Dhanvantri, धन्वंतरि, Dhanvantri Ji, धन्वंतरि जी,
दीपावली से दो दिन पूर्व पड़ने वाले पर्व धनतेरस को वैध शिरोमणि भगवान धन्वन्तरि, Dhanvantri, का दिन माना जाता है । शास्त्रों के अनुसार इस दिन जिस घर में धन्वन्तरि जी, Dhanvantri, की विधिवत पूजा , आराधना होती है उस घर पर किसी भी प्रकार के रोग की छाया भी नहीं पड़ती है ।
धनतेरस के दिन धन्वन्तरि जी, Dhanvantri, का जन्म हुआ था। धन्वंतरि आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के आराध्य देवता हैं। रामायण, महाभारत, सुश्रुत संहिता, चरक संहिता, काश्यप संहिता तथा अष्टांग हृदय, भाव प्रकाश, शार्गधर, श्रीमद्भावत पुराण आदि में उनका उल्लेख मिलता है।
धन्वंतरी को हिन्दू धर्म में देवताओं के वैद्य माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरी, चतुर्दशी को काली माता और अमावस्या को भगवती लक्ष्मी जी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था।
इसीलिये दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वंतरी का जन्म धनतेरस के रूप में मनाया जाता है।
इसी दिन इन्होंने आयुर्वेद का भी प्रादुर्भाव किया था। इन्हे भगवान विष्णु का रूप कहते हैं जिनकी चार भुजायें हैं। भगवान धन्वन्तरि उपर की दोंनों भुजाओं में शंख और चक्र धारण किये हुये हैं। जबकि दो अन्य भुजाओं मे से एक में जलूका और औषध तथा दूसरे मे अमृत कलश लिये हुये हैं।
इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है। इसीलिये धनतेरस को पीतल आदि के बर्तन खरीदने की परंपरा भी है। इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी।
धनतेरस पर जानिए कुबेर जी के परिवार के बारे में, जीवन में सुख-समृद्दि, ऐश्वर्य की नहीं होगी कोई कमी
चूँकि भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक माने गये है इसीलिए यह दिन आरोग्य और दीर्घायु प्राप्ति का दिन भी माना गया है ।
इस दिन भगवान धन्वन्तरि की अनिवार्य रूप से पूजा करनी चाहिए । धनतेरस के दिन घर परिवार के सभी सदस्यों के निरोगी जीवन के लिए, सभी सदस्यों की लम्बी आयु , चिर यौवन के लिए भगवान धन्वन्तरि की मूर्ति / फोटो की स्थापना करनी चाहिए ।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन प्रभु धन्वंतरि के चित्र के सामने एक चाँदी / ताम्बे के पात्र में जल रखकर , धूप दीप जलाकर ,अगर संभव हो तो चांदी के पात्र में खीर / सफ़ेद मिष्ठान रखकर उन्हें भोग लगाएं । उन्हें फल, नैवैद्य, नारियल, पान, लौंग, सुपारी, वस्त्र (मौली) गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि चढ़ाएं ।
भगवान धन्वन्तरि को शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पवित्र औषधियां एवं दक्षिणा भी अर्पित करें।
फिर अपने घर परिवार से रोगो को दूर करने हेतु , “ऊँ रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।।” की कम से काम दो माला का जाप करें ।
पूजा के बाद भगवान धन्वन्तरि के सामने रखा जल घर के कोने कोने में , छत पर, सभी सदस्यों पर छिड़ककर शेष जल तुलसी के पौधे पर अर्पित कर दें ।
नरक चतुर्दशी के दिन ऐसा करने से अंत में नर्क के दर्शन नहीं होते है
इस प्रकार धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की सच्चे मन से पूजा, अर्चना, प्रार्थना करने से मनुष्य को सभी रोगो में लाभ की प्राप्ति होती है, रोग उस परिवार से दूर ही रहते है ।
वैध राज धन्वंतरि जी के बहुत से प्रसिद्द मंदिर दक्षिण भारत में है जहाँ प्रत्येक वर्ष लाखो श्रद्धालू आते है ।