Pitra Dosh Nivaran Yantra
Pitra Dosh Nivaran Mantra
मन्त्र 1 — ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः ।।
मन्त्र 2 — ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नमः ।।
कुछ वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि पित्र दोष का कारण यह होता है कि जातक ने अपने पूर्वजों के मृत्योपरांत किये जाने वाले संस्कार तथा श्राद्ध आदि उचित प्रकार से नहीं किये होते जिसके चलते जातक के पूर्वज अर्थात पित्र उसे शाप देते हैं जो पित्र दोष बनकर जातक की कुंडली में उपस्थित हो जाता है तथा जातक के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में समस्याएं उत्पन्न करता है।….. पित्र दोष वास्तविकता में पित्रों के शाप से ही नहीं बनता है अपितु पित्रों के और हमारे स्वयं द्वारा किये गए बुरे कर्मों के परिणामस्वरूप बनता है जिसका फल जातक और उसके परिवार को भुगतना पड़ता है ।
परिवार के मुखिया द्वारा जो सत्कर्म अथवा दुष्कर्म अपने जीवन में किए जाते हैं,उनका फल उसके जाने के बाद पारिवारिक सदस्यों को भोगना पडता है—विशेषरूप से उसकी संतान को। अब वो फल अच्छा है या बुरा,वो तो उस मुखिया के किए गये कर्मों पर निर्भर करता है। यदि पूर्वज द्वारा अच्छे कार्य किए गये हैं तो निश्चित रूप से वह अपने परिवार को सम्पन्नता एवं प्रसन्नता दे पाएगा। यदि उसने अपने जीवन में अनैतिक कर्मों का ही आश्रय लिया है तो वह अपने परिवार को अपमान एवं दुख के अतिरिक्त ओर क्या दे सकता है ।
यहाँ गए सिद्ध पितृदोष निवारण यंत्र के नित्य दर्शन और दिए गए मन्त्र का नित्य 11 बार जाप करने से पितृ दोष में कमी होती है, पितृ संतुष्ट होते है जिसके फलस्वरूप जीवन में बाधाएं नहीं आती है और जातक को सभी कार्यों में उल्लेखनीय सफलताएँ प्राप्त होती है ।
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