Dhanteras, धनतेरस,
Dhanteras me puja, धनतेरस में पूजा, खरीदारी का शुभ मुहूर्त….धनतेरस Dhanteras दीपावली dipavali के 5 पर्वो में सबसे प्रथम पर्व है। यह पाँचो दिन अत्यंत शुभ और पुण्यदायक माने गए है। कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन समुद्र मंथन के दौरान, आरोग्य के देवता “वैध राज भगवान धन्वन्तरि” अपने हाथ में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसीलिए इस दिन को धनतेरस Dhanteras के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान धन्वंतरि, bhagwan dhanvantari भगवान श्री विष्णु जी के अवतार हैं। विश्व में आरोग्य, चिकित्सा के प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि जी के रूप में अवतार लिया था।
चूँकि धन्वन्तरि जी अपने हाथ में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसी कारण धनतेरस के दिन भगवान को प्रसन्न करने के लिए बर्तन खरीदा जाता है। यह भी मान्यता है कि इस दिन जिस चीज को भी ख़रीदा जाता है उसमें तेरह गुणा बढ़ोतरी होती है।
मान्यता है कि भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के ठीक दो दिन बाद मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था, इसी कारण दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस मनाने की परंपरा शुरू हुई है।
धनतेरस Dhanteras के दिन भगवान कुबेर जी, bhagwan kuber का भी पूर्ण श्रद्धा से पूजन करना अनिवार्य है। कुबेर जी kuber ji धनाध्यक्ष है, सम्पति प्रदान करने वाले है, इनकी सच्चे मन से पूजा करने से सुख – सौभाग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।
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धनतेरस dhanteras वर्ष का वह शुभ दिन है जिस दिन कुछ बातों को ध्यान में रखकर समस्त आर्थिक संकटो को दूर करते हुए स्थाई रूप से सुख-समृद्धि को प्राप्त किया जा सकता है ।
वर्ष 2024 में धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर मंगलवार, के दिन मनाया जाएगा। धनतेरस का पर्व दिवाली से दो दिन पूर्व पड़ता है अर्थात धनतेरस का पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी को होता है ।
पंचांग के मुताबिक वर्ष 2024 त्रयोदशी तिथि का प्रारम्भ 29 अक्टूबर मंगलवार को दोपहर 10:35 बजे से होगा और त्रियोदशी तिथि 30 अक्टूबर बुधवार को दोपहर 1:17 मिनट PM पर समाप्त होगी । मंगलवार को दोपहर 01.00 PM से 1.55 PM तक मंगल की होरा रहेगी ।
ऐसे में पहले दिन रात में और दूसरे दिन, दिन भर और देर रात तक खरीदारी होगी।
इस वर्ष 100 वर्ष के बाद धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग का अद्भुत संयोग देखने को मिल रहा है । यह त्रिपुष्कर योगमंगलवार को 6.32 पर लगेगा, जो दूसरे दिन सुबह 10.30 तक देखने को मिलेगा ।
धनतेरस में खरीददारी, लाभ आम दिनों की जगह सहस्त्र गुना, चिर स्थाई होता है लेकिन त्रिपुष्कर योग के कारण इसमें तीन गुना तक और भी लाभ बढ़ जाता है और यह संयोग निकट भविष्य में तीन बार फिर होने की सम्भावना बहुत अधिक बढ़ जाती है ।
इस बार धनतेरस की पूजा के लिए 21 मिनट का मुहूर्त बहुत शुभ है। धनतेरस की पूजा सांय 05 बजकर 44 मिनट से सांय 06 बजकर 05 मिनट के मध्य कर लेनी उत्तम रहेगा।
इसके अतिरिक्त प्रदोष काल तथा वृषभ काल में भी धनतेरस की पूजा करना उत्तम रहेगा।
धनतेरस पूजन मुर्हुत 29 अक्टूबर 2024-
धनतेरस के दिन पूजा का प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 19 मिनट से रात्रि 06 बजकर 31 मिनट तक रहेगा । इस मुहूर्त में माता लक्ष्मी, कुबेर देव और भगवान धन्वंतरि की पूजा करना अति शुभ होगा।
मंगलवार 29 अक्टूबर को प्रदोष काल शाम 5 बजकर 19 मिनट से रात 6 बजकर 31 मिनट तक का है, वहीं वृषभ काल शाम 6.13 मिनट से रात 8.09 मिनट तक रहेगा।
इसलिए धनतेरस पर शाम 5.19 से रात 8.09 मिनट तक लक्ष्मी – गणेश जी, धनापति कुबेर देव और देवताओं के वैद्य धन्वंतरि जी की पूजा करना अति शुभ रहेगा।
धनतेरस पर 29 अक्टूबर मंगलवार को खरीदारी का शुभ मुहूर्त
खरीददारी का शुभ मुहूर्त……
जिसमें पहला शुभ मुहूर्त उसके लग्न से कुंभ लघ्न होगा, जो दिन में 1.59 PM से लेकर दिन में दोपहर 3.30 PM तक रहेगा ।
दूसरा शुभ मुहूर्त वृषभ लग्न जो स्थिर लग्न होगा, यह सायं 6.35 PM से लेकर रात्रि 8.31 तक रहेगा ।
चर की चौघड़िया 9 बजकर 0 2 मिनट से 10 बजकर 32 मिनट तक का समय शुभ है।
लाभ की चौघड़िया दोपहर में 10.30 से दोपहर 12.08 मिनट तक
अमृत की चौघड़िया दोपहर 12.05 PM से दोपहर 1. 29 PM तक ।
शुभ की चौघड़ियों में दोपहर 3 बजे से 4.30 PM तक
लाभ की चौघड़िया रात्रि में 7.30 PM से रात्रि 9.01 से रात्रि
शुभ और अमृत की चौघड़ियों रात्रि में 10.30 PM से रात्रि 1.30 AM
शास्त्रो के अनुसार इस दिन किये गए उपाय अति फलदायी होते है,घर में निरन्तर धन का आगमन होता है। धनतेरस dhanteras के दिन कुछ उपायों को करके जीवन में श्रेष्ठ सफलता एवं धन सम्पति की प्राप्ति होती है।
यहाँ पर है हम आपको धनतरेस के कुछ उपायों को बता रहे है जिन्हें करके निश्चय ही उत्तम लाभ मिलता है…
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यह है 2024 की दीपावली पर माँ लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का शुभ मुहूर्त
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भगवान धन्वंतरि bhagwan dhanvntari आयुर्वेद के जनक माने गये है इसीलिए यह दिन आरोग्य और दीर्घायु प्राप्ति का दिन भी माना गया है । इस दिन प्रभु धन्वंतरि की धूप दीप जलाकर , पुष्प चडाकर सच्चे मन से पूजा, अर्चना, प्रार्थना करने से मनुष्य को सभी रोगो में लाभ की प्राप्ति होती है ।
धनत्रयोदशी के दिन यमराज जी की भी आराधना, उनका ब्रत किया जाता है ।
इस दिन से दीपावली के पांचों दिनों तक संध्या के समय घर के बाहरी मुख्य द्वार के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिटटी के दीपक deepak को तेल से भर कर अवश्य ही जलाना चाहिए दीपक को दक्षिण दिशा की तरफ मुंख करके निम्न मन्त्र का जाप करते हुए रखना चाहिए ।
म्रत्युना दंडपाशाभ्याँ कालेन श्याम्या सह ,
त्रयोदश्याँ दीप दानात सूर्यज प्रीयतां मम।
यह क्रिया यम दीपदान कहलाती है , कोशिश करनी चाहिए की दीपक बड़ा हो जिससे वह रात भर जलता रहे ऐसा करने से यमराज जी प्रसन होते है ओर उस घर के सदस्यों को दुर्घटना , बिमारियों , आकाल म्रत्यु आदि का कोई भी भय नहीं रहता है , सभी सदस्य निरोगी ओर दीर्ध आयु को प्राप्त करते है।
और यदि घर की स्त्री इस दिन यमराज के निमित स्वयं दीपदान करें तो पूरा परिवार अवश्य ही आरोग्य एवं दीर्घायु को प्राप्त करता है। यह दीपक मंगलवार 29 अक्टूबर के सांय काल से ही जलाना शुरू करें।
कुबेर जी kuber ji अपने भक्तों के समस्त अभावों को दूर करके उनको स्थायी सुख सम्पति प्रदान करते है। आज इनकी आराधना से जातक को महान फल कि प्राप्ति होती है। नीचे दिए गए कुबेर kuber मन्त्र कि साधना से व्यक्ति को जीवन में हर भौतिक सुख समृद्धि sukh samridhi कि प्राप्ति होती है।
कुबेर जी का मंत्र- “ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:” ।।
कुबेर मंत्र को दक्षिण की और मुख करके ही सिद्ध किया जाता है।
धनतेरस dhanteras का दिन धन वृद्धि / धनागमन का दिन माना गया है, इस दिन दोपहर के बाद बर्तन खरीदना अत्यंत शुभ माना गया है ।
इस दिन चाँदी के बर्तन खरीदने से वर्ष भर घर में सुख सम्पदा स्थायी रूप से बनी रहती है , चाँदी के उपलब्ध न होने पर अन्य धातुओं के बर्तन खरीद सकते है
धनतेरस dhanteras के दिन सोने, चांदी के बर्तन, सिक्के और आभूषण खरीदने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। सोना चाँदी , आभूषण खरीदना और धारण करना बहुत ही शुभ माना जाता है । सोना धारण करने से सौंदर्य में वृद्धि तो होती ही है, सोना मुश्किल घड़ी में काम भी आता है।
धनतेरस dhanteras के दिन शगुन के रूप में सोने या चांदी के सिक्के खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता हैं। कहते है कि इस दिन धन dhan को इन चीजो में लगाने से उसमें 13 गुणा की वृद्धि होती है।
लोग इस दिन ही दीवाली diwali की रात पूजा करने के लिए लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति भी खरीदते हैं।
धनतेरस dhanteras के दिन बर्तन खरीद कर घर में लाते समय खाली न लाएं उसमें कुछ न कुछ मीठा अवश्य डाल कर लाएं …..अगर बर्तन छोटा हो या गहरा न हो तो मीठा उस बर्तन के साथ रख कर लाएं ..आपका घर सदैव धन dhan धान्य से भरा रहेगा ।
धनतेरस dhanteras के दिन तिजोरी में अखंडित अक्षत ( साबुत चावल ) रखे जाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से तिजोरी tijori में कुबेर देव kuber dev का वास होता है, घर में धन-समृद्धि dhan samridhi की कोई भी कमी नहीं होती है। ⁹
इस दिन पीतल या चाँदी की खरीददारी अत्यंत शुभ समझी जाती है। पीतल भगवान धन्वंतरी की धातु है धनतेरस dhanteras के दिन ही भगवान धन्वंतरि हाथ में पीतल का अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस दिन शुभ मुहूर्त में पीतल खरीदने से घर के सदस्य आरोग्य एवं दीर्घ आयु को प्राप्त करते है।
इस दिन चाँदी की खरीददारी भी अत्यंत शुभ मानी जाती है । चाँदी कुबेर देव kuber dev की प्रिय धातु है। इस दिन चाँदी खरीदने से घर में घर परिवार में सुख-समृद्धि, samridhi, ऐश्वर्य एवं यश की प्राप्ति होती है।
धनतेरस dhanteras के दिन मान्यता है कि कोई किसी को भी उधार नही देता है। इस दिन सभी लोग नई वस्तुएं लातें है। इस दिन घर / कारोबार में दीपावली की पूजा के लिए नए गणेश लक्ष्मी ganesh laxmi, भी घर लाएं जाते है।
धनतेरस dhanteras और दीपावली dipavali दोनों त्योहारों में धन की देवी लक्ष्मी जी laxmi ji की पूजा का विशेष महत्त्व है।
धनतेरस के दिन माँ लक्ष्मी के पैरो के छोटे छोटे चिह्नों को घर में स्थापित करना बहुत ही शुभ माना जाता है और सांय को 13 दीपक जलाकर माँ लक्ष्मी के पैरो के चिह्नों की पूजा की जाती है।