Friday, November 15, 2024
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पितरों के दान, Pitron ke daan,

पितृ पक्ष में क्या दान करें, Pitra Paksh Me Kya Daan Karen,

  • हिन्दू धर्म में दान को बहुत ही अहम और जरूरी माना गया है। खासतौर पर पित्तरों की प्रसन्नता के लिए पितरो के दान ( Pitron ke daan) जो हम श्राद्ध पक्ष, उनकी बरसी और अमावस्या को जो भी पूर्ण श्रद्धा से उनके निमित दान करते है उससे हमें अपने पित्तरों का सदैव आशीर्वाद प्राप्त होता है |
  • हममें से अधिकतर मनुष्यों की यह मानसिकता बन गयी है की हम अपने या अपने परिवार के ऊपर लाखों रूपये खर्च कर देते है लेकिन दान पुण्य करते समय हम धन को गिनना शुरू कर देते है, हम दान पुण्य को चुपचाप और सामर्थ्यानुसार नहीं करते है वरन एक मज़बूरी, बोझ समझकर रस्म अदायगी भर ही करते है । हम सब चाहे कितना भी धन पूरे वर्ष में खर्च करें लेकिन पितरों के निमित दान पुण्य पर कुछ धनराशि भी बहुत बड़ी लगने लगती है ।
  • पितरों की प्रसन्नता के लिए श्राद्धपक्ष Shradh Paksh में किए जाने वाले दान न केवल कालसर्प दोष Kaalsarp Dosh एवं हमारे पितृदोष Pitra dosoh को खत्म करते हैं वरन हमारे जीवन के सभी संकटों को दूर करते हुए हमें धन,यश, सफलता, दीर्घ आयु,पारिवारिक सुख शांति और समस्त भौतिक सुख संपदाओं को प्रदान करते है।
  • कहते है पित्तरों के निमित उनके गोत्र तथा नाम का उच्चारण करके जो भी वस्तुएं उन्हे अर्पित की जाती है वह उन्हें उनकी योनि के हिसाब से प्राप्त होती है।
    हमारे पितरों के पित्तर योनि Pitra Yoni में होने पर उन्हें सूक्ष्म द्रव्य रूप में,
    * देव लोक में होने पर अमृत रूप में,
    * गन्धर्व लोक में होने पर भोग्य रूप में,
    * पशु योनि में तृण रूप में,
    * सर्प योनि में वायु रूप में,
    * यक्ष योनि में पेय रूप में,
    * दानव योनि में माँस रूप में,
    * प्रेत योनि में रूधिर रूप में, तथा
    * यदि हमारे पित्तर मनुष्य योनि में हो तो उन्हे अन्न, धन आदि के रूप में प्राप्त होता है।

    अर्थात हमारे द्वारा दिया गया दान और श्राद्ध कर्म कतई निष्फल नहीं होता है । पितृपक्ष Pita Paksh में हम वैसे तो कुछ भी अपनी श्रद्धा से दान कर सकते है लेकिन खासतौर पर नीचे बताये गए दान महादान माने गए हैं।

पितृ पक्ष में 10 दान महादान माने गए हैं

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  • तिल का दान : सम्पूर्ण श्राद्ध कर्म में तिल का बहुत ही ज्यादा महत्व है। काले तिल भगवान विष्णु को अति प्रिय है। श्राद्ध पक्ष Shradh Paksh में कुछ भी दान करते समय हाथ में काला तिल लेकर ही दान करना चाहिए। इससे दान का सम्पूर्ण फल हमारे पितरों को प्राप्त होता है। पित्तरों के निमित श्राद्ध में काले तिलों का दान हमारी तथा हमारे पूरे परिवार की हर प्रकार के संकटों से रक्षा करता है।

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  • घी का दान :पितरों के श्राद्ध में गाय के घी को अपनी सामर्थ्य के अनुसार सुपात्र ब्राहमण को दान देना अत्यंत ही मंगलकारी माना जाता है।

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  • स्वर्ण का दान : स्वर्ण दान से परिवार मे कलह दूर होती है, परिवार के सभी सदस्यों के मध्य आपसी प्रेम और सौहार्ध्य का वातावरण उत्पन्न होता है । अगर स्वर्ण दान संभव न हो सके तो अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार यथाशक्ति धन का दान भी किया जा सकता हैं।

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  • अन्नदान :अन्नदान में आप कोई भी अनाज का दान दे सकते है । यह दान पूर्ण श्रद्धा से संकल्प सहित करने पर मनुष्य की सभी इच्छाएं पूर्ण होती है ।

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  • वस्त्र दान :शास्त्रों के अनुसार पितरों को भी हम मनुष्यों की तरह ही सर्दी, गर्मी का एहसास होता है। इससे बचने हेतु पितरगण अपने वंशजों से वस्त्र की इच्छा रखते हैं। जो व्यक्ति अपने पितरों के निमित्त वस्त्र का दान करते हैं उन पर पितरों की हमेशा कृपा बनी रहती है। पितरों को धोती एवं दुपट्टा का दान करना सबसे उत्तम माना गया है। वस्त्र दान से यमदूतों का भय भी समाप्त हो जाता है। वैसे वस्त्र दान में आप धोती,कुरता,गमछा ,बनियान,रुमाल आदि किसी भी तरह के वस्त्रों का दान कर सकते है परन्तु ध्यान रहे की यह वस्त्र नए और बिलकुल साफ होने चाहिए।

  • चाँदी का दान : श्राद्ध में चाँदी के दान का बहुत ज्यादा महत्त्व है पुराणों में लिखा है कि पितरों का निवास चन्द्र के ऊपरी भाग में है। शास्त्रों के अनुसार पितरों को चांदी की वस्तुएं अति प्रिय हैं। चांदी, चावल, दूध के दान से से पितर बहुत खुश होते हैं। इन वस्तुओं के दान से न केवल वंश की वृद्धि होती है वरन मनुष्य की सभी इच्छाएँ भी अवश्य ही पूर्ण होती है।

  • भूमि दान : श्राद्ध पक्ष Shradh Paksh में किसी भी गरीब व्यक्ति को भूमि का दान, व्यक्ति को स्थाई संपत्ति और अतुल वैभव देता है। महाभारत में कहा गया है कि भूलवश बड़े से बड़ा पाप हो जाने पर भूमि दान करने से व्यक्ति को पाप से मुक्ति मिल जाती है। भूमि दान से दानकर्ता को अक्षय पुण्य मिलता है। ऐसा माना जाता है की कि पितरों के निमित्त भूमि दान करने से पितरों को पितर लोक में रहने के लिए उचित स्थान मिलता है। अगर भूमि का दान संभव न हो तो इसके स्थान पर मिट्टी के कुछ टुकड़े उचित दक्षिणा के साथ किसी बर्तन/ थाली में रखकर किसी भी योग्य ब्राह्मण को दान दिया जा सकता है । श्रद्धापूर्वक मिट्टी का दान करने से भी पितर संतुष्ट हो जाते हैं। भूमि दान से यश, मान-सम्मान एवं स्थायी संपत्ति में वृद्धि होती है।

  • गुड़ का दान: गुड़ के दान से हमारे पितृ अति शीघ्र प्रसन्न होते है । इस दान से व्यक्ति को धन , सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है ।

गौ दान : गौ दान तो हमेशा से ही सभी दानों में श्रेष्ठ माना जाता है। लेकिन श्राद्ध पक्ष Shradh Paksh में किया गया गौ दान हर सुख और ऐश्वर्य प्रदान करने वाला माना गया है।
गरूड़ पुराण में कहा गया है कि मृत्यु के समय जो व्यक्ति गाय की पूंछ पकड़कर गौ दान करते हैं उन्हें मृत्यु के बाद वैतरणी नदी पार करने में कोई भी परेशानी नहीं होती है। वैतरणी नदी यमलोक के रास्ते में पड़ती है जिसमें भयानक जीव-जन्तु निवास करते हैं जो पापी व्यक्ति को घोर पीड़ा देते हैं।
इसीलिए पितृ पक्ष Pitra Paksh में गाय का दान करने से पितर बहुत ही प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को हर्दय से आशीर्वाद देते हैं। अगर आप गौ दान करने में असमर्थ हो तो अपनी यथाशक्ति उसके स्थान में धन का दान दे सकते है ।

नमक का दान: पितरों की प्रसन्नता के लिए नमक के दान का बहुत महत्व है। इस दान के पहले ब्राह्मण देवता में अपने पितरों की छवि देखते हुए उन्हें पूर्ण श्रद्धा और स्नेह से भोजन कराएं और उसके बाद उन्हें दान दे कर उनका आशीर्वाद लेकर उनकी संतुष्टि की प्रार्थना करते हुए उनसे अपने जाने अनजाने में किये गए किसी भी अपराध के लिए क्षमा मांगे।

इनके अतिरिक्त आप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य से अपने पित्तरों के पसंद के फल, बिस्तर, छाता, चप्पल, पंखा, मट्टी का घड़ा आदि का दान भी किसी योग्य ब्राह्मण को कर सकते है।
याद रहे पितरों के निमित किया जाने वाला दान केवल ब्राहमण को ही देना चाहिए क्योंकि उन्हें ब्रह्मा का अंश माना जाता है और उन्ही को दी गयी वस्तुओं का ही पुण्य प्राप्त होता है।

आप किसी गरीब असहाय की मदद तो कर सकते है वह भी बहुत ही उत्तम है लेकिन पितरों का दान सदैव योग्य ब्राह्मण को ही दें किसी और को नहीं।
पितृ पक्ष,अमावस्या और अपने दिवंगत परिजनों की बरसी को ब्राह्मण को अपने पितरों का प्रिय भोजन पूर्ण श्रद्धा और आदर देते हुए अवश्य कराएँ इससे आप और आपके परिवार पर आपके पित्तरों की सदैव कृपा द्रष्टि अवश्य ही बनी रहेगी।

Pandit Ji
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