शनि की साढेसाती के प्रभाव
Shani ki sade Sati ke Prabhav
शनि देव अपनी तरफ से कुछ भी फल प्रदान नहीं करते है वरन वह हमारे ही इस जन्म और पिछले जन्मों के आधार पर फल देते है । समान्यता साढ़े साती के समय व्यक्ति को बहुत संघर्ष, उतार चढ़ाव एवं परेशानियों का सामना करना होता है परंतु इसमें बहुत घबराने वाली बात नहीं हैं।
जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली में शनि देव अच्छे स्थान पर, अपनी उच्च राशि में अथवा अपने मित्र ग्रह के साथ जो शुभ फल देने वाले हो उनके साथ स्थित हो तथा उसकी दशा-अन्तर्दशा अच्छी चल रही हो, तो उन्हें शनि देव से डरने की कोई भी जरुरत नहीं है ।
लेकिन जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली में चन्द्र-शनि अशुभ ग्रह से युक्त, या अशुभ स्थानों में हो तो, उसके लिए शनि की साढ़े-साती और उसकी ढैय्या मानसिक तनाव, चिंता, धन हानि, परिवार में कलह-विघटन, कार्य में विघ्न बाधाएं , अपयश और कोर्ट कचहरी आदि की मुसीबतें लेकर आती है ।
शनि की दशा व्यक्ति को कर्मशील और ईमानदार बनाती है इस दौरान उसकी बुराइयाँ उसके व्यसन छूट जाते है।
शनि देव हठी, अहंकारी और दुर्जन लोगो से बहुत मेहनत करवाते है। इसी लिए बहुत से व्यक्ति शनि की साढ़े साती के प्रभाव में अपनी लगन और परिश्रम से सफलता की नयी उंचाईयों पर पहुंच जाते हैं।