Friday, March 29, 2024
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शरद पूर्णिमा के उपाय, Sharad purnima ke upay, Sharad purnima 2023,

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हिन्दु धर्म शास्त्रो मे शरद पूर्णिमा Sharad Purnima को बहुत ही पुण्यदायक पर्व माना गया है। शरद पूर्णिमा के उपाय, Sharad purnima ke upay, बहुत ही सिद्ध और शीघ्र फलदायी कहे गए है।

हम सभी जीवन भर धन लक्ष्मी Dhan Lakshmi की पीछे भागते है सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की चाह रखते है, इसके लिए अपने परिश्रम के साथ नित्य पूजा अर्चना, दान-पुण्य, ब्रत इत्यादि भी करते है कि माँ लक्ष्मी की कृपा अवश्य ही बनी रहे।

और शरद पूर्णिमा तो वह तिथि है जिस दिन माँ लक्ष्मी का अवतरण हुआ था अतः इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा Maa Laxmi Ki Puja आराधना, उनको प्रसन्न करने के लिये किये गए उपायों का अत्यंत श्रेष्ठ फल मिलता है ।

शास्त्रो में कई ऐसे शरद पूर्णिमा के उपाय, Sharad purnima ke upay, बताये गए है जिन्हें करने से घोर से घोर आर्थिक संकट भी दूर हो जाते है जीवन में सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की वर्षा होने लगती है,

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शरद पूर्णिमा के उपाय, Sharad purnima ke upay,

* वर्ष 2022 में शरद पूर्णिमा 28 अक्तूबर दिन शनिवार को है ।

पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर को तड़के सुबह 04 बजकर 17 AM पर शुरू होगी जो 29 अक्टूबर को 01 बजकर 53 AM तक रहेगी. शरद पूर्णिमा के दिन सांय 17. 20 पर चंद्रोदय होगा ।

इस वर्ष 2023 में शरद पूर्णिमा के दिन 28 अक्टूबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लग रहा है। यह चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा जिसक कारण इस ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा।

चंद्र ग्रहण विश्व में 28 अक्टूबर की रात 11 बजकर 32 मिनट से शुरू होगा और देर रात 3 बजकर 36 मिनट पर तक रहेगा I

पंचांग के अनुसार यह चंद्र ग्रहण भारत में 28 अक्तूबर की रात 01 बजकर 06 मिनट से शुरू होगा जो रात के 2 बजकर 22 मिनट पर तक रहेगा । इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल चंद्र ग्रहण के 9 घंटे पहले ही शुरू हो जाएगा

इस तरह से 28 अक्तूबर को शाम 4 बजे से सूतक लग जाएगा जो ग्रहण के अंत तक रहेगा, इस लिए इस दिन शाम 4 बजे के बाद किसी भी तरह का मंदिर में पूजा पाठ या तुलसी जी / पीपल / शमी पर दीपक नहीं जलाया जायेगा।

30 साल बाद शरद पूर्णिमा पर लग रहे इस चंद्र ग्रहण के दिन गजकेसरी योग का भी निर्माण हो रहा है।

शरद पूर्णिमा के उपाय sharad purnima ke upay से सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की कोई भी कमी नहीं रहती है।

* शरद पूर्णिमा sharad purnima के दिन माता अष्ट लक्ष्मी की तस्वीर लेकर उसपर केसर का तिलक करके, 8 कमल चढ़ाकर महालक्ष्मी अष्टकम पढे । इस उपाय से कुंडली में चाहे जैसा भी योग हो माँ लक्ष्मी अपने भक्त को जीवन में अतुल ऐश्वर्य प्रदान करती है।

शरद पूर्णिमा के दिन Sharad Purnima ke din आँवले को रात में चन्द्रमा की चाँदनी में रखे। मान्यता है की इस दिन चन्द्रमा की किरणों में रखे आंवले में औषधीय शक्ति आ जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है ।

* शरद पूर्णिमा के दिन Sharad Purnima ke din माँ लक्ष्मी Maa Lakshmi अवतरित हुई थी। इस दिन लक्ष्मी सहस्त्रनाम, सिद्धिलक्ष्मी कवच, श्रीसूक्त, लक्ष्मी सूक्त, महालक्ष्मी कवच, कनकधारा के पाठ में जो भी कर सके उसे अधिक से अधिक अवश्य ही करें । इससे आने वाली पीढ़ियों पर भी माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

* इस दिन तांबे के बरतन में देशी घी भरकर किसी ब्राह्मण को दान करने और साथ में दक्षिणा भी देने से बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है और धन लाभ की प्रबल सम्भावना बनती है। इस दिन ब्राह्मण को खीर, कपड़े आदि का दान भी करना बहुत शुभ रहता है ।

* इस दिन संध्या के समय 11 या इससे अधिक घी के दीपक जलाकर घर के पूजा स्थान, छत, गार्डन, तुलसी के पौधे, चारदिवारी आदि के पास रखने से, अर्थात इन दीपमालाओं से घर को सजाने से भी माँ लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होती है।

* माँ लक्ष्मी को खीर अत्यंत प्रिय है । शास्त्रो में गाय के दूध में महालक्ष्मी का वास Maa Lakshmi ka Vaas माना गया है, अत: इस दिन यथा संभव गाय के दूध में खीर बनाये और खीर में केसर, छुआड़े और मेवे भी अपनी सामर्थ्यानुसार अवश्य ही डालें ।

* मान्यता है कि खीर को चांदी के पात्र में बनाना चाहिए। चांदी में प्रतिरोधकता अधिक होती है इसलिए इससे विषाणु दूर रहते हैं, या खीर बनाने के बाद उसमें चांदी का सिक्का या कोई भी अन्य चांदी की वास्तु डालकर उसे चन्द्रमा की रौशनी में रखे।

शरद पूर्णिमा के दिन Sharad Purnima ke Din प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 30 मिनट तक चंद्रमा की रौशनी का स्नान अवश्य ही करना चाहिए।

इसके लिए रात्रि 10 से 12 बजे तक का समय सबसे उपयुक्त रहता है, लेकिन ग्रहण की वजह से यह काम रात्रि 11 बजे तक ही कर लें।

* दमा रोगियों के लिए शरद पूर्णिमा Sharad Purnima की रात वरदान बनकर आती है। शरद पूर्णिमा की रात्रि Sharad Purnima ki Ratri खीर को चांदनी रात में रात्रि के 11 बजे तक रखकर अगले दिन माँ लक्ष्मी को उसका भोग लगाकर उसका सेवन रोगी को कराएं है।

दमे का मरीज चंद्रमा की चाँदनी में रात्रि जागरण करें और इस रात्रि में 2-3 किमी पैदल भी अवश्य ही चले, इससे दमे में अत्यधिक सुधार होता है।

* शोध से पता चला है कि शरद पूर्णिमा के दिन औषधियों की स्पंदन क्षमता बहुत अधिक होती है। लंकापति रावण शरद पूर्णिमा की रात Sharad Purnima ki Raat चन्द्रमा की किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि पर ग्रहण करता था इससे उसे यौवन शक्ति की प्राप्त होती थी।

माना जाता है कि शरद पूर्णिमा Sharad Purnima की चांदनी रात में 10 से मध्यरात्रि 12 बजे के बीच कम वस्त्रों में चन्द्रमा की चाँदनी में स्नान करने वाले व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती है, उसका यौवन बढ़ता है। अत: प्रत्येक व्यक्ति को इस इन 10 से 12 बजे घर के अंदर नहीं वरन चन्द्रमा की रौशनी में ही रहना चाहिए ।

* मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन Sharad Purnima ke Din चन्द्रमा अपनी पूर्ण सोलह कलाओं के साथ अवतरित होता है, इस दिन चन्द्रमा की किरणों में अमृत का वास माना गया है, चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा खीर में समाहित हो जाती हैं जिसका सेवन करने से सभी प्रकार की बीमारियां आदि दूर हो जाती हैं।

आयुर्वेद में भी चाँदनी के औषधीय महत्व का वर्णन मिलता है, खीर को रात्रि में चांदनी में रखकर अगले दिन इसका सेवन करने से असाध्य रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है, यौवन बना रहता है।

* शरद पूर्णिमा Sharad Purnima के दिन सत्यनारायण भगवान को आँवले, सिंघाड़े, नारियल, पीले पुष्प, लौंग, इलाइची, केसर और मिष्ठान अर्पित करते हुए उनकी कथा कहे।

इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा कहने से माँ लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती है जातक को जीवन भर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
जातक के घर कारोबार में धन, सुख-समृद्धि की कोई भी कमी नहीं रहती है।

* भगवान विष्णु को आँवला अत्यंत प्रिय है । शरद पूर्णिमा Sharad Purnima को भगवान श्री विष्णु जी को आंवला चढ़ाने, आंवला की पूजा करने से माँ लक्ष्मी घर में अवश्य ही आती है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान देवी माँ लक्ष्मी प्रकट हुई। उनके रूप, सौन्दर्य को देखकर उन्हे पाने के लिए देव-दानव आपस में संघर्ष करने लगे। इस संघर्ष के दौरान देवी लक्ष्मी ने बिल्व वृक्ष के नीचे आराम किया था।

अतः नवरात्र के दौरान महाष्टमी व महानवमी, शरद पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए बिल्वपत्र के पेड़ की पूजा की जाती है और जल चढ़ाया जाता है।

मान्यता है कि इस दिन बिल्व पत्र ( बेल पत्र ) का पौधा लगाने, उसकी सेवा करने, सांय काल वहां पर दीपक जलाने से माता लक्ष्मी उस जातक का साथ कभी भी नहीं छोड़ती है, उस पर कभी कोई कर्ज नहीं रहता है, उसे अतुल ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

शरद पूर्णिमा के दिन Sharad Purnima ke Din मंदिर में जाकर माँ लक्ष्मी को इत्र और सुगन्धित अगरबत्ती अर्पण करनी चाहिए । इत्र की शीशी खोलकर माता के वस्त्र पर वह इत्र छिड़क दें , उस अगरबत्ती के पैकेट से भी कुछ अगरबत्ती निकल कर जला दें फिर धन, सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी माँ लक्ष्मी से अपने घर में स्थाई रूप से निवास करने की प्रार्थना करें।

इससे माँ अपने भक्त के सभी संकट दूर करती है।

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कुंडली एवं वास्तु विशेषज्ञ
पंडित पंडित ज्ञानेंद्र त्रिपाठी जी

Pandit Ji
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