
शनि अमावस्या के उपाय
03 जून को शनि अमावस्या है। शनि अमावस्या (Shani Amavasya) का ज्योतिष एवं तन्त्र शास्त्र में बहुत महत्व है। इस दिन किये गए उपायों से शनि देव (Shani Dev) प्रसन्न होते है ।
शनिवार की अमावस्या पर पड़ने वाले इस श्रेष्ठ संयोग में किये गए उपायों से ना केवल शनि देव की (Shani Dev) ही कृपा प्राप्त होगी वरन शनि अथवा कुंडली के किसी भी ग्रह के अशुभ प्रभावों में निश्चय ही कमी आएगी ।
वैसे तो सभी लोगो को शनि अमावस्या (Shani Amavasya) को उपाय करने चाहिए लेकिन जो लोग शनि की साढ़ेसाती (Shani ki Sade Sati) और ढैय्या से पीड़ित हैं उन्हें तो शनिश्चरी अमावस्या पर विशेष उपाय अवश्य ही करने चाहिए।

पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और उनके दर्शन करे ।

श्री शनिदेव का आह्वान करने के लिए हाथ में नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत व जल लेकर इस मंत्र अदभुद वैदिक मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें-
“ह्रीं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायार्मात्ताण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्”।।
ह्रीं बीजमय, नीलांजन सदृश आभा वाले, रविपुत्र, यम के अग्रज, छाया मार्तण्ड स्वरूप उन शनि को मैं प्रणाम करता हूं और मैं आपका आह्वान करता हूँ॥

शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन प्रात: जल में चीनी एवं काला तिल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करके सात परिक्रमा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे अनुकूल मंत्र है —
“ॐ शं शनैश्चराय नम:।”
इस मंत्र की एक माला का जाप अवश्य करें
इस दिन आप श्री शनि देव के दर्शन जरूर करें।
शनिदेव की दशा में अनुकूल फल प्राप्ति कराने वाला मंत्र –
ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम:

शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन संध्या के समय पीपल के पेड़ पर सप्तधान / सात प्रकार का अनाज चढ़ाएं और सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं, इससे कुंडली के ग्रहो के अशुभ फलो में कमी आती है। जीवन से अस्थिरताएँ दूर होती है ।

शनि अमावस्या के दिन बरगद के पेड की जड में गाय का कच्चा दूध चढाकर उस मिट्टी से तिलक करें। अवश्य धन प्राप्ति होगी।

उड़द की दाल की काला नमक डाल कर खिचड़ी बनाकर संध्या के समय शनि मंदिर (Shani Mandir) में जाकर भगवान शनि देव का भोग लगाएं फिर इसे प्रसाद के रूप में बाँट दें और स्वयं भी प्रसाद के रूप में ग्रहण करें ।

शनिवार के दिन काले उड़द की दाल की खिचड़ी काला नमक डाल कर खाएं इससे भी शनि दोष (Shani Dosh)के कारण होने वाले कष्टों में कमी आती है।

इस दिन मनुष्य को सरसों का तेल, उडद, काला तिल, देसी चना, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री अपने ऊपर वार कर शनिदेव के चरणों में चढाकर शनिदेव का तैलाभिषेक करना चाहिए।

शनिश्चरी अमावस्या को सुबह या शाम शनि चालीसा का पाठ या हनुमान चालीसा (Hanumaan Chalisa), बजरंग बाण का पाठ करें।

तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें और पक्षियों को खिलाएं .

उड़द दाल की खिचड़ी दरिद्रनारायण को दान करें।

अमावस्या की रात्रि में 8 बादाम और 8 काजल की डिब्बी काले वस्त्र में बांधकर संदूक में रखें। इससे आर्थिक संकट दूर होते हैं नौकरी, व्यापार में धनलाभ, सफलता की प्राप्ति होती है ।

शनि अमावस्या के दिन संपूर्ण श्रद्धा भाव से पवित्र करके घोडे की नाल या नाव की पेंदी की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें।

शनि अमावस्या के दिन 108 बेलपत्र की माला भगवान शिव के शिवलिंग पर चढाए। साथ ही अपने गले में गौरी शंकर रुद्राक्ष 7 दानें लाल धागें में धारण करें।

जिनके ऊपर शनि की अशुभ दशा हो ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करे ।

( कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )