Wednesday, March 27, 2024
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सूर्य ग्रहण कब होता है, sury grahan kab hota hai, सूर्य ग्रहण 2023,

सूर्य ग्रहण कब होता है, sury grahan kab hota hai,

सूर्य ग्रहण ( Surya grahan ) के अदभुत खगोलीय घटना है जो प्राय: प्रति वर्ष पूरी दुनिया में होती ही है, हमारे ज्योतिषियों को यह पता होता है कि सूर्य ग्रहण कब होता है, sury grahan kab hota hai । कई बार कोई सूर्यग्रहण ( Suryagrahan ) विश्व के किसी हिस्से में दिखाई देता है कई बार किसी और जगह।

सूर्य ग्रहण Surya grahan सदैव अमावस्या को ही होता है। पृथ्वी अपनी कक्षा में सूरज की परिक्रमा करती है और चन्द्रमा भी अपनी कक्षा में ही पृथ्वी की परिक्रमा करता है। जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो सूर्य चन्द्रमा के पीछे कुछ समय के लिए छुप जाता है ढक जाता है, चन्द्रमा सूरज का आंशिक या सारा प्रकाश रोक लेता है जिससे धरती पर कुछ समय के लिए हल्का अंधकार फैल जाता है इसे ही सूर्य ग्रहण Surya grahan कहते है।

समान्यता सूर्य ग्रहण तीन तरह के होते है

आंशिक सूर्य ग्रहण,

पूर्ण सूर्य ग्रहण तथा

वलयाकार सूर्य ग्रहण ।

1. जब चन्द्रमा, सूरज के थोड़े से हिस्से को ही ढ़कता है, अर्थात पृथ्वी से सूर्य का कुछ ही भाग दिखाई नहीं देता है तो उसे खण्ड- सूर्य ग्रहण या आंशिक सूर्य ग्रहण कहते है।

2. लेकिन जब कभी चन्द्रमा सूरज को पूरी तरह से ढँक लेता है, तो वह पूर्ण- सूर्य ग्रहण कहलाता हैं। पूर्ण-सूर्य ग्रहण पृथ्वी के बहुत कम हिस्से में ही दिखता है, ज़्यादा से ज़्यादा 250 किलोमीटरक्षेत्रमें। इस क्षेत्र के बाहर केवल आंशिक सूर्य ग्रहण ही दिखाई देता है।

पूर्ण-ग्रहण के समय सूरज के सामने से चन्द्रमा को गुजरने में सिर्फ दो घण्टे लगते हैं तथा चन्द्रमा सूरज को पूरी तरह से, अधिक से अधिक, सात मिनट तक ही ढँक पाता है। इन कुछ मिनटों के लिए आसमान में अंधकार सा हो जाता है।

3. वलयाकार सूर्य ग्रहण में जब पृथ्वी के काफ़ी दूर रहते हुए चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है अर्थात सूर्य को चन्द्रमा इस प्रकार ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है और

पृथ्वी से चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका दिखाई नहीं देता वरन सूर्य का बाहरी भाग प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता हुआ दिखाई देता है। तो कंगन के आकार में बने इस सूर्यग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते है।

हमारे ऋषि मुनियों , ज्योतिषियों ने अति प्राचीन काल से ही ग्रहण की बिलकुल सटीक गणना करना प्रारम्भ कर दी थी।

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सूर्य ग्रहण कब है, Sury Grahan Kab Hai

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष 2023 का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 14 अक्तूबर 2023 को लगेगा।

यह सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार 14 अक्तूबर को रात के 08 बजकर 34 मिनट से शुरू होगा, जो मध्य रात्रि को 02 बजकर 25 मिनट तक रहेगा । यह सूर्य ग्रहण वलयाकार में होगा।

इस स्तिथि में सूर्य ग्रहण के समय आकाश में सूर्य एक अंगूठी यानी रिंग के आकार में नजर आएगा। इसी लिए इसे रिंग ऑफ फायर कहा जाता है।

14-15 अक्तूबर को रात्रि में पड़ने वाला वर्ष का अंतिम सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, क्योंकि यह सूर्य ग्रहण रात में लगेगा जिस कारण भारत में नज़र नहीं आएगा । इस सूर्य ग्रहण को उत्तरी अमेरिका, कनाडा, मैक्सिकों, अर्जेटीना, पेरू, क्यूबा, कोलांबिया और ब्राजील में देखा जा सकेगा।

चूंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिख रहा है इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा।

यह सूर्य ग्रहण कन्या राशि के अंतिम चरणों में व चित्रा नक्षत्र के दूसरे चरण में पड़ेगा । चित्रा नक्षत्र मंगल ग्रह का नक्षत्र है, और मंगल भूमि का स्वामी है।

ज्योतिषयों की माने तो पृथ्वी पर, मनुष्यो पर इस सूर्य ग्रहण का दुष्प्रभाव कुछ ज्यादा देखने को मिल सकता है।

मंगल व सूर्य दोनों ही अग्नि से सम्बंधित ग्रह है, इसलिए इस ग्रहण के कारण आगजनी, भूकंप, दुर्घटना, विमान दुर्घटना, युद्ध की संभावना अधिक दिखाई पड़ती है।

वर्ष 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल गुरुवार को था ।

यह सूर्य ग्रहण सुबह 07 बजकर 04 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक था ।

वर्ष 2023 का पहला सूर्य ग्रहण यह पहला सूर्य ग्रह मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में लगा था। मेष राशि में यह सूर्य ग्रहण 19 साल बाद लगा था

यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई दिया था। इसलिए इस ग्रहण का सूतक मान्य नहीं था

यह सूर्य ग्रहण चीन, कंबोडिया, मलेशिया, फिजी, जापान, समोआ, सोलोमन, बरूनी, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम, ताइवान, इंडोनेशिया, फिलीपींस, अमेरिका, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, दक्षिण हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत महासागर जैसी जगहों पर दिखाई देगा ।

सूर्य ग्रहण के दौरान खाना खाने की, काटने, छीलने, सिलाई करने, जमीन खोदने का काम करने, सोने की मनाई होती है, शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।

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ग्रहण काल में कुछ सावधानियाँ अवश्य ही रखनी चाहिए, ग्रहण काल में भूल कर भी शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाना चाहिए।

ज्‍योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण विश्व के किसी भी कोने में क्यों ना हो ग्रहण काल में जप तप का अक्षय पुण्य मिलता है ।

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पं मुक्ति नारायण पाण्डेय

( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

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