महामृत्युंजय यन्त्र Mahamrityunjaya Yantra के सम्पूर्ण पुण्य, व्यक्तिगत अशीर्वाद की प्राप्ति और निरोगिता एवं उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति के कुछ खास अचूक उपायोंको जानने के लिए इस साईट पर लॉग इन करके अपने महाम्रतुन्जय यन्त्र Mahamrityunjaya Yantra के पेज पर जायें ।
महामृत्युंजय यंत्र
महामृत्युंजय मन्त्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
यहाँ सिद्ध किया हुआ महामृत्युंजय यंत्र Mahamrityunjaya Mantra एक बहुत ही उपयोगी यंत्र है ।
व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्यादि ग्रहों के द्वारा किसी ही प्रकार का अनिष्ट होने पर,
मारकेश होने पर,
भयंकर रोग,
मिथ्यादोश रोपण ( कलंक ) की सम्भावना होने पर
इस यंत्र की स्थापना , आराधना , ध्यान से तुरंत लाभ/बचाव होता है ।
इस यंत्र के द्वारा व्यक्ति को सदबुद्धि, मन की शांति, रोग विमुक्ति मिलती है ।
व्यक्ति को आकस्मिक दुर्घटना, आकाल म्रत्यु, भयंकर शत्रुता से बचाव तथा सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।
इस यन्त्र के चमत्कारी प्रभाव से व्यक्ति निरोगी रहकर दीर्घ आयु को प्राप्त करता है ।
ओम त्रम्बक्म मंत्र में 33 अक्षर हैं जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 देवताओं के प्रतीक हैं। उन तैंतीस देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्यठ 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं। इन तैंतीस देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ इस अदभुत महामृत्युंजय मंत्र Mahamrityunjaya Mantra में निहीत है जिससे इस महा महामृत्युंजय का पाठ करने वाला प्राणी दीर्घायु के साथ ही, निरोगिता, यश एवं ऐश्वर्य को भी प्राप्त करता है
स्नान करते समय शरीर पर लोटे से पानी डालते वक्त इस मंत्र का लगातार जप करते रहने से स्वास्थ्य-लाभ होता है।
दूध में निहारते हुए यदि इस मंत्र का कम से कम 11 बार जप किया जाए और फिर वह दूध पी लें तो यौवन की सुरक्षा भी होती है।
इस चमत्कारी मन्त्र का नित्य पाठ करने वाले व्यक्ति पर भगवान शिव की कृपा निरन्तंर बरसती रहती है ।
महामृत्युञ्जय मंत्र :-ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शिव मूल मंत्र:-“ॐ नमः शिवाय”॥
रुद्र गायत्री मंत्र:-“ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्”॥
संकटो को दूर करने वाला भगवान शिव का मन्त्र :-“ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ”॥
भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के मन्त्र नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥
“कर्पूर गौरम करूणावतारम संसार सारम भुजगेन्द्र हारम । सदा वसंतम हृदयारविंदे भवम भवानी सहितं नमामि”॥”ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय”॥
“ॐ पार्वतीपतये नमः”॥”ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय”॥
“‘ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ'”॥