Saturday, October 25, 2025
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रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त, raksha bandhan ka shubh muhurth, raksha bandhan 2025,

रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त, raksha bandhan ka shubh muhurth,

रक्षा बंधन 2025, raksha bandhan 2025,

इस साल 2025 में श्रावण मास की पूर्णिमा शनिवार 9 अगस्‍त को है।

हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन ( Raksha Bandhan ) का पर्व बहन-भाई के पवित्र प्रेम के लिए मनाया जाता है । शास्त्रों के अनुसार राखी, रक्षा बंधन के शुभ मुहूर्त ( raksha bandhan ka shubh muhurth, ) में ही बांधनी चाहिए ।

इस दिन बहने अपने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र / राखी बांधकर उनके कल्याण, उन्नति की कामना करती है और भाई हर हाल में आजीवन अपनी बहन की रक्षा , उसके सुख-सौभाग्य के लिए वचन देते है ।

मान्यता है कि यह रक्षासूत्र भाइयों को इतनी शक्ति देता है कि वह हर परिस्तिथि का मुकाबला करके विजय प्राप्त कर सके।

रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त, raksha bandhan ka shubh muhurth,

इस साल 2025 को सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि शुक्रवार 8 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 14 मिनट पर प्रारंभ हो रही है जो 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 26 मिनट तक रहेगी।

सावन पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ: 08 अगस्त, शुक्रवार, दोपहर 2:14 PM से

सावन पूर्णिमा तिथि का समापन: 9 अगस्त, शनिवार, दोपहर 1:26 PM पर

इस बार, पूरे चार वर्षों के बाद, एक विशेष संयोग उभर रहा है। 9 अगस्त को भद्रा का साया नहीं रहेगा, जिससे भाई-बहन के लिए इस रक्षाबंधन का त्योहार और भी खास हो जाएगा। यह मौक़ा भारतीय परिवारों में एक नई उमंग और उत्साह भरने का है, जहां स्नेह और संबंधों की मिठास को मनाया जाएगा।

भद्रा शुक्रवार 8 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ होगी जो 9 अगस्त को तड़के 1 बजकर 52 मिनट तक रहेगी।

इस वर्ष 9 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त प्रातः 5 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ होगा और यह सुबह 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। इसके बाद फिर से प्रातः 10 बजकर 35 मिनट से लेकर दोपहर 1.45 PM तक शुभ मुहूर्त है उसके बाद सायं 4 बजकर 55 मिनट तक भी बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती है ।

इस प्रकार लगभग पूरे दिन बहनों के लिए अपने भाइयों को राखी बांधने का अवसर उपलब्ध रहेगा I

इस वर्ष यह पर्व इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इस वर्ष लगभग 100 वर्षो के बाद रक्षा बंधन के दिन अशुभ भद्रा और पंचक का पूरे दिन साया नहीं रखेगा ।

इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे है, इस दिन सर्वार्थ सिद्ध योग, सौभाग्य योग और बुध आदित्य योग भी बन रहे है जिसके कारण यह अत्यंत शुभ रहेगा ।

प्रातः 9 बजे से 10:30 बजे तक राहु काल रहेगा। यह समय विशेष महत्व रखता है और इसमें बहनों को अपने भाइयों को राखी नहीं बांधनी चाहिए।

इस तरह से मनाएं रक्षा बंधन का पर्व, भाइयों को मिलेगा निरोगिता, दीर्घ आयु, सुख समृद्धि का वरदान 

शास्त्र मत है कि — “भद्रायाम द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा, श्रावणी नृपति हंति ग्रामम दहति फाल्गुनी। ” अर्थात भद्रा व्याप्त होने पर श्रावणी (रक्षाबंधन) तथा फाल्गुनी (होलिकादाह) आदि विशेष रूप से त्याग देना चाहिए।

तब ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर क्या किया जाए ? इसके लिए भी शास्त्र ही समाधान प्रस्तुत करते है की– “तत्सत्वे तु रात्रावपि कुर्यादिति निर्णयामृते” अर्थात यदि कभी ऐसी स्थिति भी उत्पन्न हो जाए तो ये दोनो कार्य (रक्षाबंधन वा होलिकादाह) रात्रिकाल में भद्रा की समाप्ति के बाद भी करना शास्त्र सम्मत है।
(देखे निर्णयसिंधु का द्वितीय परिच्छेद पृष्ठ संख्या 248)

क्योंकि निर्णयसिंधु ग्रंथ में ही लिखा है कि — “इदम प्रतिपद्युतायाम न कार्यम, नंदायाम दर्शने रक्षा बलिदानम दशाशु च, भद्रायाम गोकुलक्रीड़ा देशनाशाय जायते” (मदनरत्न, ब्रह्म वैवर्त पुराण)।

अर्थात नंदा तिथि (प्रतिपदा) युक्त पूर्णिमा अथवा प्रतिपदा तिथि में रक्षाबंधन आदि कार्यों को कभी नहीं करना चाहिए इससे सम्पूर्ण देश की हानि होती है।

शास्त्रों के अनुसार भद्रा के समय में भाइयों को रक्षा सूत्र बांधना उत्पातकारी बताया गया है, मान्यता है कि रावण ने भी एक बार भद्रा के समय में अपनी बहन से रक्षा सूत्र बंधवाया तो एक वर्ष के भीतर ही उसके कुल का सर्वनाश हो गया ।

ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि भद्रा शनिदेव की बहन है, जिसे ब्रम्हा जी ने श्राप दिया था कि अगर भद्रा में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य किया जायेगा उसका परिणाम अशुभ ही होगा इसी कारण से भद्रा में राखी नहीं बांधने की सलाह दी जाती है।

रक्षा बंधन के दिन राखी बांधते समय बहने बोले यह मन्त्र, भाइयों की सदैव होगी हर संकटो से होगी रक्षा 

2025 का रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त

  •  शास्त्रों में भद्रा को अति उत्पाती माना गया है, भद्रा का स्वभाव उग्र कहा गया है। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही परम पिता भगवान ब्रह्मा ने उन्हें पंचाग के एक प्रमुख अंग विष्टी करण में स्थान दिया है।
  • शास्त्रों के अनुसार जब भद्रा किसी पर्व काल में स्पर्श करती है तो जब तक वह रहती है उसे श्रद्धावास माना जाता है। और उस काल में बुद्दिमान व्यक्ति कोई भी शुभ कार्य नहीं करते है ।
  •  रावण बहुत ज्ञानी था लेकिन उससे भी एक ग़लती हो गयी थी कहते है कि रावण की बहन स्रूपनखा ने अपने भाई रावण को भद्रा काल में राखी बांधी थी, जिसके कारण परम शक्तिशाली होने पर भी रावण का वंश सहित विनाश हो गया था । इस कारण भद्रा के समय में राखी बांधने को मना किया जाता है।
  • अगर किसी व्यक्ति को किसी भी परिस्थितिवश भद्रा-काल में ही रक्षा बंधन का कार्य करना हों, तो भद्रा के मुख को छोड्कर भद्रा के पुच्छ काल में रक्षा – बंधन का कार्य किया जा सकता है ।
  • शास्त्रों के अनुसार में भद्रा के पुच्छ काल में कार्य करने से कोई भी हानि नहीं होती है कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है, परन्तु भद्रा के पुच्छ काल समय का प्रयोग शुभ कार्यों के लिये विशेष परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए।
  • शास्त्रों के अनुसार, रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने के लिए दो समय का सर्वथा त्याग करना चाहिए, पहला है भद्रा और दूसरा है राहुकाल ।
  • इन दोनों समय में कभी भी राखी नहीं बांधनी चाहिए. ये दोनों की अशुभ हैं. रक्षाबंधन के दिन राहुकाल सुबह में 09:00 AM से 10:30 AM तक है ।

रक्षाबंधन के दिन बहने अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधने के बाद दही में चीनी डालकर भाइयों को अपने हाथो से दो बार अवश्य खिलाएं ।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा और शुक्र दोनों को ही सुख का कारक माना गया है । दही, चन्द्रमा का जो मन के कारक और चीनी, शुक्र ग्रह का जो ऐश्वर्य कारक है उन का प्रतिनिधित्व करते है, और भगवान भोलेनाथ जी को भी दही और शक्कर अर्पित करने का विशेष महत्त्व है ।

इसलिए यदि बहने अपने भाइयों को राखी बांधने के बाद पहले दो बार दही और चीनी खिलाकर फिर कोई अन्य मीठा या कुछ और खिलाएं तो पूरे वर्ष भाइयों को सुख, प्रसन्नता, धन, कार्यो में सफलता और निश्चित ही ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी ।

अपने भाइयो के जीवन में एक वर्ष में अद्भुत सुखद परिवर्तन देखिएगा ।

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