Tuesday, February 25, 2025
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दिवाली पूजा, diwali pooja, में विशेष रूप से माँ लक्ष्मी की आराधना की जाती है।
माता लक्ष्मी का दूसरा नाम कमला है, यह कमल के आसन पर हाथ में कमल को धारण किये हुए विराजमान है। लक्ष्मी जी दीपावली के दिन समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी ।

माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की हर्दय प्रिया है , दीपावली dipavali, दिवाली पूजा, diwali pooja, में इनका पूजन , धन समृद्धि एवं सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

इसीलिए यह जानना अति आवश्यक है कि दीपावली की पूजा कैसे करें, यहाँ पर हम आसान सी दिवाली पूजा, diwali pooja की विधि बता रहे है जिससे आप निश्चित ही माँ लक्ष्मी और गणेश जी की कृपा प्राप्त कर सकते है।

यह है 2024 की दीपावली पर माँ लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का शुभ मुहूर्त



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इस दिन घर एवं व्यापारिक प्रतिष्टान के मुख्य द्वार के दोनों ओर दीवार पर शुभ – लाभ , स्वास्तिक , ॐ , आदि सौभाग्य चिन्हों को सिंदूर से अंकित करें तत्पश्चात उस पर पुष्प रोली चड़ाकर प्रार्थना करनी चाहिए ।

दिवाली divali पूजन का पूजन घर के पूजा कक्ष में अथवा तिजोरी रखने वाले कक्ष में करना उत्तम होता है ।

माँ लक्ष्मी विष्णु प्रिया है । दीपावली dipavali के पूजन के समय लक्ष्मी गणेश के साथ विष्णु जी की स्थापना करना अनिवार्य है । ध्यान रहे लक्ष्मी जी की दाहिने ओर विष्णु जी और बाएं ओर गणेश जी को रखना चाहिए ।

दिवाली diwali पूजन के समय घर की महिलाएं माँ लक्ष्मी की किसी पुरानी तस्वीर पर अपने हाथ से सम्पूर्ण सुहाग की सामग्री अर्पित करें ।

अगले दिन स्नान के बाद पूजा करके उस सामग्री को माँ लक्ष्मी का प्रसाद मानकर खुद प्रयोग करें तथा माँ लक्ष्मी से अपने घर में स्थायी रूप से रहने की प्रार्थना करें , केवल इतना मात्र करने से ही उस घर में माँ की कृपा हमेशा बनी रहती है ।

यह कोशिश करें की पूजन में माँ लक्ष्मी को घर में बनी सबुतदाने की खीर या घर के बने हलुए का भोग लगायें बाजार की मिठाई का नहीं ।

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शाम को दीवाली diwali के पूजन से पहले आप किसी भी गरीब सुहागिन स्त्री को अपनी पत्नी के द्वारा सुहाग सामग्री अवश्य दिलवाएं , सामग्री में इत्र अवश्य हो ।

सांयकाल लक्ष्मी पूजन laxmi poojan के मुहर्त के समय गृहस्वामी को अपने पूरे परिवार के साथ स्नान आदि करके पीले वस्त्र धारण करके पूजा के कमरे में प्रवेश करना चाहिए , प्रवेश करते समय माँ लक्ष्मी , भगवान गणेश , कुबेर जी , इंद्र जी , माता सरस्वती का ध्यान करना चाहिए ।
प्रवेश करने से पूर्व तीन बार ताली बजानी चाहिए ।

लक्ष्मी गणेश laxmi ganesh का चित्र / मूर्ति , कुबेर जी का चित्र , स्फुटिक श्री यंत्र और जिन भी यंत्रों की पूजा करनी हो उन्हें जल से पवित्र करके लाल वस्त्र से आच्छादित चैकी पर स्थापित करें ।

पूजन सामग्री को निम्नलिखित तरीके से रखना अति उत्तम होता है ।

बायीं ओर: — जल से भरा पात्र , घंटी , धूप , तेल का दीपक आदि ।

दायीं ओर: — घी का दीपक , जल से भरा हुआ दक्षिणवर्ती शंख ।

सामने : — चन्दन, मौली , रोली , पुष्प (अगर कमल का फूल भी हो तो ओर भी उत्तम है ) नैवेद्ध, खील बताशे , मिष्टान ।

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चौकी पर थोड़े से चावल का ढेर बनाकर उस पर एक सुपारी को मोली से लपेटकर रख दें फिर भगवान गणेश Bhagwan Ganesh जी का आह्वान करना चाहिए ।

दक्षिण वर्ती शंख को अक्षत डालकर उसपर स्थापित करना चाहिए,फिर दूर्वा,तुलसी एवं पुष्प की पंखुड़ी दल कर उसे जल से भर देना चाहिए ।

किसी कटोरी में पान के पत्ते के ऊपर नैवेद्ध ( प्रसाद ) रखें उस पर लौंग का जोड़ा अथवा इलायची रखकर तब वह सामग्री माँ लक्ष्मी जी, गणेश जी को अर्पित करनी चाहिए ।

पूजन pujan के समय माँ लक्ष्मी के सामने अपनी तिजोरी से कुछ सोने चाँदी के सिक्के अथवा कोई भी आभूषण निकाल कर तब पूजन करना चाहिए ।

दिपावली की पूजा में घर के मंदिर या धन स्थान में जो भी यंत्र ( श्री यंत्र, दक्षिणीवर्ति शंख, एकाक्षी नारियल, व्यापार वृद्धि, लक्ष्मी गणेश आदि यंत्र ) रखें हो वह सभी यंत्र माँ लक्ष्मी के सामने रखकर उन सबकी पूजा भी कर लेनी चाहिए I

दिवाली पूजन में कमल गट्टा, पीली सरसों, शहद, साबुत धनिया, पीली कौडिय़ां, गोमती चक्र, नाग केसर, साबुत हल्दी की गांठ, कमल का फूल आदि का अवश्य प्रयोग करें I

दीपावली dipavali के दिन देवों के राजा इंद्र की भी पूजा अवश्य ही करनी चाहिए ।

दीवाली diwali के दिन बही खाता और तुला आदि की भी पूजा करनी चाहिए ।

दीपावली dipavali को दीपमालिका का पूजन करके दीपदान करना चाहिए । सबसे पहले एक थाली में कम से कम ग्यारह मिटटी के कोरे दीपक धोकर रख लें , फिर उस में बत्ती डालकर उस में तेल भर दें पूजा चैकी के बायीं ओर उस थाली में कुछ मुष्प ओर अक्षत डालकर उसे रख दें ।
पूजा के समय उन्हें भी प्रज्ज्वलित करके रोली से उनका पूजन करें , खील बताशे आदि उन पर अर्पण करें ।

पूजा के बाद इन दीपकों को घर के मुख द्वार के दोनों ओर , तुलसी जी के समीप , रसोई , पूजास्थल , पेयजल रखने के स्थान पर , घर के आँगन अथवा चैक , घर की छत आदि पर रखकर दीपदान करें , और भी अधिक दीपक लगाने पर उन्हें इन्ही दीपको के साथ जलाएं ।

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कुंडली एवं वास्तु विशेषज्ञ
पंडित ज्ञानेंद्र त्रिपाठी जी

Pandit Ji
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