृपा मिलती है। )

kalash

उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह।
प्रदुर्भूतोsस्मि राष्ट्रेsस्मिन कीर्तिमृद्धिं ददातु में ॥ (7 )

हे लक्ष्मी ! देव सखा कुवेर और उनके मित्र मणिभद्र तथा दक्ष प्रजापती की कन्या कीर्ति मुझे प्राप्त हो अर्थात इस संसार में धन और यश दोनों ही मुझे प्राप्त हों। अतः हे लक्ष्मी आप मुझे धन यश और ऐश्वर्य प्रदान करें।

kalash

क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठमलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृद्धि च सर्वां निर्णुद में गृहात्॥ (8 )

भूख एवं प्यास रूप मल को धारण करने वाली एवं लक्ष्मी की ज्येष्ठ भगिनी अलक्ष्मी ( दरिद्रता ) का मैं नाश करता हूँ अर्थात दूर करता हूँ।
हे लक्ष्मी आप मेरे घर में अनैश्वर्य, वैभवहीनता तथा धन वृद्धि के प्रतिबंधक विघ्नों को दूर करें। ( इस मन्त्र के प्रभाव से सम्पूर्ण परिवार की दरिद्रता दूर होती है।)

kalash

गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यापुष्टां करीषिणीम्।
ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोप हवये श्रियम्। (9 )

सुगन्धित पुष्प के समर्पण करने से प्राप्त करने योग्य,किसी से भी न दबने योग्य। धन धान्य से सर्वदा पूर्ण कर समृद्धि देने वाली , समस्त प्राणियों की स्वामिनी तथा संसार प्रसिद्ध लक्ष्मी को मैं अपने घर परिवार में सादर आह्वान करता हूँ। ( श्री सूक्त के इस मन्त्र के शुभ प्रभाव से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है, स्थिर सुख समृद्धि प्राप्त होती है । )

kalash

मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि।
पशुनां रूपमन्नस्य मयि श्रियं श्रयतां यशः॥ (10 )

हे लक्ष्मी ! मैं आपके प्रभाव से मानसिक इच्छा एवं संकल्प। वाणी की सत्यता,गौ आदि पशुओ के रूप (अर्थात दुग्ध -दधिआदि ) एवं समस्त अन्नों के रूप इन सभी पदार्थो को प्राप्त करूँ।
सम्पति और यश मुझमे आश्रय ले अर्थात मैं लक्ष्मीवान एवं कीर्तिमान बनूँ। ( इस मन्त्र के पाठ से अन्न, धन, यश, मान की प्राप्ति होती है। )

kalash

कर्दमेन प्रजा भूता मयि संभव कर्दम।
श्रियम वास्य मे कुले मातरं पद्ममालिनीम्॥ (11 )

“कर्दम “नामक ऋषि -पुत्र से लक्ष्मी प्रकृष्ट पुत्र वाली हुई है। हे कर्दम ! आप मुझमें अच्छी प्रकार से निवास करो अर्थात कर्दम ऋषि की कृपा होने पर लक्ष्मी को मेरे यहाँ रहना ही होगा।
हे कर्दम ! केवल यही नहीं अपितु कमल की माला धारण करने वाली संपूर्ण संसार की माता लक्ष्मी को मेरे घर में निवास कराएं । (इस मन्त्र के प्रभाव से संपूर्ण संपत्ति प्राप्ति होती है। )

kalash

आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस् मे गृहे।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ॥ (12)

जिस प्रकार कर्दम की संतति ‘ख्याति ‘से लक्ष्मी अवतरित हुई उसी प्रकार समुद्र मंथन में चौदह रत्नों के साथ लक्ष्मी का भी आविर्भाव हुआ है। इसी लिए कहा गया है कि हे जल के देव वरुण देवता आप मनोहर पदार्थो को उत्पन्न करें। माता लक्ष्मी के आनंद, कर्दम ,चिक्लीत और श्रीत ये चार पुत्र हैं।

इनमे ‘चिक्लीत ‘ से प्रार्थना की गई है कि हे चिक्लीत नामक लक्ष्मी पुत्र ! आप मेरे गृह में निवास करो। केवल तुम ही नहीं वरन दिव्यगुण युक्तसबको आश्रय देने वाली अपनी माता लक्ष्मी को भी मेरे घर में निवास कराओ। ( इस मन्त्र का पाठ करने से माँ लक्ष्मी कभी भी साथ नहीं छोड़ती है।)

kalash

आद्रॉ पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पदमालिनीम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आ वह॥ (13)

हे अग्निदेव ! आप मेरे घर में पुष्करिणी अर्थात दिग्गजों (हाथियों ) के सूंडग्रा से अभिषिच्यमाना (आद्र शारीर वाली ) पुष्टि को देने वाली अथवा पीतवर्णवाली ,कमल की माला धारण करने वाली , चन्द्रमा के समान सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित करने वाली प्रकाश स्वरुप, शुभ्र कांति से युक्त ,स्वर्णमयी लक्ष्मी देवी को बुलाओ। ( इस मन्त्र के प्रभाव से तेज बढ़ता है , सुख – समृद्धि की प्राप्ति होती है । )

kalash

आद्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आ वह॥ (14 )

हे अग्निदेव ! तुम मेरे घर में भक्तों पर सदा दयद्रर्चित अथवा समस्त भुवन जिसकी याचना करते हैं, दुष्टो को दंड देने वाली अथवा यष्टिवत् अवलंबनीया (अर्थात ‘जिस प्रकार लकड़ी के बिना असमर्थ पुरुष चल नहीं सकता,उसी प्रकार लक्ष्मी के बिना भी इस संसार में कोई भी कार्य नहीं चल सकता, अर्थात लक्ष्मी से संपन्न मनुष्य हर तरह से समर्थ हो जाता है) सुन्दर वर्ण वाली एवं सुवर्ण कि माला वाली सूर्यरूपा अतः प्रकाश स्वरूपा लक्ष्मी को बुलाओ। (इस मन्त्र के प्रभाव से धन- संपत्ति एवं वंश की वृद्धि होती है।)

kalash

तां म आवह जातवेदो लक्ष्मी मनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योsश्रान विन्देयं पुरुषानहम्॥ (15 )

हे अग्निदेव ! तुम मेरे यहाँ उन सम्पूर्ण जगत में विख्यात लक्ष्मी laxmi को जो मुझे छोड़कर अन्यत्र ना जाएँ बुलाएँ । जिन लक्ष्मी laxmi के द्वारा मैं सुवर्ण , उत्तम ऐश्वर्य ,गौ ,दासी ,घोड़े और पुत्र -पौत्रादि को प्राप्त करूँ अर्थात स्थिर लक्ष्मी laxmi को प्राप्त करूँ ऐसी लक्ष्मी मेरे घर में निवास करें । ( इस मन्त्र के शुभ प्रभाव से अचल संपत्ति की प्राप्ति होती है। )

kalash

यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्।
सूक्तं पञ्चदशर्च च श्रीकामः सततं जपेत्॥ (16 )

जो मनुष्य सुख-समृद्धि अतुल लक्ष्मी laxmi कि कामना करता हो ,वह पवित्र और सावधान होकर प्रतिदिन अग्नि में गौघृत का हवन और साथ ही श्रीसूक्त shri sukt कि पंद्रह ऋचाओं का प्रतिदिन पाठ करें।इससे उस पर माँ लक्ष्मी ma laxmi की सदैव कृपा बनी रहती है । ( जो पूर्ण श्रद्धा से नित्य श्री सूक्त का पाठ करता है उसे इस संसार में किसी भी वस्तु का अभाव नहीं रहता है )

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akhileshwar-pandey
ज्योतिषाचार्य अखिलेश्वर पाण्डेय
भृगु संहिता, कुण्डली विशेषज्ञ

वैदिक, तंत्र पूजा एवं अनुष्ठान के ज्ञाता

Published By : Memory Museum
Updated On : 2020-12-27 08:35:00 PM

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Pandit Ji
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