सूर्य ग्रहण में क्या करे क्या ना करे, sury grahan men kya kare kya na karen, sury grahan 2025,
सूर्य ग्रहण एक बहुत महत्वपूर्ण खगोलीय और ज्योतिषीय घटना है। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण / सूर्य ग्रहण का बहुत ही विस्तार से उल्लेख्य मिलता है, माना जाता है कि सूर्य ग्रहण का सभी राशियों पर कुछ ना कुछ प्रभाव अवश्य ही पड़ता है ।
सूर्य ग्रहण होने पर उसके 12 घंटे पहले से ही सूतक लग जाता है, इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते है और सभी धार्मिक – शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है ।
अगर कोई सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दे उसका सूतक मान्य ना हो तब भी शास्त्रों के अनुसार ग्रहण चाहे कैसा भी हो कहीं पर भी लगे इसका प्रभाव मनुष्य जाति पर कुछ ना कुछ अवश्य ही पड़ता है ।
इसलिए यह जानना अति आवश्यक है कि सूर्य ग्रहण में क्या करें क्या ना करें,
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धर्म शास्त्रों के अनुसार ग्रहण उसमें भी सूर्य ग्रहण का बहुत ही व्यापक प्रभाव होता है , यह समय इतना महत्वपूर्ण, इतना दुर्लभ होता है कि कि मनुष्य के जन्म जन्मांतर के पापो का नाश हो सकता है उसका दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल सकता है।
ज्योतिष शास्त्र में कई ऐसी बाते बताई गयी है जिनका ग्रहण काल में अवश्य ही ध्यान रखना चाहिए वरन मनुष्य के सारे पुण्य समाप्त हो जाते है वह घोर पाप का भागी बनता है ।
महाकालेश्वर मंदिर लखनऊ के महंत आचार्य कृष्ण कुमार शास्त्री जी से,
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सूर्य ग्रहण में क्या करें क्या ना करें, Surya Grahan Me kya kare kya Na Karen

आचार्य कृष्ण कुमार शास्त्री जी के अनुसार सूर्य फूल, ग्रहण ( grahan ) वाले दिन पत्ते, लकड़ी अथवा तिनके, आदि नहीं तोड़ने चाहिए। इस दिन बाल तथा वस्त्र नहीं धोने, निचोड़ने चाहिए । ग्रहण ( grahan ) के समय सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन, खाना पीना , उबटन लगाना, ताला खोलना किसी वस्तु का क्रय करना आदि कार्य वर्जित हैं।
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शास्त्रो के अनुसार ग्रहण के समय,
* सोने से रोगी,
* लघुशंका करने से दरिद्र,
* मल त्यागने से कीड़ा,
* स्त्री प्रसंग करने से सूअर और
*उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है।
देवी भागवत के अनुसार भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को बिलकुल भी नहीं खोदना नहीं चाहिए, ऐसा करने या कराने वाला घोर नरक का भागी बनता है ।
सूर्य ग्रहण ( surya grahan ) के समय कोई भी शुभ व नवीन कार्य शुरू नहीं करना चाहिए , उसमें असफलता ही हाथ लगती है ।
सूर्य ग्रहण ( surya grahan ) के दौरान व्यक्तियों को यथा संभव घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही ग्रहण के दर्शन करने चाहिए। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण का दर्शन बिलकुल ही त्याज्य है।
शास्त्रो के अनुसार गर्भवती स्त्री को ग्रहण ( grahan ) नहीं देखना चाहिए, क्योंकि उसके दुष्घ्प्रभाव से शिशु विकलांग बन सकता है , गर्भपात की संभावना बढ़ती है ।
इसके लिए गर्भवती के उदर भाग में गोबर और तुलसी का लेप लगा दिया जाता है, जिससे कि राहू केतू उसका स्पर्श न करें ।

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आचार्य कृष्ण कुमार शास्त्री जी के अनुसार सूर्य ग्रहण ( surya grahan ) के दौरान गर्भवती स्त्री को कुछ भी कैंची, चाकू आदि से काटने, वस्त्र आदि को सिलने से मना किया जाता है । क्योंकि माना जाता है कि ऐसा करने से शिशु के अंग कट जाते हैं उसे रोग हो सकते है ।
संतानयुक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रान्ति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए।
ग्रहण ( grahan ) के समय अपने गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा किसी भी सिद्ध मन्त्र का जाप अवश्य ही करें ऐसा ना करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
ग्रहण ( grahan ) के समय किसी भी दशा में क्रोध, हिंसा या किसी के साथ ठगी नहीं करनी चाहिए।
ग्रहण ( grahan ) के समय क्रोध करने, हिंसा करने या किसी भी जीव-जन्तु की हत्या करने से चिर काल तक नारकीय योनी में भटकना पड़ता है , किसी से धोखा देकर उसका धन हड़पने से सर्प की योनि मिलती है उसकी आने वाली पीढ़ियों को भी आर्थिक संकटों से जूझना पड़ता है।
ग्रहण वाले दिन किसी भी व्यक्ति को किसी भी दशा में माँस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए, बहुत से लोग ग्रहण से पहले या बाद में उक्त का सेवन करते है और यह तर्क देते है कि उन्होंने ग्रहण के समय नहीं लिया है लेकिन यह बिलकुल गलत है ।
ग्रहण वाले दिन माँस मदिरा का सेवन करने वाला घोर नरक का पापी होता है इसका पाप उसके परिजनों को भी भोगना पड़ता है । ऐसे व्यक्ति के परिवार में असाध्य रोग अपना घर बना लेते है।
सूर्यग्रहण ( surya grahan ) में बाल और दाढ़ी ना कटवाएं और बालो में डाई या मेहंदी भी नहीं लगानी चाहिए ।
शास्त्री जी के अनुसार सर्यग्रहण ( surya grahan ) में किसी से भी उधार ना लें और ना ही किसी को उधार धन दें । उधार लेने से दरिद्रता आती है और उधार देने से लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है ।
महाकालेश्वर मंदिर लखनऊ के महंत
आचार्य कृष्ण कुमार शास्त्री
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