सूर्य ग्रहण का महत्व, surya grahan ke mahtv,
सूर्य ग्रहण ( Surya grahan ) एक बहुत ही प्रमुख खगोलीय घटना, प्रकृ्ति का एक अद्भुत चमत्कार है। ग्रहण ( grahan ) दो तरह के होते है सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण इनमें सूर्य ग्रहण का महत्त्व ( sury grahan ka mahtv)अधिक माना गया है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण ( Surya grahan ) तब होता है, जब सूर्य आंशिक अथवा पूर्ण रूप से चन्द्रमा द्वारा बाधित हो जाए। अर्थात जब चन्दमा पृथ्वी और सूर्य के बीच यानि घूमते-घूमते चन्द्रमा, सूरज व पृथ्वी तीनो एक ही सीध में होते हैं और इस कारण चन्द्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है इसे सूर्यग्रहण कहा जाता हैं। सूर्यग्रहण अमावस्या के दिन में ही होता है।
वैदिक काल से ही हमारे ऋषि मुनियों को खगोलीय संरचना सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण तथा उनकी पुनरावृत्ति का ज्ञान था । ऋग्वेद के अनुसार अत्रिमुनि के परिवार के पास यह ज्ञान उपलब्ध था।
महर्षि अत्रिमुनि ग्रहण के ज्ञान को देने वाले प्रथम आचार्य थे।
वेदांग ज्योतिष से हमारे वैदिक पूर्वजों के इस महान ज्ञान का पता चलता है। प्राचीन काल से ही ग्रह नक्षत्रों की दुनिया की इस घटना का ज्ञान भारतीय मनीषियों के पास था उन्होंने सफलतापूर्वक इसकी गणना करनी शुरू कर दी थी। ग्रहण पर धार्मिक, वैदिक, वैचारिक, वैज्ञानिक विवेचन प्राचीन ज्योतिषीय ग्रन्थों से ही होता चला आया है।
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पुराणों की मान्यता के अनुसार राहु चंद्रमा को डसता है तो चंद्र ग्रहण एवं केतु सूर्य को ग्रसता है तो सूर्य ग्रहण होता है ।
ये दोनों ही छाया की संतान हैं जो चंद्रमा और सूर्य की छाया के साथ-साथ चलते हैं।
चंद्र ग्रहण के समय कफ की प्रधानता बढ़ती है और मन की शक्ति क्षीण होती है, जबकि सूर्य ग्रहण के समय जठराग्नि, नेत्र तथा पित्त की शक्ति कमज़ोर पड़ती है।
ग्रहण के सम्बन्ध में एक बात और विशेष है कि चन्द्रग्रहण तो अपने संपूर्ण तत्कालीन प्रकाश क्षेत्र में अर्थात जहाँ जहाँ चंद्रमा निकला हो देखा जा सकता है किन्तु सूर्यग्रहण अधिकतम 10 हज़ार किलोमीटर लम्बे और 250 किलोमीटर चौड़े क्षेत्र में ही दिखाई पड़ता है।
सम्पूर्ण सूर्यग्रहण की वास्तविक अवधि अधिक से अधिक 11 मिनट ही हो सकती है उससे अधिक नहीं।
खगोल शास्त्रीयों के अनुसार 18 वर्ष 18 दिन की समयावधि में 41 सूर्य ग्रहण ( Surya Grahan ) और 29 चन्द्रग्रहण होते हैं। एक वर्ष में 4 से अधिक ग्रहण बहुत कम ही देखने को मिलते हैं।
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एक दिलचस्प बात और है कि चन्द्र ग्रहण ( Chandra Grahan ) से कहीं अधिक सूर्यग्रहण ( surya grahan ) होते हैं। 3 चन्द्रग्रहण पर 4 सूर्यग्रहण का अनुपात आता है।
पं मुक्ति नारायण पाण्डेय
( कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )
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