शनि की साढेसाती के चरण
Shani ki Sade Sati ke Charan
साढ़ेसाती का पहले चरण Shani Ki Sade Sati Ka Pahla Charan :
साढ़े साती के पहले चरण sade sati ke pahle charan में शनि मस्तक पर रहता है।
साढ़ेसाती sade sati का यह चरण जातक के परिजनों नज़दीकी रिश्तेदारों और जातक के स्वास्थ्य एवं आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है।
सोचे गए कार्य आसानी से पूरे नहीं होते है। अचानक धनहानि होती है, आर्थिक तंगी बनी रहती है । स्वास्थ्य खराब रहता है विशेषकर नेत्र और अनिद्रा रोग हो सकता है।
यात्रा में कष्ट मिल सकता है । मानसिक चिन्ताएं बड़ जाती है। यह समय बुजुर्गों के लिए कष्टकारी होता है।
साढ़ेसाती का दूसरा चरण Shani Ki Sade Sati Ka Dusra Charan :
साढ़े साती का दूसरा चरण Sadisati ka dusra charan जातक के व्यापार और गृहस्थी को प्रभावित करता है।
इस चरण में यदि शनि जन्म कुण्डली में पूरी तरह अशुभ हो तो स्वास्थ्य तेजी से गिरता है, बड़ी आर्थिक हानि की सम्भावना होती है, निवेश में नुकसान होता है, धन फंस जाता है ।
परिवार में कलह, विभाजन, दोस्तों से मतभेद हो जाते है, आत्मसम्मान में कमी आती है अपयश का सामना करना पड़ता है । उसके अपने ही सगे संबंधी उसको कष्ट देते है, उसे घर-परिवार से दूर लम्बी यात्राओं पर जाना पड सकता है और लेकिन यदि शनि अशुभ ना हो तो इस चरण में जातक को मिला जुला फल प्राप्त होता है।
साढ़ेसाती का तीसरा चरण Shani Ki Sade Sati Ka Tisra Charan :
साढ़े साती के तीसरे चरण Sadisati ke thisre charan में बच्चों, परिवार, स्वास्थ्य प्रभावित रहता है ।
शनि साढेसाती के इस चरण में भौतिक, सांसारिक सुखों में कमी होती है।
वृद्धावस्था में में शनि की यह स्थिति मानो मौत को आमंत्रित करती है ।
इस समय में आय की अपेक्षा व्यय अधिक होता है उसके अधिकार कम हो जाते है ।
स्वास्थय ख़राब रहता है ,परिवार में विशेषकर संतान से मतभेद होते है, सम्बन्ध विच्छेद तक हो जाते है ।
यह समय बहुत ही कष्टकारी होता है अपने साथ छोड़ देते है, जातक अपने मन की बात भी नहीं कह पाता है ।
इस चरण में लड़ाई-झगडे, वाद-विवाद से दूर ही रहना चाहिए । शनि के इस तीसरे चरण में मृत्यु तुल्य कष्ट मिलता है ।
Published By : Memory Museum
Updated On : 2020-06-03 08:35:55 PM