Monday, December 2, 2024
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पित्र पक्ष में ब्राह्मण भोजन का महत्व
Pitra Paksh Me Brahman Bhojan Ka Mahtva

हिन्दू धर्म शास्त्रों में श्राद्ध में ब्राह्मण भोजन, shradh me brahman bhojan, का बहुत ही महत्व माना गया है।

मान्यता है कि हमारे पितृ पूरे वर्ष श्राद्ध अर्थात पितृ पक्ष Pitra Paksh की प्रतीक्षा करते है क्योंकि पितृ पक्ष Pitra Paksh में वह सूक्ष्म रूप में अपने अपने वंशजो के पास उनके घर में आते है और उनसे अपने प्रति तर्पण Tarpan, श्राद्ध Shradh, दान आदि कर्तव्यों को करने की अपेक्षा रखते है।

* शास्त्रो के अनुसार श्राद्ध वाले दिन में पितृ स्वयं ब्राह्मण के रूप में उपस्थित होकर भोजन ग्रहण करते है और जिस घर में ब्राह्मण देवता को प्रसन्न होकर पूर्ण श्रद्धा एवम आदर के साथ भोजन कराया जाता है, उन्हें दक्षिणा दी जाती है, वहाँ पर पितृ पूर्णतया तृप्त होकर अपने वंशजो को अपना दिव्य आशीर्वाद प्रदान करते है।

अत: प्रत्येक श्रद्धा कर्ता को अपने पितरों के श्राद्ध Pitron ke Shradh के दिन अपने घर में ब्राह्मण भोजन अनिवार्य रूप से कराना चाहिए । पितृ पक्ष में ब्राह्मण भोजन में निम्नलिखित बातो का अवश्य ही ध्यान रखना चाहिए ।

अवश्य जानिए क्या है श्राद्ध का महत्त्व, क्यों हर घर के मुखिया को श्राद्ध अनिवार्य रूप से करना चाहिए

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* श्राद पक्ष Shradh Paksh में श्राद्ध Shradh वाले दिन बहुत से लोग पंडितों को भोजन कराने की जगह मंदिर या अनाथालय में भोजन भिजवा देते है जो सर्वथा गलत है ।

शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध Shradh वाले दिन पितृ साक्षात अपने घर में ब्राह्मण के रूप में भोजन ग्रहण करने आते है और उन्हें इस दिन का पूरे वर्ष बहुत ही बेसब्री से इंतज़ार रहता है और जब वह देखते है कि उन्हें घर में भोजन कराने की जगह भोजन को घर से बाहर भेजा जा रहा है तो वह बहुत ही कष्ट का अनुभव करते है।

* इसलिए यह सदैव ध्यान में रखिये कि आपको ब्राह्मण को अपने घर में बुलाकर प्रेम और श्रद्धा से भोजन कराकर उनका आशीर्वाद अवश्य ही लेना चाहिए तभी आपके पितृ तृप्त होंगे ।

* श्राद्ध के दिन लहसुन, प्याज रहित सात्विक भोजन ही घर की रसोई में बनाना चाहिए, जिसमें उड़द की दाल, बडे, दूध-घी से बने पकवान, चावल, खीर, बेल पर लगने वाली मौसमी सब्जीयाँ जैसे- लौकी, तोरई, भिण्डी, सीताफल, कच्चे केले की सब्जी ही बनानी चाहिए ।

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* पितरों को खीर बहुत पसंद होती है इसलिए उनके श्राद्ध के दिन और प्रत्येक माह की अमावस्या को खीर बनाकर ब्राह्मण को भोजन के साथ खिलाने पर महान पुण्य की प्राप्ति होती है, जीवन से अस्थिरताएँ दूर होती है ।

* आलू, मूली, बैंगन, अरबी तथा जमीन के नीचे पैदा होने वाली सब्जियाँ पितरो के श्राद्ध के दिन नहीं बनाई जाती हैं।

* चना, मसूर, कुलथी, सत्तू, मूली, काला जीरा, कचनार, खीरा, काला उड़द, काला नमक, बड़ी सरसों, काले सरसों की पत्ती और बासी, अपवित्र फल या अन्न श्राद्ध में निषेध हैं।

* श्राद्ध Shradh के भोजन में बेसन का प्रयोग नहीं किया जाता है ।

* श्राद्ध Shradh में ब्राह्मण भोजन गजछाया के ( मध्यान का समय ) दौरान किया जाये तो अति उत्तम है ! गजछाया दिन में 12 बजे से 2 बजे के मध्य रहती है । सुबह अथवा 12 बजे से पहले किया गया श्राद्ध पितरों तक कतई नही पहॅंचता है। यह सिर्फ रस्मअदायगी मात्र ही है ।

* श्राद्ध Shradh में ब्राह्मण भोजन से पहले अग्नि को भाग समर्पित करना चाहिए, इससे ब्राह्मण द्वारा किया गया भोजन सीधे पितरों को मिलता है ,ब्रह्मराक्षस उसे दूषित नहीं कर पाते है ।

* श्राद्ध में विषम 1, 3, 5 की संख्या में अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मण को बुलाकर श्रद्धा पूर्वक भोजन कराएं और भोजन के पश्चात उन्हें दान दक्षिणा देकर उनके चरण छूकर उनका आशीर्वाद लेकर उनको विदा करें । बिना दान दक्षिणा के श्राद्ध कर्म पूर्ण नहीं माना जाता है ।

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