Tuesday, April 30, 2024
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बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 1 मई 2024 का पंचांग,


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पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए बुधवार का पंचांग, Budhvar Ka Panchang, आज का पंचांग, aaj ka panchang,


बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)


1 मई 2024 का पंचांग, ( Panchang ), 1 May 2024 ka Panchang,

गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।

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बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

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*विक्रम संवत् 2081,
*शक संवत – 1945
*कलि संवत 5124
*अयन – उत्तरायण
*ऋतु – ग्रीष्म ऋतु
*मास – बैसाख माह
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन,

बुधवार को बुध की होरा :-

प्रात: 5.40 AM से 6.46 AM तक

दोपहर 01.24 PM से 2.31 PM तक

रात्रि 20.43 PM से 9.37 PM तक

बुधवार को बुध की होरा में हाथ की सबसे छोटी उंगली और बुध पर्वत को हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक बुध देव के मन्त्र का जाप करें ।

ज्योतिष, पढ़ाई, लिखाई, सीखने, वाकपटुता, अपना प्रभाव डालने और व्यापार में सफलता के लिए बुध की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

बुधवार के दिन बुध की होरा में बुध देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

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बुध देव के मन्त्र

“ॐ बुं बुधाय नमः” अथवा

“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।।”

अक्षय तृतीया के दिन इस वस्तु का दान करने, सेवन करने से समस्त पापो का होता है नाश,

  • तिथि (Tithi) – सप्तमी प्रात: 5.45 AM तक तत्पश्चात अष्टमी
  • तिथि के स्वामी – सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य देव जी और अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है ।

    आज अति शुभ बुधवारी अष्टमी है । शास्त्रों के अनुसार जप – तप , मन्त्र, दान, पुण्य एवं शुभ कार्यो एवं शुभ संकल्प हेतु सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी और बुधवारी अष्टमी यह चार तिथियाँ अत्यंत महत्वपूर्ण है ।

    इन तिथियाँ का महत्व सूर्य ग्रहण के बराबर होता है । इन तिथियों में किया गया शुभ कार्य अक्षय हो जाता है । बुधवारी अष्टमी के दिन जप – तप , मन्त्र, दान, आदि का पुण्य सामान्य दिनों से करोड़ो गुना मिलता है ।

अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव कहे गए है। अष्टमी तिथि को भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा भोलेनाथ जी प्रसन्न होते है भक्तो को समस्त सिद्धियां प्राप्त होती है। अष्टमी तिथि को…….

श्री शिवाये नमस्तुभ्यंम, एवं

ॐ नम: शिवाये मन्त्र का अधिक से अधिक जाप अवश्य करें ।

अष्टमी तिथि को पूजा में शंकर जी को नारियल का भोग अर्पित करें अथवा शिवजी भगवान के लिए बनाए जाने वाले प्रसाद में नारियल का उपयोग करें लेकिन अष्टमी को नारियल का सेवन नहीं करना चाहिए ।

अष्टमी तिथि का नाम कलावती कहा गया है। जिस पक्ष में अष्टमी तिथि मंगलवार के दिन पडती है. तो उस दिन यह सिद्धिद्दा योग अर्थात अति शुभ योग बनाती।

अष्टमी तिथि जया तिथियों की श्रेणी में आती है मान्यता कि अष्टमी तिथि में किये गए समस्त कार्यो में निसंदेह रूप से सफलता मिलती है ।

लेकिन चैत्र महीने के दोनों पक्षों में पड़ने वाली अष्टमी तिथि शून्य कही गई है।

अष्टमी तिथि को दुर्गा जी की आराधना भी शुभ मानी गई है । अष्टमी तिथि में जन्मे जातकों को भगवान शिव और मां दुर्गा की पूजा अवश्य करनी चाहिए, ऐसा करने से जातक को निर्भयता आती है, जीवन से सभी संकट दूर होते है ।

अष्टमी तिथि में किसी भी प्रकार की ललित कला और विद्याएं सीखना अत्यन्त शुभ माना गया है।

अष्टमी तिथि के दौरान भी बहुत से त्यौहार मनाए जाते हैं । इस अष्टमी तिथि में अहोई अष्टमी, गौरी अष्टमी, राधाअष्टमी, शीतला अष्टमी जैसे त्यौहार मनाए जाते हैं ।

इस तरह से मनाएं जन्माष्टमी का पर्व जीवन में लग जायेगा सुखो का अम्बार 

नक्षत्र (Nakshatra) – श्रवण

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-    श्रवण नक्षत्र के देवता विष्णु और सरस्वती जी तथा स्वामी चंद्र देव जी है ।

श्रवण नक्षत्र 22 वें नंबर का नक्षत्र  है। यह एक त्रिशूल के जैसा प्रतीत होता है। श्रवण नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आक या  मंदार, और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है । श्रावण नक्षत्र का लिंग पुरुष है।

श्रवण नक्षत्र के जातक पर शनि और चंद्र का प्रभाव जीवन भर बना रहता है।  श्रवण नक्षत्र के जातक बुद्धिमान और अपने कार्यो में निपुण होते हैं । श्रवण नक्षत्र में जन्म होने से जातक सुंदर, दानवान, आज्ञाकारी, सर्वगुण संपन्न, धनवान और अपने क्षेत्र में मान सम्मान प्राप्त करता है।

लेकिन यदि शनि और चंद्र की स्थिति ठीक नहीं है तो ऐसा जातक क्रोधी, कंजूस, भय-शंकित रहने वाला, लापरवाह, आलसी होता है। यदि शनि और चंद्र कुंडली में एक ही जगह है, तो जातक को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है।

 इसलिए जातक को हनुमानजी की सदैव उपासना करना है। जातक को शराब, मांस आदि व्यसनों से दूर रहना चाहिए।

श्रवण नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2 और 8, भाग्यशाली रंग, आसमानी, हल्का नीला, भाग्यशाली दिन गुरुवार, बुधवार और सोमवार माना जाता है ।

श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ श्रवणाय नमः “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

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  • योग (Yog) – शुभ 20.02 PM तक तत्पश्चात शुक्ल
  • योग के स्वामी, स्वभाव :- शुभ योग की स्वामी माँ लक्ष्मी जी और स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – बव 05.45 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – बालव 16.56 PM तक तत्पश्चात कौलव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है।
  • दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।

    इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:00 से 1:30 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 5.40 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18.57 PM
  • विशेष – सप्तमी को ताड़ का सेवन नहीं करना चाहिए  । इस दिन ताड़ का सेवन करने से रोग लगते है । 

अष्टमी को नारियल का सेवन नहीं करना चाहिए, अष्टमी को नारियल का सेवन करने से बुध्दि का नाश होता है  ।

  • पर्व त्यौहार-

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )


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3 COMMENTS

  1. क्या पंचांग जानने की सुविधा अग्रिम (पहली शाम को) संभव हो सकती है जिस से अगले दिन की दिनचर्या आपके सुझाव अनुसार शुरू करने के लिए आवश्यक सामग्री पहले से जुटाई का सके।
    वैसे भी ज्यादातर लोगों को नौकरी पेशे के लिए सुबह सवेरे ही घर से निकलना होता है, अतः यदि उन्हें अग्रिम जानकारी होगी तो वे कुछ क्रिया कलाप करके प्रस्थान करेंगे। यदि उन्हें पंचांग मिलेगा ही दोपहर में तो शायद ही कुछ संभव होगा।

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